आम आदमी के लिए रेल बजट में कुछ घोषणाएं हो सकती हैं जो कि कुछ इस तरह की हो सकती हैं, बजट में यात्री किराया 10 फीसदी तक बढ़ सकता है। इसके साथ ही हर ट्रेन में एक जनरल कोच बढ़ाने का ऐलान हो सकता है। ट्रेन में कोचों की संख्या 24 से बढ़ाकर 26 की जा सकती है।
संभावना यह भी है कि अगर यात्री किराया नहीं बढ़ा तो एसी कोच में तकिया या फोन चार्जर जैसी सुविधाओं के लिए चार्ज लगाया जा सकता है। बुजुर्गों और बच्चों को किराए में मिलने वाली छूट कम की जा सकती है।
प्रीमियम ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। जिस तरह महामना एक्सप्रेस शुरू हुई है, उसी तरह सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल या दीनदयाल उपाध्याय के नाम से स्पेशल ट्रेनें चलाई जा सकती हैं। एक सुपरफास्ट रूट का ऐलान किया जा सकता है। इनमें बेंगलुरु-चेन्नई, दिल्ली-चंडीगढ़, दिल्ली-लखनऊ, दिल्ली-पटना, कोलकाता-हल्दिया शामिल हो सकते हैं।
रेलवे एक नया हेल्पलाइन नंबर जारी कर सकती है जिस पर फोन या एमएमएस करने से तुरंत मदद मिलेगी। एक ट्वीट पर रेल मंत्री सुरेश प्रभु पैसेंजर्स को मदद मुहैया करा ही रहे हैं। शताब्दी एक्सप्रेस में स्पेन के हाई स्पीड कोच लग सकते हैं। इनमें टू-वे स्विंग डोर लगेंगे ताकि पैसेंजर आसानी से कोच से बाहर और अंदर जा सकें।
प्लेटफॉर्म अलर्ट एसएमएस शुरू किया जा सकता है। ट्रेन किस प्लेटफॉर्म पर और कब तक आएगी, इसकी सूचना मैसेज के जरिए देने की सुविधा उपलब्ध कराई जा सकती है। रेल बजट यात्री किराया, माल भाड़ा बढाए जाने की संभावनाओं को इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता है क्योंकि अगर रेलवेज सातवें वेतनमान की सिफारिशों को लागू करती है तो इसके लिए उसके कोष में 32-35 हजार करोड़ रुपए की जरूरत होगी।
रेलवे के सामने कर्ज की भरपाई और उस पर ब्याज की चुनौती भी है। साथ ही, रेलवे की बुनियादी सुविधाओं को भी बढ़ाना है। इस व्यय की भरपाई के लिए यात्री किराए में 10 प्रतिशत और माल भाड़े में 5-6 फीसदी की बढ़त की जा सकती है। विशेषज्ञों की राय है कि इस बार का रेल बजट 1.25 लाख करोड़ रुपए का हो सकता है।
रेलवे बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने के लिए स्टेशनों पर क्लीनिंग और फूडिंग के लिए ज्यादा सुविधा दी जा सकती है। रेलवे की कमाई बढ़ाने के लिए स्पेशल ट्रेनों को चलाए जाने का भी ऐलान हो सकता है जिससे सेवाएं महंगी होने की संभावना है।
बजट में ट्रेनों और स्टेशन को साफ-सुथरा और इकोफ्रेंडली बनाने का एक ठोस प्लान दिखाई दे सकता है और इसके लिए प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत 400 स्टेशनों को ‘ग्रीन स्टेशन’ के रूप चिन्हित किया जा सकता है। स्टेशनों पर सौर ऊर्जा, रिसाइकलिंग ऑफ वॉटर, कचरे से बिजली बनाने और एलईडी लाइट्स के इस्तेमाल जैसी सुविधाएं बढ़ाई जा सकती हैं।
रेलमंत्री सुरेश प्रभु देश के विभिन्न राज्यों के साथ ज्वाइंट वेंचर रूट से रेल प्रोजेक्ट शुरू कर सकते हैं। इस मामले में रेलवे का महाराष्ट्र, ओडिशा, केरल, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत छह राज्यों से समझौता कर लिया गया है। रेलमंत्री, प्रीमियम हाई स्पीड पार्सल ट्रेन का ऐलान भी कर सकते हैं।
रेलवे के उन्नयन के केन्द्र में होंगे?
-सेफ्टी अपग्रेडेशन, इलेक्ट्रिफिकेशन, डबलिंग एंड मॉर्डनाइजेशन ऑफ यार्डस।
-राजधानी, शताब्दी गाड़ियों से भी ज्यादा स्पीड से चलने वाली प्रीमियम गाड़ियों पर जोर दिया जाएगा और रेलवे की कमाई बढ़ाने के लिए डिब्बों पर निजी कंपनियों को ब्रांडिंग की इजाजत देकर आमदनी बढाई जा सकती है।
रेलवे ने पिछले साल ही FDI का ऐलान किया था। इस बार रेलवे विभिन्न राज्यों के साथ MOU साइन कर सकती है। इस तरह के ज्वाइंट वेंचर्स में 51 फीसदी शेयर राज्यों का और 49 फीसदी शेयर केंद्र का होगा। इसके साथ ही रेलवे अपनी प्रॉपर्टी के डेवलपमेंट के लिए निजी कंपनियों की मदद ले सकती है। खाली जगह पर बिल्डिंग बनाने का ठेका प्राइवेट बिल्डर्स को दिया जा सकता है। इसमें पहले के दो फ्लोर रेलवे को और ऊपर की मंजिलें प्राइवेट बिल्डर्स यूज कर सकेंगे। इस तरह होने वाली आय में भी रेलवे की हिस्सेदारी होगी।