रायपुर। छत्तीसगढ़ में चुनावी साल में अचानक अफसरों का सियासी प्रेम जाग गया है। बात चाहे राज्य में सत्तारुढ़ पार्टी बीजेपी की हो या सत्ता हासिल करने की कोशिश में लगी कांग्रेस की, दोनों ही पार्टियों में चुनाव से पहले टिकट की चाहत में बड़े पैमाने पर पैराशूट के जरिए नौकरशाह नेताओं की एंट्री हुई है।
हर ओर टिकट की आस में अफसरों के पार्टियों में शामिल होने की होड़ लगी हुई है। बात करें बीजेपी की तो चुनाव से पहले पार्टी में शामिल हुए रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी रायगढ़ की खरसिया सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे हैं।,जिससे इस सीट पर अब तक सक्रिय उम्मीदवारों के माथे पर चिंता की लकीरें पड़ गई हैं। वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो पार्टी में टिकट के दावेदार पूर्व नौकरशाहों की संख्या करीब दर्जनभर है।
अगर बात करेंकांग्रेस की तो पूर्व कलेक्टर आरपीएस त्यागी कटघोरा से, पूर्व आईएस अधिकारी रहे सरजियस मिंज कुनकुरी, पुलिस में डीएसपी की नौकरी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए विभोर सिंह रेणु जोगी की सीट कोटा से, गिरिजाशंकर जौहरी मस्तुरी से, किस्मत लाल नंद रायगढ़ के सरायपाली से, इंद्र सिंह मांडवी मोहला मानपुर से, गिरीश कुर्रे रामगढ़ से टिकट की मांग कर रहे हैं।
चुनाव के समय नेताओं के टिकट की मांग करना या आगे आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में जिस तरह छत्तीसगढ़ में नौकरशाहों ने पैराशूट एंट्री की है। उससे बीजेपी और कांग्रेस में खलबली मच गई है। वहीं अगर इन पैराशूट नेताओं के टिकट के दावे की बात करें तो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया था कि चुनाव में नेताओं का पैराशूट काम नहीं करेगा, वे सारे पैराशूट काट देंगे।
वहीं बीजेपी टिकट बंटवारे में पार्टी सर्वे को ज्यादा तरजीह देने की बात कह रही है। अब देखना होगा कि चुनाव में ये पैराशूट उम्मीदवार अपने आकाओं के भरोसे टिकट पाकर उड़ान भर सकेंगे या उन्हें एक लंबा इंतजार करना होगा।