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सिस्टम पर सवाल : बिजनौर में धूल खा रहे हैं 50 लाख के वेंटिलेटर, नहीं है चलाने वाला स्टाफ

सिस्टम पर सवाल : बिजनौर में धूल खा रहे हैं 50 लाख के वेंटिलेटर, नहीं है चलाने वाला स्टाफ

हिमा अग्रवाल

, रविवार, 25 अप्रैल 2021 (20:27 IST)
मेरठ। पूरे देश में कोविड 19 की दूसरी लहर ने कहर मचा रखा है। चारों तरफ त्राहि और हाहाकार मचा हुआ है। उत्तरप्रदेश में कोरोना का आंकड़ा डराने वाला है, कहीं ऑक्सीजन गैस का अभाव है तो कहीं वेंटिलेटर लेटर न मिल पाने की स्थिति में मरीज जान से हाथ धो रहा है।

ऐसे में बिजनौर जिले से हैरात में डालने वाली खबर आ रही है। यहां कोरोना संक्रमण से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए जिला अस्पताल में कोविड वार्ड बना हुआ है, जहां ऑक्सीजन और वेंटिलेटर दोनों उपलब्ध है, लेकिन जीवन रक्षक वेंटिलेटर को चलाने वाला स्टाफ नहीं है।

कोरोनाकाल में जहां ऑक्सीजन गैस के लिए मारामारी है, वेंटिलेटर कम और मरीज ज्यादा है। ऐसे में सिस्टम पर हैरानी होती है जहां बिजनौर 50 लाख की कीमत से 24 वेंटिलेटर खरीदे गए, लेकिन ये वेंटिलेटर सफेद हाथी बने खड़े हुए हैं।

बिजनौर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी विजय कुमार यादव ने गत वर्ष कोविड से बचाव के लिये वेंटिलेटर खरीदे थे, लेकिन तब से आज तक यह शोपीस बनकर खड़े हैं, क्योंकि यह अभी चले ही नही है। ऐसा नहीं है कि बिजनौर में कोरोना पेशेंट्स की संख्या कम है, वर्तमान में 3000 हजार कोरोना संक्रमण पीड़ित है। भले ही सरकारी आकड़ों में 75 मरीजों की मौत दर्ज हुई हो, लेकिन हकीकत मे मौत की आंकड़ा बहुत ज्यादा है।

बिजनौर के गंभीर कोरोना पेशेंट्स को इलाज के लिए मुरादाबाद या मेरठ रेफर कर दिया जाता है। प्रश्न यह उठता है जब बिजनौर जिले में सारी सुविधाएं उपलब्ध है, तो उन्हें अन्य जिलों में क्यों रेफर किया जाता है?

पूछने पर ऐसा क्यों है कि सुविधा अस्पताल में है फिर क्यों पेशेंट को इलाज नही मिल रहा है तो अस्पताल प्रबंधन स्टाफ की कमी का रोना रोने लगते हैं। बिजनौर के जिला अस्पताल स्थित कोविड वार्ड में 10 वेटिलेटर लगे हुए हैं, लेकिन कोई नहीं चलाया जाता, वहीं 14 वेटिलेटर मय बैड के स्टोर रूम में धूल फांक रहे हैं।

बिजनौर जिला अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर ज्ञान चंद का कहना है कि  2020 में कुल 24 वेंटिलेटर खरीदे गए थे। 10 वेटिलेटर कोविड वार्ड मे रखे हैं लेकिन स्टाफ नहीं होने की वजह से चलते नहीं है। वहीं 10 वेंटिलेटर आज ही मुरादाबाद सीएमओ को भेजे गये हैं, जबकि 4 स्टोर में रखे हैं।

सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर चलाने के लिए स्टाफ नहीं है, इसके लिए बाहर से डॉक्टर बुलाए जाएंगे, ये तो हास्यास्पद ही है। कोरोना से जान बचाने के लिए अस्पताल में ऑक्सीजन गैस सिलेंडर पेशेंट के तीमारदार खुद ला रहे हैं, वैसे ही बिजनौर में वेंटिलेटर चलाने वाले स्टाफ को मरीज या उसके तीमारदारों खुद लेकर आएंगे। ऐसे में ये सरकारी अस्पताल और डाक्टर शासन की नीतियों को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं।

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