28 अक्टूबर को छठ पूजा का महापर्व प्रारंभ हो गया है। 30 अक्टूबर 2022 को मुख्य पर्व रहेगा। 31 अक्टूबर को व्रत का पारण होगा। छठ पर्व के चार दिनों के महोत्सव में व्रत रखकर षष्ठी देवी यानी छठ मैया और सूर्य देव की उपासना की जाती है। इस दौरान छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है। यह छठ माता कौन है, क्यों करते हैं इनकी पूजा और क्या है इनकी कथा? आओ जानते हैं संक्षिप्त में।
कौन है छठ मैया : शास्त्रों में माता षष्ठी देवी को भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री माना गया है। इन्हें ही मां कात्यायनी भी कहा गया है, जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि के दिन होती है। षष्ठी देवी मां को ही पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में स्थानीय भाषा में छठ मैया कहते हैं। छठी माता की पूजा का उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी मिलता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इन्हें सूर्यदेव की बहन भी माना गया है।
क्यों करते हैं छठ माता की पूजा : छठ पूजा का व्रत महिलाएं अपनी संतान की रक्षा और पूरे परिवार की सुख शांति का वर मांगाने के लिए करती हैं। मान्यता अनुसार इस दिन निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हैं छठ मैया।
क्या है छठ पूजा की पौराणिक कथा : पौराणिक कथा अनुसार मनु स्वायम्भुव के पुत्र राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं थी। महर्षि कश्यप ने यज्ञ करवाया तब महारानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया परंतु वह शिशु मृत पैदा हुआ। तभी माता षष्ठी प्रकट हुई और उन्होंने अपना परिचय देते हुए मृत शिशु को आशीष देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह जीवित हो गया। देवी की इस कृपा से राजा बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने षष्ठी देवी की आराधना की। तभी से पूजा का प्रचलन प्रारंभ हुआ।