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अमेरिका में ज्यादा प्रदूषण वाले शहरों में कोरोना बन रहा है अधिक जानलेवा

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रविवार, 12 अप्रैल 2020 (11:50 IST)
नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण और वायु प्रदूषण के बीच संबंध उजागर करने वाली एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के उन शहरों में कोरोना संक्रमण से मौत होने के ज्यादा मामले सामने आए हैं जिनमें वायु प्रदूषण का स्तर तुलनात्मक रूप से अधिक है।
 
स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत अग्रणी अमेरिकी संस्थान ‘हार्वर्ड टी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ की हाल ही में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण की अधिकता वाले इलाकों में कोविड-19 के मरीजों की मौत के ज्यादा मामले सामने आए हैं। इसके अनुसार अमेरिका के 3080 कांउटी में वायु प्रदूषण के स्तर और कोरोना से हुई मौत के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर यह बात सामने आई है। 
 
अध्ययन रिपोर्ट में अमेरिकी शहरों में प्रदूषण की मात्रा और कोरोना वायरस संक्रमण से मौत के आंकड़ों को सूचीबद्ध नहीं किया गया है, बल्कि अध्ययन में शामिल विभिन्न कांउटी (अमेरिका में एक कांउटी में कुछ शहर और कस्बे होते हैं) में प्रदूषण और आबादी सहित अन्य मानकों के आधार पर कोरोना के असर संबंधी चार अप्रैल तक जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन किया गया है।
 
इसमें पाया गया कि मेनहट्टन कांउटी में जिन शहरों में पिछले 20 साल में पीएम 2.5 का औसत स्तर एक यूनिट अर्थात एक माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से कम पाया गया, उनकी तुलना में इस कांउटी में कोरोना से 248 कम मौतें हुईं। 
 
इसके अनुसार वाहन, तेल शोधन एवं बिजली संयंत्रों के कारण वायु प्रदूषण का सामना कर रहे अमेरिकी शहरों में, उन शहरों की तुलना में कोरोना से अधिक मौत हुईं जिनमें वायु प्रदूषण या तो तुलनात्मक रूप से कम है या प्रदूषण की वजह इन तीन कारणों से इतर कुछ और है।
 
अध्ययन में शहर की आबादी, अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या, कोरोना का परीक्षण किए गए मरीजों की संख्या, मौसम, सामाजिक आर्थिक स्थिति और लोगों के बर्ताव, जिसमें मोटापे की प्रवृत्ति और धूम्रपान की आदत को प्रमुख मानक के तौर पर शामिल किया गया।
 
इसके आधार पर अध्ययन में पाया गया कि कोरोना से हुयी मौत की दर को बढ़ाने में वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पार्टीकुलेट तत्व (पीएम 2.5) के संपर्क में अधिक समय तक रहना, एक वजह के रूप में सामने आया है।
 
शोधकर्ताओं के मुताबिक कई दशक तक वायु प्रदूषण की अधिकता वाले इलाके में रहने वालों के लिये कोरोना से मौत का खतरा 15 प्रतिशत ज्यादा पाया गया जबकि जिन शहरों में वायु प्रदूषण नियंत्रित था, उनके निवासियों के लिए यह खतरा 15 प्रतिशत कम पाया गया।
 
रिपोर्ट में मौजूदा परिस्थितियों के आधार पर भविष्य के बारे में आगाह भी किया गया है कि अधिक वायु प्रदूषण वाले डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया में, कम वायु प्रदूषण वाली पड़ोसी कांउटी मोंटगोमरी की तुलना में कोरोना से मौत के अधिक मामले सामने आ सकते हैं।
 
इसी प्रकार शिकागो में पड़ोस के इलाके लेक कांउटी और अटलांटा में पड़ोस की डगलस कांउटी की तुलना में कोरोना की अधिक गंभीर स्थिति का हवाला देते हुए इसे इन शहरों में अधिक वायु प्रदूषण होने से जोड़ा गया है। इस आधार पर रिपोर्ट में शिकागो और अटलांटा में लेक तथा डगलस कांउटी की तुलना में कोरोना से मौत की दर अधिक रहने के प्रति आगाह किया है।
 
 अध्ययन दल में शामिल वरिष्ठ वैज्ञानिक फ्रांसिस्का डोमिनिकी ने इस बात के लिए आगाह भी किया कि अधिक वायु प्रदूषण वाली कांउटी में न सिर्फ कोरोना के मरीजों की संख्या अधिक होगी बल्कि इनकी मौत के ज्यादा मामले भी सामने आने का खतरा है।

इसके मद्देनजर उन्होंने वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को युद्धस्तर पर सुचारु रखने के महत्व को रेखांकित करते हुये कोरोना संकट के बाद भी मानव स्वास्थ्य की खातिर हवा को साफ बनाने को प्राथमिकता देने को अनिवार्य शर्त बताया। (भाषा)

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