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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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Good Friday 2022 : मानवता का संदेश देता है प्रभु यीशु का बलिदान

Good Friday 2022 : मानवता का संदेश देता है प्रभु यीशु का बलिदान
Good Friday 2022
यीशु (Jesus Christ) के समाजसेवी व धार्मिक कार्यों ने लाखों लोगों को उनका अनुयायी बना दिया था लेकिन इन्हीं कार्यों ने कुछ लोगों के मन में उनके प्रति विरोध और घृणा भी जगाई। गुड फ्रायडे के दिन क्रॉस पर उनकी मृत्यु इसी का परिणाम था।
 
ईसाई चर्च के प्रारंभिक दिनों में ईसाई धर्म के अनुयायी यीशु की मृत्यु और जीवित हो जाने की घटना को एक ही घटना मानता था, अतः पहले गुड फ्रायडे और ईस्टर दो अलग-अलग दिन नहीं थे।

चौथी शताब्दी के अंत तक आते-आते यरुशलम में पवित्र सप्ताह के सारे दिन अलग पहचान रखने लगे थे। यीशु का पूरा जीवन ईश्वरीय योजना को पूरा करने के लिए बना था। उन्हें सलीब पर चढ़ाया जाना कोई अपवाद नहीं है, यीशु को तो पहले से ही पता था कि ईश्वर की इच्छा क्या है।

ये सब जानने के बाद भी वे अपने दुश्मनों से मिलने चले गए। दुश्मनों के सामने उनका आत्मसमर्पण भी परमपिता की इच्छा के अनुसार ही था। 
 
मध्ययुग की एक अद्भुत कथा सलीब की लकड़ी को स्वर्ग के बाग से जोड़ती है। ईश्वर ने स्वर्ग के बाग में हर वह पेड़ उगाया है जो दिखने में सुंदर और खाने के लिए अच्छा था। (जेनिसस 2,9)। स्वर्ग के महान 'जीवन वृक्ष' के बीज युगों-युगों तक बोए जाते रहे। उन्हीं बीजों में से एक बीज से उगे वृक्ष ने यीशु की सलीब के लिए लकड़ी उपलब्ध कराई। 
 
एक बार फिर ईश्वर अपने बेटे यीशु को सलीब के जरिए नए जीवन का तोहफा देता है और मानव भूमि से स्वर्ग में लौट आने का आमंत्रण देता है। यीशु को बचाने के लिए पीटर का अपनी तलवार इस्तेमाल करना एक पापमय कदम माना गया क्योंकि यह कृत्य यीशु के पिता (ईश्वर) की इच्छा के विरुद्ध था। जब पीटर ने यीशु की पीड़ा और मृत्यु की संभावना पर अपनी मानवीय प्रतिक्रिया व्यक्त की तो यीशु ने उन्हें शैतान कहा। (मैथ्यू 16:22-23) 
 
सलीब पर यीशु की मृत्यु किसी साम्राज्य को स्थापित करने या स्वतंत्रता के किसी विश्वव्यापी आंदोलन को शुरू करने के लिए मानव की समझ में आने वाले सामान्य तरीकों से इतनी अलग घटना थी कि यीशु के दैवीय अस्तित्व को स्थापित करने के लिए इसे ही पर्याप्त तर्क माना जा सकता है। यीशु ईश्वर के अकेले ऐसे पुत्र हैं जिन्होंने अपने विरोधियों के हाथों मृत्यु स्वीकार करके मानवता की रक्षा की। 
 
यीशु मारने के लिए नहीं, मारे जाने के लिए आए थे। सलीब पर अपने उत्सर्ग के जरिए उन्होंने दुष्टता की सत्ता को खत्म किया, जो मानवता की असली दुश्मन है। सलीब के पास खड़ी मदर मेरी ने यीशु को उत्सर्ग से स्वयं को सबसे करीब से जोड़ा था। अभी तक कोई यह तय नहीं कर पाया है कि 'गुड फ्रायडे' (Good Friday) नाम कहां से आया। 
 
एक सिद्धांत यह है कि 'गुड' 'गॉड्स' का अपभ्रंश है अर्थात 'ईश्वर का फ्रायडे'। एक अन्य सिद्धांत कहता है कि 'गुड' ही सही शब्द है जो यीशु की शहादत को पाप पर पुण्य की विजय के रूप में ईश्वर द्वारा मानव को दिए गए एक अच्छे उपहार की तरह मानता है।


गुड फ्रायडे का संदेश यही है कि पाप को कभी पाप से नहीं जीता जा सकता, केवल अच्छाई ही उसे जीत सकती है। हिंसा को अहिंसा और घृणा को दुश्मन के प्रति प्रेम ही जीत सकता है। अत: मानवता और प्रेम के रक्षक प्रभु यीशु (Yeshu Masih) के संदेश हर मनुष्य को अपने आचरण में उतारना चाहिए। 


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