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अरुण जेटली के लिए यह बजट क्यों है खास..?

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मंगलवार, 31 जनवरी 2017 (19:57 IST)
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली का बजट 2017-18 कई मायनों में खास होगा। 93 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा, जब रेल बजट पेश नहीं होगा। इस बार रेल बजट का समायोजन आम बजट के साथ ही कर दिया गया। रेल को लेकर जो भी घोषणाएं होंगी, वे वित्तमंत्री अरुण जेटली ही अपने बजट भाषण में करेंगे। अभी तक आम बजट से दो दिन पहले रेल बजट पेश होता था। आमतौर पर 28 फरवरी को सरकार आम बजट पेश करती, जबकि 26 फरवरी को रेल बजट संसद के पटल पर रखा जाता था। 
इस बार तारीख को लेकर यह बजट खास है। इस बार करीब 27 दिन पहले यानी 1 फरवरी को ही बजट पेश कर दिया जाएगा। 1924 यानी अंग्रेजों के समय से ही आम बजट फरवरी की आखिरी तारीख को पेश होता आ रहा है। नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय और किशोर देसाई की कमेटी ने रेल बजट खत्म करने की सिफारिश की थी। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि सालाना खर्च से जुड़ी योजनाएं और प्रस्तावों को अगला वित्त वर्ष शुरू होने से काफी पहले संसद की मंजूरी मिल सके। गौरतलब है कि वर्ष 2000 तक आम बजट शाम 5 बजे पेश होता था, लेकिन अटलबिहारी वाजपेयी सरकार के वक्त 2001 में यशवंत सिन्हा ने यह ट्रेंड बदला और बजट 11 बजे पेश होने लगा।
 
बजट की तारीख बदलने को लेकर सरकार को विपक्ष का भी काफी विरोध झेलना पड़ा था। इसके लिए विरोधी पार्टियों ने अदालत और चुनाव आयोग का भी द्वार खटखटाया था, मगर उन्हें सफलता नहीं मिली। कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि सरकार ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में फायदा उठाने के उद्देश्य से बजट की तारीखें बदली हैं। हालांकि इस दावे में उतना दम नहीं दिखाई देता, लेकिन एक अन्य अनुमान यह भी है कि सरकार के इस फैसले के पीछे उसकी दृष्टि लोकसभा चुनाव 2019 पर है। दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले सरकारें आचार संहिता के चलते अंतरिम बजट ही पेश कर पाती थीं, लेकिन तारीख 1 फरवरी होने से हो सकता है कि यह आचार संहिता के दायरे में न आए।
 
यह बजट एक मायने में और खास है, वह यह कि सरकार नोटबंदी के बाद पहली बार बजट पेश करने जा रही है। हो सकता है कि बजट सत्र में सरकार को विपक्ष का भारी विरोध भी झेलना पड़ा। यहां तक कि विपक्ष ने तो अपने तरकश में विरोध के तीर भी डाल लिए हैं। नोटबंदी के मुद्दे पर सरकार को विपक्ष का काफी विरोध झेलना पड़ा था। 
 
जहां तक देशवासियों की उम्मीदों का सवाल है तो नौकरीपेशा वर्ग से लेकर समाज के सभी तबके जेटली से राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं। नौकरीपेशा वर्ग चाहता है कि इनकम टैक्स की सीमा ढाई से बढ़ाकर 5 लाख तक की जानी चाहिए। हालांकि इस बारे में यह भी खबरें आ रही हैं कि सरकार इस सीमा को ढाई से बढ़ाकर तीन लाख तक कर सकती है। मेडिकल खर्च की सीमा भी बढ़ाई जा सकती है, साथ ही होम लोन के ब्याज पर भी छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है। 
 
इसके सरकार नकद व्यवहार पर रोक लगाने के लिए भी कुछ घोषणाएं कर सकती हैं। माना जा रहा है कि 50 हजार रुपए से ज्यादा के कैश ट्रांजैक्शन पर 1 से 2 प्रतिशत टैक्स लगाया जा सकता है। इसके पीछे सरकार की योजना डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देने की है। रेल बजट को लेकर भी लोगों में उत्सुकता है कि प्रभु की रेल जेटली किस तरह दौड़ाएंगे।

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