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The Kerala story review : संवेदनशील मुद्दे पर गैर जिम्मेदाराना फिल्म द केरल स्टोरी

समय ताम्रकर
शुक्रवार, 5 मई 2023 (15:11 IST)
The Kerala story review द केरल स्टोरी के रिलीज होने के पहले दावा किया गया था कि केरल में 32 हजार लड़कियों का धर्म परिवर्तन कर उन्हें आतंकी बना दिया गया है। जब दावे पर आंच आने लगी तो इसे तीन लड़कियों की कहानी बता दिया गया। फिल्म के अंत में ये कहा गया है कि आरटीआई के जरिये 32 हजार लड़कियों के बारे में जानकारी मांगी गई थी तो एक वेबसाइट पर तलाश करने के लिए कहा गया जो ओपन ही नहीं हो पाई। इन बातों से फिल्ममेकर के दावे बहुत कमजोर हो गए कि वे किस आधार पर ये सब बातें कर रहे थे। 
 
'द केरल स्टोरी' (The Kerala story review) में गंभीर मुद्दा तो उठाया गया है, लेकिन उसके साथ न्याय नहीं किया गया है। फिल्म बहुत जल्दी रास्ता भटक जाती है और इस तरह से एक अच्छा विषय यूं ही बेकार चला गया।
 
केरल में रहने वाली नर्सिंग कॉलेज स्टूडेंट्स शालिनी उन्नीकृष्णन (अदा शर्मा) गीतांजलि (सिद्धी इदनानी), निमाह (योगिता बिहानी) और आसिफा (सोनिया बलानी) रूम मेट्स हैं। इनमें से दो हिंदू, एक ईसाई और एक मुस्लिम है। 
 
आसिफा के इरादे खौफनाक है। वह दूसरे धर्म की लड़कियों का ब्रेन वॉश करना शुरू कर देती है। इस्लाम को अन्य सभी धर्मों से बेहतर बताती है और दूसरे धर्मों का मजाक बनाती है। आसिफा एक संगठन से जुड़ी है जिसका काम है दूसरे धर्मों की लड़कियों के साथ लव जिहाद करते हुए उनसे इस्लाम कबूल करवाना और फिर आतंकी संगठन में धकेल देना। जल्दी ही शालिनी और गीतांजलि को आसिफा, रमीज और अब्दुल के निकट ले आती है और ये लड़कियां धीरे-धीरे दलदल में फंस जाती हैं।

 
द केरल स्टोरी (The Kerala story review) के निर्देशक और लेखक सुदीप्तो सेन का कहना है कि वे 7 साल से इस कहानी पर काम कर रहे थे, लेकिन बतौर लेखक सुदीप्तो अपने काम में गहराई नहीं ला पाए। स्क्रिप्ट में वो बात नहीं आ पाई कि जो इस विषय के लिए जरूरी थी। 
 
द केरल स्टोरी (The Kerala story review) पूरी तरह से ब्रेनवॉश की प्रक्रिया पर ही आधारित है और जिस तरह से ये दिखाया गया है वो बेहद बचकाना है। नर्सिंग का कोर्स कर रही लड़कियां आंख मूंद कर रमीज और अब्दुल द्वारा दी गई दवाई खा लेती हैं और ये बात उन्हें समझ ही नहीं आती कि वे एडिक्ट हो रही है। 
 
शालिनी का किरदार ऐसा है मानो उसके पास अक्ल की कमी हो। रमीज उसे गर्भवती कर भाग जाता है तो एक मौलवी कहता है कि वह इशाद से शादी कर ले। वह फौरन मान जाती है। शादी कर लेती है और उसके साथ अफगानिस्तान तक चली जाती है। 
 
आखिर एक पढ़ी-लिखी लड़की से इस तरह के व्यवहार की उम्मीद कैसे की जा सकती है? ब्रेनवॉश के दृश्य इस तरह से दिखाए गए हैं मानो कोई जादू कर रहा हो और सामने वाला पूरी तरह से उसके वश में हो।  

 
लेखन की एक और बड़ी कमी ये है कि इसमें सारे मुस्लिम पात्र 'खलनायक' दिखाए गए हैं। उनको ऐसे संवाद दिए गए हैं जो हिंदू और ईसाई धर्म के खिलाफ हो, जिससे इन धर्म के दर्शकों की भावनाएं आहत हों। 
 
मुस्लिम पात्र कहते हैं कि हिंदू लड़कियों को प्यार के जाल में फंसाओ, उनके साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाओ, उन्हें प्रेग्नेंट कर दो। इन बातों में कितनी सच्चाई है ये बताने में सुदीप्तो विफल रहे हैं। व्हाट्स एप पर जरूर ऐसी बातें होती रहती हैं, लेकिन इनका कोई सबूत नहीं होता।  
 
द केरल स्टोरी (The Kerala story review) का अंतिम भाग जरूर बैचेन करता है जब अफगान-ईरान की सीमा पर महिलाओं के साथ अत्याचार के सीन भयावह लगते हैं। इन दृश्यों में इसलिए सच्चाई लगती है क्योंकि इस तरह की कई घटनाओं का जिक्र मीडिया में कई बार हुआ है।
 
नि:संदेह शालिनी, गीतांजलि और निमाह के साथ बहुत गलत हुआ, लेकिन फिल्म मेकिंग और लेखन कमजोर होने के कारण बात में प्रभाव नहीं आ पाता। 
 
केरल में इतनी लड़कियों के साथ यदि कुछ गलत हुआ है तो सरकार, मानवाधिकार, विपक्षी दल, उन लड़कियों से जुड़े लोग इस बारे में क्या कर रहे हैं ये पक्ष भी फिल्म में उपेक्षित कर दिया गया है।
 
सुदीप्तो निर्देशक के रूप में भी प्रभावित नहीं करते। ऐसे विषय पर जो निर्देशक की पकड़ होना चाहिए वो फिल्म में नदारद है। अपने कलाकारों से वे अच्छी एक्टिंग भी नहीं करवा पाए। 
 
अदा शर्मा लीड रोल में हैं, लेकिन उनकी एक्टिंग दमदार नहीं है। उनके मुकाबले सिद्धी इदनानी, योगिता बिहानी और सोनिया बलानी ज्यादा प्रभावित करती हैं। अन्य कलाकार औसत रहे। 
 
द केरल स्टोरी (The Kerala story review) का गीत-संगीत थीम के अनुरूप है। तकनीकी स्तर पर फिल्म भी फिल्म औसत है। बैक ग्राउंड स्कोर दर्शकों की भावनाओं को भड़काने वाला है। 
 
द केरल स्टोरी (The Kerala story review)का विषय अतिसंवेदनशील है, इसे बेहतर और जिम्मेदारी से बनाया जाना था। 'सच' को सामने लाया जाना चाहिए, लेकिन तरीके से। 
 

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