Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

Christmas 2022: क्रिसमस ट्री से जुड़ी 13 दिलचस्प बातें, घर में कैसे सजाएं Christmas Tree

Christmas 2022: क्रिसमस ट्री से जुड़ी 13 दिलचस्प बातें, घर में कैसे सजाएं Christmas Tree
25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्मदिवस मनाया जाता है। इस दिवस को क्रिसमस कहते हैं। ईसाई धर्म के प्रारंभिक काल में इस पर्व को चर्च में सादे तरीके से ही मनाया जाता था लेकिन बाद में धीरे धीरे इस पर्व से जिंगल बेल, सैंटा क्लॉज और क्रिसमस ट्री को जोड़कर इसे और मजेदार बनाया गया। अब तो हमें इसका भव्य स्वरूप देखने को मिता है। आओ जानते हैं क्रिसमस ट्री की रोचक जानकारी।
 
1. घर में कैसे सजाएं क्रिसमस ट्री : क्रिसमय ट्री को लाइट, बैलून और चमकीले स्टार से सजाया जाता है। टीनएजर्स क्रिसमस-ट्री का साजो सामान लाते हैं। घरों में क्रिसमस ट्री को फूलों और बिजली की लड़ियों से सजाया जाता है।
 
2. ईसा मसीह जहां रहते थे वह तो रेगिस्तानी क्षेत्र था और ईसा मसीह ने जब येरुशलम में प्रवेश किया था तो लोगों ने खजूर की डालियां बताकर उनका स्वागत किया था। क्रिसमय पर इन्हीं खजूर की डालियों का महत्व रहता है।
 
3. कालांतर में बर्फिले क्षेत्र में उगने वाले सदाबहार फर, चीड़ या देवदार के वृक्ष क्रिसमस का प्रतीक बन गए, क्योंकि वहां पर कोई खजूर की डालियां नहीं मिलती।
 
4. कहते हैं कि ईसा पूर्व से ही रोमनवासी सर्दियों में अपने सैटर्नेलिया नामक पर्व में चीड़ के वृक्ष को सजाते थे। ऐसा वह सूर्य के सम्मान में करते थे। संभवत: वहीं से वृक्ष को सजाने की परंपरा भी क्रिसमस का अंग बनी हो।
 
5. प्रचलित मान्यता अनुसार एक बार संत बोनिफेस जर्मनी में यात्राएं करते हुए वे एक ओक वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे, जहां गैर ईसाई अपने देवताओं की संतुष्टि के लिए लोगों की बलि देते थे। संत बोनिफेस ने वह वृक्ष काट डाला और उसके स्थान पर फर का वृक्ष लगाया। तभी से अपने धार्मिक संदेशों के लिए संत बोनिफेस फर के प्रतीक का प्रयोग करने लगे थे।
webdunia
6. इसके बारे में एक जर्मन किंवदंती भी प्रचलित है कि यीशु का जन्म हुआ तो वहां चर रहे पशुओं ने उन्हें प्रणाम किया और देखते ही देखते जंगल के सारे वृक्ष सदाबहार हरी पत्तियों से लद गए। बस, तभी से क्रिसमस ट्री को ईसाई धर्म का परंपरागत प्रतीक माना जाने लगा।
 
7. यह भी कहा जाता है कि अनुमानतः इस प्रथा की शुरुआत प्राचीन काल में मिस्रवासियों, चीनियों या हिबू्र लोगों ने की थी।
 
8. सदाबहार क्रिसमस वृक्ष डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है जिस पर क्रिसमस के दिन बहुत सजावट की जाती है। 
 
9. रशिया (रूस) के लोग 7 जनवरी को क्रिसमय मनाते हैं। इस दौरान वे देवदार के लंबे-लंबे वृक्षों को सजाते हैं। 
 
10. आधुनिक युग में क्रिसमस ट्री की शुरुआत पश्चिम जर्मनी में हुई। मध्यकाल में एक लोकप्रिय नाटक के मंचन के दौरान ईडन गार्डन को दिखाने के लिए फर के पौधों का प्रयोग किया गया जिस पर सेब लटकाए गए। इस पेड़ को स्वर्ग वृक्ष का प्रतीक दिखाया गया था।
 
11. इस ट्री के बारे में यह भी मान्यता है कि एक बुढ़िया अपने घर देवदार के पेड़ की एक शाखा ले आई और उसे घर में लगा दिया। लेकिन उस पर मकड़ी ने अपना जाल बना लिया, जब प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था तब वे मकड़ी के जाले अचानक सोने के तार में बदल गए।
 
12. क्रिसमय ट्री को सजाने के पीछे घर के बच्चों की उम्र लंबी होने की धारणा भी प्रचलित है। 
 
13. यह भी कहा जाता है कि इसे सजाने या इसे घर में रखने से बुरी आत्माएं नहीं आती है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

Christmas Cake Recipes: क्रिसमस सेलिब्रेशन में शामिल कीजिए 10 स्पेशल केक, स्वाद और सेहत से भरपूर