नई दिल्ली। केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविड-19 रोधी टीके कोवोवैक्स और बायोलॉजिकल ई कम्पनी के टीके कोर्बेवैक्स को कुछ शर्तों के साथ आपात स्थिति में उपयोग की अनुमति दे दी है। साथ ही, कोविड-19 रोधी दवा मोलनुपिराविर के आपात स्थिति में नियंत्रित उपयोग को भी अनुमति मिल गई है।
आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया था कि सीडीएससीओ की कोविड-19 संबंधी विषय विशेषज्ञ समिति (SEC) ने कोवोवैक्स और कोर्बेवैक्स को कुछ शर्तों के साथ आपात स्थिति में उपयोग की अनुमति देने की सिफारिश की है। कोविड-19 रोधी दवा मोलनुपिराविर (गोली) के आपात स्थिति में नियंत्रित उपयोग की भी सिफारिश की गई थी।
आपात स्थिति में मोलनुपिराविर का उपयोग कोविड-19 के वयस्क मरीजों पर एसपीओ2 93 प्रतिशत के साथ किया जा सकेगा और उन मरीजों को यह दवा दी जा सकेगी, जिन्हें बीमारी से बहुत ज्यादा खतरा हो। सभी सिफारिशों को अंतिम मंजूरी के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) के पास भेजा गया था।
आपात स्थिति में टीके के उपयोग के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के आवेदन की सोमवार को दूसरी बार समीक्षा करने वाली सीडीएससीओ की विशेषज्ञ समिति ने गहन अध्ययन के बाद कोवोवैक्स के उपयोग की सिफारिश की थी।
समिति ने इस बात पर गौर किया कि टीके का निर्माण नोवावैक्स की प्रौद्योगिकी के आधार पर किया गया है और यह सशर्त विपणन प्राधिकरण के लिए यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी द्वारा अनुमोदित है।
एसआईआई में सरकार और नियामक मामलों के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने इसके संबंध में पहला आवेदन अक्टूबर में दिया था।
डीसीजीआई कार्यालय ने 17 मई को एसआईआई को कोवोवैक्स टीके के निर्माण और भंडारण की अनुमति दे दी थी। डीसीजीआई की मंजूरी के आधार पर ही अभी तक पुणे स्थित कम्पनी टीके की खुराक का निर्माण और भंडारण कर रही है।
अगस्त 2020 में, अमेरिका की टीका बनाने वाली कम्पनी नोवावैक्स इंक ने एनवीएक्स-सीओवी2373 (कोविड-19 रोधी संभावित टीका) के विकास और व्यावसायीकरण के लिए एसआईआई के साथ एक लाइसेंस समझौते की घोषणा की थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 17 दिसंबर को कोवोवैक्स टीके के आपात स्थिति में इस्तेमाल की अनुमति दे दी थी। वहीं, सीडीएससीओ ने कोविड-19 रोधी दवा मोलनुपिराविर के आपात स्थिति में नियंत्रित उपयोग को भी स्वीकृति दी है।