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रेल बजट में नहीं बढ़ा यात्रा किराया, माल भाड़ा भी यथावत

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गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016 (15:48 IST)
नई दिल्ली। रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने गुरुवार को अपने दूसरे रेल बजट में सुधारों का दूसरा चरण प्रस्तुत किया और किराया तथा माल भाड़ा बढ़ाए बगैर यात्रियों के लिए कई नई सुविधाओं की घोषणा की।
 
वर्ष 2016-17 के लिए लोकसभा में पेश इस बजट में गरीब आम यात्रियों से लेकर उच्च श्रेणी के यात्रियों तथा दिव्यांगों तथा शिशुओं का ध्यान रखा गया है। गरीबों तथा मध्यम वर्ग के लिए नई रेल सेवाएं शुरु करने, सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने, साफ सफाई और खानपान की व्यवस्था सुधारने, धार्मिक स्थलों को सर्किट ट्रेन सेवा से जोड़ने, रेलवे के लिए एफएम रेडियो स्टेशन चलाने के प्रस्तावों से रेलबजट को यात्री मित्र बजट का रूप दिया गया है।
 
इसमें रेलवे की आमदनी बढ़ाने के लिए मालवहन के दायरे का विस्तार करने, नई पार्सल नीति, लॉजिस्टिक पार्क, वेयर हाउस, ऑटो हब के माध्यम से अतिरिक्त आय सृजित करने के साथ ही ऊर्जा दक्षता और आईटी प्रबंधन के माध्यम से हजारों करोड़ रुपए की बचत करने के प्रावधान किए गए हैं। 

रेल बजट 2016-17 में तीन नई सुपरफास्ट रेल गाड़ियां चलाने की घोषणा की गई है। इनमें हमसफर नाम की गाड़ियां पूरी तरह से वातानुकूलित 3एसी के डिब्बों वाली होंगी जिनमें भोजन का भी विकल्प होगा। वहीं तेजस नाम से चलाई जाने वाली नई गाड़ियां 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी और इनमें मनोरंजन, वाईफाई तथा स्थानीय व्यंजनों जैसी सेवाएं प्रदान की जाएंगी।
 
इन दोनों ट्रेनों के परिचालन की लागत उनके किराए के साथ साथ दूसरे तरीकों से वसूली जाएगी। तीसरी प्रकार की ट्रेन उदय नाम से चलाई जाएगी जो दो तला होगी और इसके साथ उत्कृष्ट नाम से वातानुकूलित दो तला गाड़ियां चलाने की घोषणा की गई है। ये डबल डेकर ट्रेन व्यस्त मार्गों पर चलाने की योजना है।
 
बजट में अनारक्षित यात्रियों की सुविधा का भी ध्यान रखा गया है। रेल मंत्री प्रभु ने सुपरफास्ट अंत्योदय एक्सप्रेस सेवा शुरू करने की घोषणा की है। इसके अलावा, ऐसे यात्रियों के लिए ‘दीन दयालु’ अनारक्षित डिब्बे लगाए जाएंगे जिनमें पेयजल और मोबाइल चार्जिंग की सुविधा होगी।
 
उन्होंने रेल विकास प्राधिकरण के गठन की भी घोषणा की जो सेवाओं की दरों के निर्धारण में रेलवे की मदद करेगा ताकि देश की यह सबसे बड़ी परिवहन प्रणाली अपनी प्रतिस्पर्धा क्षमता बनाए रख सके। साथ ही इसके ग्राहकों के हितों की भी रक्षा हो और सेवा की दक्षता, मानक स्तर की हो।
 
प्रभु ने वर्ष 2016-17 में भारतीय रेलवे के लिए 1.21 लाख करोड़ रुपए के योजना व्यय का प्रस्ताव किया। योजनाओं के लिए धन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए वित्त पोषण की मिली.जुली व्यवस्था करने का प्रस्ताव है।
 
रेल बजट के अनुसार, अगले वित्त वर्ष में रेलवे को यातायात कारोबार से सकल राजस्व प्राप्ति 1.84 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। वर्ष के दौरान यात्री किराए से 51,012 करोड़ रुपए की आय का लक्ष्य रखा गया है जो चालू वित्त वर्ष के बजट से 12.4 प्रतिशत अधिक होगा।
 
रेलवे ने 2016-17 में 5 करोड़ टन अतिरिक्त माल ढुलाई का लक्ष्य रखा है और उम्मीद की है कि बुनियादी क्षेत्र के स्वस्थ विकास से यह लक्ष्य हासिल हो जाएगा। माल ढुलाई से 1.17 लाख करोड़ रपये की आमदनी होने का अनुमान है।
 
अन्य कोचिंग और छोटी मोटी सेवाओं से रेलवे को अगले वित्त वर्ष में क्रमश: 6,185 करोड़ रुपए और 9,590 करोड़ रुपए की आय होने का अनुमान है।
 
आगामी वित्त वर्ष में रेलवे को पेंशन पर 45,500 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं। चालू वित्त वर्ष में रेलवे के वित्तीय कारोबार में 8,720 करोड़ रुपए की बचत दिखाई गई है।
 
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से रेलवे पर अगले वित्त वर्ष में दबाव बढ़ने और इस कारण परिचालन अनुपात (कुल आय के मुकाबले परिचालन खर्च) बिगड़ने का अनुमान है। बजट में वर्ष 2016-17 के दौरान परिचालन अनुपात बढ़कर 92 प्रतिशत पहुंचने का अनुमान लगाया गया है जो चालू वित्त वर्ष में 90 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
 
रेलवे ने अनुमान लगाया है कि वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बावजूद उसके साधारण खच में वृद्धि 11.16 प्रतिशत तक सीमित रहेगी। इसके लिए उसने डीजल और बिजली की खपत में कटौती की योजना बनाई है।
 
रेल मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि तीन नए मालगाड़ी मार्ग बनाए जाएंगे जिनमें एक उत्तर दक्षिण गलियारा दिल्ली से चेन्नई के बीच होगा, जबकि दूसरा पूरब पश्चिम गलियारा खड़गपुर से मुंबई और तीसरा पूर्वी तटीय गलियारा खड़गपुर को विजयवाड़ा से जोड़ेगा।
 
प्रभु ने अपने एक घंटे से अधिक के बजट भाषण में कहा कि इन तीन परियोजनाओं को उच्च प्राथमिकता देने का प्रस्ताव है ताकि इन परियोजना प्रस्तावों को तैयार करने, उनका ठेका देने और उन पर अमल करने का काम समय पर सुनिश्चित हो सके।
 
रेल मंत्री ने कहा कि इनके लिए धन की व्यवस्था पीपीपी- (निजी सरकारी भागीदारी) मॉडल सहित नए तरीकों से की जाएगी। रेल मंत्री ने यह भी कहा कि इन परियोजनाओं में चालू वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले सिविल इंजीनियरिंग काम के सारे ठेके दिए भी जा चुके होंगे।
 
प्रभु ने कहा कि उनके रेल मंत्रालय संभालने के बाद से 24,000 करोड़ रुपए के ठेके दिए जा चुके हैं, जबकि उससे पहले के छह साल में कुल मिलाकर 13,000 करोड़ रुपए के ठेके दिए गए थे। (भाषा)

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