Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

Vaccination: सभी लोगों पर समान रूप से प्रभावी हैं कोविडरोधी टीके, दुबले व मोटे लोगों को जोखिम अधिक

Webdunia
शनिवार, 2 जुलाई 2022 (14:45 IST)
ऑक्सफोर्ड (ब्रिटेन)। कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से दुनियाभर में इसके कारण 60 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन अच्छी बात यह है कि अब हमारे पास इस जानलेवा संक्रमण के इलाज की बेहतर व्यवस्था और प्रणाली के अलावा प्रभावी टीके भी मौजूद हैं जिनसे गंभीर संक्रमण के खतरे को कम करने में काफी मदद मिली है।
 
इसके बावजूद कुछ लोगों के आज भी कोरोनावायरस से गंभीर रूप से संक्रमित होने और मौत होने की आशंका बनी हुई है। हमने शोध में पाया गया है कि संक्रमित होने के बाद उन लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की आशंका काफी अधिक है, जो मोटापे से ग्रस्त हैं। कोविड-19 के कारण मृत्यु दर भी मोटापे से पीड़ित लोगों में अधिक हो सकती है। यह शोध कोविड-19 रोधी टीकों के उपलब्ध होने से पहले किया गया था।
 
हमने शोध में लोगों के वजन के आधार पर कोविड-19 रोधी टीकों के असर का अध्ययन किया है। शोध में पाया गया है कि दुबले-पतले लोगों के भी कोरोनावायरस से गंभीर रूप से संक्रमित होने का खतरा काफी अधिक है। बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का उपयोग करके मोटापे को मापा जाता है। इसकी गणना किसी व्यक्ति के वजन (किलोग्राम में) को उसकी ऊंचाई (मीटर में) से विभाजित कर और फिर उसका वर्ग निकालकर की जाती है।
 
गौरतलब है कि 18.5 से कम बीएमआई वाले व्यक्ति को कम वजन वाला माना जाता है, 18.5-25 के बीच बीएमआई वाले को स्वस्थ और ठीक वजन वाला माना जाता है, 25 से ऊपर बीएमआई वाले को अधिक वजन का माना जाता है और जिस व्यक्ति का बीएमआई 30 से ऊपर होता है, उसे मोटापे से ग्रस्त माना जाता है। इस शोध का इस्तेमाल लोगों के लिए कोविड-19 टीकाकरण अभियान की नीतियां बनाने में किया गया। शोध में ऐसे लोगों को भी शामिल किया गया था जिनका बीएमआई 40 या उससे अधिक था।
 
कोविड-19 महामारी से पहले किए गए अन्य शोधों से पता चला है कि मोटापे से ग्रस्त लोग आमतौर पर मौसमी बुखार के टीके कम ही लगवाते हैं। शोध में इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि कुछ टीकों का मोटापे से ग्रस्त लोगों पर कम ही असर पड़ता है और इन लोगों के लिए टीके अन्य लोगों की तुलना में उतने कारगर साबित नहीं होते।
 
'द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रायनोलॉजी' में प्रकाशित हमारे नए अध्ययन में हमने इंग्लैंड में 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 90 लाख से अधिक लोगों की स्वास्थ्य संबंधी पृष्ठभूमि और रिकॉर्ड का उपयोग किया है। हमने अलग-अलग वजन वाले लोगों पर कोविड-19 रोधी टीके के असर की पड़ताल करने के लिए विभिन्न बीएमआई समूह के लोगों में कोरोनावायरस संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने और इसके कारण मौत होने संबंधी तमाम आंकड़ों का गहनता से अध्ययन किया। हमने टीकाकरण कराने वाले विभिन्न बीएमआई समूह के समान उम्र और लिंग वाले लोगों की तुलना टीकाकरण नहीं कराने वाले लोगों से भी की।
 
हमने अपने शोध में पाया कि कोविड-19 रोधी टीके सभी बीएमआई समूह वाले लोगों के लिए कारगर हैं, विशेष रूप से टीके की दूसरी और तीसरी खुराक लेने के बाद असर काफी बढ़ जाता है। हमारा शोध बताता है कि कम वजन वाले लोगों में कोविड-19 रोधी टीके थोड़े कम प्रभावी हो सकते हैं। टीकाकरण कराने वाले कम वजन वाले लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना लगभग 50 प्रतिशत कम थी और टीकाकरण नहीं कराने वाले लोगों की तुलना में उनकी मौत की संभावना लगभग 40 प्रतिशत कम थी।(द कन्वरसेशन)

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

Russia Ukraine War भयानक स्थिति में, ICBM से मचेगी तबाही, पुतिन के दांव से पस्त जेलेंस्की

IAS Saumya Jha कौन हैं, जिन्होंने बताई नरेश मीणा 'थप्पड़कांड' की हकीकत, टीना टाबी से क्यों हो रही है तुलना

जानिए 52 करोड़ में क्यों बिका दीवार पर डक्ट-टेप से चिपका केला, यह है वजह

C वोटर के एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में किसने मारी बाजी, क्या फिर महायुति की सरकार

Russia-Ukraine war : ICBM हमले पर चुप रहो, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही रूसी प्रवक्ता को आया पुतिन का फोन

सभी देखें

नवीनतम

25 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र, 16 विधेयक पेश करने की तैयारी, वक्फ बिल पर सबकी नजर, अडाणी मामले पर हंगामे के आसार

असम के CM हिमंत का बड़ा फैसला, करीमगंज जिले का बदला नाम

Share Bazaar में भारी गिरावट, निवेशकों के डूबे 5.27 लाख करोड़ रुपए

PM मोदी करेंगे संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष का शुभारंभ

सिंहस्थ से पहले उज्जैन को मिली 592 करोड़ की सौगात, CM यादव ने किया मेडिसिटी और मेडिकल कॉलेज का भूमिपूजन

આગળનો લેખ