जालंधर। जालंधर के विश्वप्रसिद्ध खेल सामग्री उद्योग के लिए आम बजट में कोई घोषणा नहीं होने से निराश उद्योगपतियों ने यहां कहा है कि उद्योग को फिर से जीवित करने पर न तो केंद्र सरकार का और न ही राज्य सरकार का ध्यान है।
आम बजट में खेल सामग्री उद्योग के लिए कुछ नहीं होने से निराश खेल सामग्री निर्माताओं ने कहा कि बजट से निराशा ही हाथ लगी है। उनकी पुरानी मांग पर भी कोई विचार नहीं किया गया है। जूते और खिलाड़ियों के बैग पर से उत्पाद शुल्क कम नहीं किया गया है।
जालंधर के खेल सामग्री निर्माताओं के एक संगठन स्पोर्ट्स फोरम के प्रमुख संजय कोहली ने बातचीत में कहा कि हमारी पुरानी मांग है कि खेल सामग्री पर लगाने वाले उत्पाद शुल्क ड्यूटी समाप्त कर दिया जाए, लेकिन केंद्र और राजग सरकारों ने अब तक इस पर कोई विचार नहीं किया है और न ही इसे समाप्त किया है।
उन्होंने कहा कि केंद्र से उद्योग-धंधों को इस इस बात की आशा थी कि उत्पाद शुल्क को इस बजट में समाप्त कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं किए जाने से केवल निराशा ही हाथ लगी है। एक सवाल के जवाब में कोहली ने कहा कि खेल सामग्री पर दो फीसदी का शुल्क लगता है। हम इसे समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। ऐसे भी इसे खत्म कर देने से सरकार के राजस्व पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
कोहली ने कहा कि खेल जूते पर 12 प्रतिशत एक्साइज है। खिलाड़ी जो बैग लेकर चलते हैं उस पर भी 12 फीसदी एक्साइज लगता है। ऐसे भी खेल सामग्री पर पंजाब सरकार के वैट थोपने और मेरठ में वैट नहीं लगने से यहां का व्यापार प्रभावित ही हुआ है और जालंधर का खेल सामग्री उद्योग धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है।
दूसरी ओर खेल उद्योग संघ के विजय धीर ने कहा कि बजट में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह लगे कि खेल उद्योग किसी प्रकार की राहत अथवा इसे दोबारा रिवाइव करने की दिशा में उठाया गया कदम है। हमें केवल निराशा ही हाथ लगी है। (भाषा)