गुजरात अपोलो के अनिलभाई से मुलाकात
प्रेसिडेंट अपोलो इंस्ट्रीज, मेहसाणा गुजरात
-हरेश सुथार
एक समय था जब भारत में रोड बनाने के जरूरी उपकरण और मशीनरी विदेशों से आयात करनी पड़ती थी। उस समय मेहसाणा गुजरात के अनिल पटेल अमेरिका से अपनी इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर जब स्वदेश लौटे तो उन्होंने स्वेदेशी मशीनरी के उत्पादन के बारे गहन चिंतन किया और अंतत: गुजरात अपोलो कंपनी की शुरुआत की। आज गुजरात अपोलो द्वारा बनाई गई मशीनें दुनिया के करीब 25 देशों में निर्यात की जाती है। आइए रूबरू में इस बार मिलते है अनिलभाई पटेल से जो गुजरात के उद्योग मंत्री भी रह चुके हैं।
प्रश्न : आपको रोड पेवर जैसी मशीन बनाने का विचार कहाँ से आया?
राजीव गाँधी के प्रधानमंत्री बनने पर उन्होंने कन्स्ट्रक्शन डिपार्टमेंट को आधुनिक करने का विचार रखा। मैं उन दिनों अमेरिका से इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर वतन लौटा था। मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा लेकर मैंने अमेरिकी कंपनियों से संपर्क किया और गुजरात सरकार के जीआईआईसी के सहयोग से गुजरात में पहली बार रोड पेवर मशीन बनाने की फैक्टरी डाली। गुजरात अपोलो के नाम शुरू की गई इस फैक्टरी में अमेरिकी तकनीक का उपयोग कर मशीनें तैयार की जाती थीं। इस काम को कन्स्ट्रक्शन डिपार्टमेंट में खूब सराहा गया। आज हम जापानीज कंपनी के सहयोग से अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर आसफाल्ट बेस मिक्स प्लांट बना रहे हैं।
प्रश्न : आयात होने वाली मशीन आपने स्वदेश में कैसे बनाई?
करीब 1990 में डॉ. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति) ने इस व्यवसाय में आधुनिकीकरण के लिए टाइफेक्ट (टेक्नोलॉजी फॉर इन्फोर्मेशन एसेसमेन्ट काउन्सिल) का कन्सेप्ट दिया और जो मशीन 1980-90 में विदेश से आयात होती थे वह हमारे यहाँ कैसे तैयार हो सकती है, इस बात को लेकर हमें प्रोत्साहित भी किया। इसी आधार पर आखिरकार हमने कड़ी मेहनत के साथ स्वदेशी बनावट की मशीनें तैयार कर ली।
प्रश्न : आज ये मशीनें कितने देशों में आयात हो रही हैं?
आज कन्स्ट्रक्शन क्षेत्र की जरूरतों को हम आसानी से पूरा कर रहे हैं, साथ ही साथ दुनिया के 25 से भी ज्यादा देशों में ये मशीनें अपना कमाल दिखा रही हैं। ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड, मिडल ईस्ट व अफ्रीकी देशों के अलावा योरप में भी इस मशीन की काफी माँग है। हमें इस बात का गर्व है कि देश के तकनीकी इंजीनियरों द्वारा तैयार की गई मशीनें आज विदेश में निर्यात हो रही हैं जो कि किसी समय हमें आयात करनी पड़ती थीं।
प्रश्न : आपको शुरुआती दिनों में कैसी तकलीफें आई थीं?
भारत में सड़क तैयार करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने गोल्डन कोर्ड एंगल योजना शुरू की तभी से इस प्रकार की मशीनों की भारी मात्रा में माँग आने लगी थी परंतु उस वक्त हमें अपने स्टाफ को तालीम देने में और स्पेयरपार्ट्स के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
प्रश्न : आप सफलता का श्रेय किसे देते हो?
जितने खर्चे में हमने मशीनें तैयार कीं वह विदेशी कंपनियों के लिए नामुमकिन के बराबर है। अपोलो की सफलता को देखते हुए आज मुझे अपना सपना पूरा हुआ सा नजर आता है। मैं अपनी सफलता का श्रेय अपनी इंजीनियरिंग की तालीम और मेरे परिवार व मेरे बड़े भाई साहब मणिभाई को देता हूँ, जिन्होंने मुझे इंजीनियरिंग के अभ्यास के लिए विदेश जाने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रश्न : आज के युवाओं को सफल बिजनेसमैन बनने के लिए क्या याद रखना चाहीए?
मेरा मानना है कि सफल व्यवसायी बनने के लिए सर्वप्रथम युवाओं को अध्ययन में विशेष ध्यान देना चाहिए तथा अपनी रुचि अनुरूप अपना करियर पसंद करना चाहिए। गुजरातियों के स्वभाव से ही साहसिकता जुडी हुई है, जिसके चलते वे टेक्नीकल, फॉमेर्सी, मैनेजमेन्ट में योग्यता हासिल कर व्यवसाय में आगे आ सकते हैं। बावजूद इसकी तालीम लेना आवश्यक है। क्योंकि आज के जमाने में बिना तालीम के सफल होना बेहद मुश्किल है। साथ ही कम्प्यूटर व अँग्रेजी का ज्ञान, पर्सनालिटी डेवलपमेन्ट और अपने विषय की काबिलियत हासिल करना भी बहुत जरूरी है।
प्रश्न : आप उद्योग मंत्री भी रह चुके हैं, हमारे लघु उद्योग की स्थिति बहुत खराब है, इस बारे में आप क्या मानते हो?
हमने राज्य के उद्योग मंत्री के कार्यकाल में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से एक नई उद्योग नीति तैयार की थी, जिसके राज्य को काफी अच्छे परिणाम मिले हैं। गुजरात राज्य आज औद्योगिक मामले मे डबल डिजिट ग्रोथ कर रहा है। 10 प्रतिशत से ज्यादा विकास दर होना बहुत गर्व की बात है। यह विश्व के कम देश हासिल कर पाते हैं परंतु हमारे यहाँ लघु उद्योग में अभी भी परेशानी बरकरार है। इसके लिए केन्द्र सरकार ने माइक्रो स्मॉल इन्टरप्राइस कानून बनाया है और राज्य सरकार ने भी इस बारे में अच्छी कार्रवाई की है।
प्रश्न : वेबदुनिया के लिए आप कुछ कहना चाहेंगे?
मुझे गर्व हो रहा है की वेबदुनिया विविध कार्यक्रमों को जनता तक ले जाने के लिए प्रयत्नशील है। वेब चैनल के जरिए एक नया आयाम स्थापित करने के अवसर पर मैं वेबदुनिया को बहुत बधाई देता हूँ।