Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

Samrat Prithviraj Movie Review: सम्राट पृथ्वीराज तो नहीं चूके पर अक्षय कुमार और चंद्रप्रकाश द्विवेदी चूक गए

Samrat Prithviraj Movie Review: सम्राट पृथ्वीराज तो नहीं चूके पर अक्षय कुमार और चंद्रप्रकाश द्विवेदी चूक गए

समय ताम्रकर

, शुक्रवार, 3 जून 2022 (13:52 IST)
सम्राट पृथ्वीराज फिल्म देखते समय लीड एक्टर अक्षय कुमार कभी भी पृथ्‍वीराज नहीं लगते। वे अक्षय कुमार ही लगते हैं। अक्षय कुमार इतने भी काबिल अभिनेता नही हैं कि वे किसी किरदार में घुस जाए। उनकी आवाज भी साथ नहीं देती। इस वजह से पृथ्वीराज जैसी शख्सियत के साथ वे न्याय नहीं कर पाते। यह बात फिल्म देखते समय लगातार खटकती रहती है। 
 
डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी बरसों से पृथ्वीराज पर फिल्म बनाने में लगे हुए थे। भारत के सबसे बड़े बैनर्स में से एक यशराज फिल्म्स का उन्हें साथ मिला और फिल्म का स्केल विशाल हो गया। डॉक्टर साहब ने फिल्म की पटकथा और संवाद लिखने के साथ-साथ निर्देशन का जिम्मा भी उठाया है। 
 
यदि आपको पृथ्‍वीराज चौहान के बारे में मोटी-मोटी जानकारियां मालूम हैं, तो उतनी ही जानकारियां यह फिल्म दिखाती है। फिल्म से डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी का नाम जुड़ा होने से यह आशा जागती है कि उन्होंने काफी विस्तृत जानकारियां फिल्म के लिए जुटाई होंगी तो निराशा ही हाथ लगती है। 
 
पृथ्वीराज-संयोगिता वाला प्रसंग, पृथ्वीराज और चंद वरदाई की जोड़ी, पृथ्‍वीराज और मुहम्मद गोरी का युद्ध, जयचंद की गद्दारी और अंत में दृष्टिहीन होने के बावजूद पृथ्वीराज का मुहम्मद गोरी को मारने वाला घटनाक्रम को ही फिल्म में फैलाया गया है। 
webdunia
इन प्रसंगों को जोड़ कर फिल्म बनाई गई है। पृथ्वीराज को सीधे सम्राट दिखाया गया है। इसके पहले की बातों का समावेश नहीं किया गया है। ऐसे कई दर्शक जो पृथ्वीराज के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, उन्हें फिल्म में अधूरापन लग सकता है।  
 
फिल्म में क्लाइमैक्स सीन को दो टुकड़ों में पेश किया गया है। फिल्म की शुरुआत और अंत में यह सीन आता है। नि:संदेह ये फिल्म का सबसे बेहतरीन सीक्वेंस है। इसमें पृथ्‍वीराज की बहादुरी को देख गर्व से सीना फूल जाता है और उनके साथ हुई गद्दारी को देख आंखें नम हो जाती है। इनके बीच में पूरी फिल्म को पेश किया गया है। 
 
डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने बतौर निर्देशक फिल्म को बनावटी बनने से रोका है। उन्होंने बेवजह की देशभक्ति दर्शाने वाले दृश्य और संवादों से परहेज किया है, लेकिन फिल्म में पृथ्वीराज के बहादुरी और शौर्य दिखाने वाले दृश्य और संवाद होने चाहिए थे। फिल्म देखते समय इनकी कमी खलती है। संवादों के जरिये दिखाया है कि पृथ्वीराज न्यायप्रिय, धर्म और राष्ट्र को सर्वोपरि मानने वाले, महिलाओं का सम्मान करने वाले सम्राट थे। बेहतर होता कि इन बातों को पेश करने के लिए कुछ दमदार सीन बनाए जाते। 
webdunia
पृथ्वीराज और संयोगिता का प्रेम वाला घटनाक्रम भी अधूरा-सा लगता है। इसके लिए बेस तैयार किए बिना सीधे-सीधे पेश कर दिया गया है, इससे इन दोनों का प्रेम दर्शकों के दिलों को छू नहीं पाता है। युद्ध के दृश्य बहुत गहरा असर नहीं छोड़ते। ठीक है कि इन्हें ज्यादा फुटेज नहीं दिए गए हैं, लेकिन पृथ्वीराज की बहादुरी दिखाने का अवसर इन दृश्यों में ही था। 
 
फिल्म में कुछ बेहतरीन दृश्य हैं जो दर्शकों पर असर छोड़ते हैं। शुरुआती और अंत के दृश्य के अलावा, पृथ्‍वीराज का संयोगिता को स्वयंवर से ले जाना, काका और साथियों के बीच की चुहलबाजी, संयोगिता को पृथ्वीराज द्वारा दरबार में स्थान देना और आपत्ति लेने वालों को जवाब देना जैसे सीन फिल्म देखते समय आंदोलित करते हैं, लेकिन इस तरह के दृश्यों की संख्‍या कम है। 
 
लेखक के रूप में डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी बहुत ज्यादा जानकारियां नहीं दे पाए। संवाद उनके कुछ दृश्यों में दमदार हैं, लेकिन ऐतिहासिक फिल्मों के लिए जिस तरह के संवाद की जरूरत होती है, उस स्तर तक कम ही पहुंच पाते हैं। 
निर्देशक के रूप में डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने फिल्म को ओवर द टॉप नहीं होने दिया, लेकिन कहने को बहुत कुछ था उतना वे कह नहीं पाए। घटनाक्रमों को जोड़ने में कल्पनाशीलता का अभाव नजर आता है। बिना भूमिका बनाए उन्होंने सीधे-सीधे बात को पेश कर दिया है, जिससे फिल्म दर्शकों पर पकड़ नहीं बना पाती। 
 
वरुण ग्रोवर ने उम्दा गीत लिखे हैं और निर्देशक ने उनका इस्तेमाल फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए किया है। शंकर-एहसान-लॉय का संगीत उम्दा है। वैभवी मर्चेण्ट की कोरियोग्राफी देखने लायक है।  
 
जितनी फिल्म के बजट को लेकर चर्चा है उतनी भव्यता फिल्म में नजर नहीं आती। कॉस्ट्यूम डिजाइन उल्लेखनीय है। सिनेमाटोग्राफी, बैकग्राउंड म्यूजिक और सेट उम्दा है।  
 
अक्षय कुमार मिसफिट लगे। मानुषी छिल्लर को बहुत ज्यादा दृश्य तो नहीं मिले, लेकिन जितने भी मिले उसमें उनका आत्मविश्वास नजर आया है। एक गीत में उनका नृत्य भी देखने लायक है। संजय दत्त को चुटीले संवाद मिले हैं जिससे उनका किरदार अच्छा लगता है। सोनू सूद प्रभावित करते हैं। आशुतोष राणा, मानव विज, साक्षी तंवर ने अपने-अपने किरदारों को अच्छे से निभाया है। 
 
फिल्म सम्राट पृथ्वीराज के साथ समस्या ये है कि ये दर्शकों से कनेक्ट नहीं हो पाती। एक महान नायक की शौर्यगाथा दिखाने वाले तत्व फिल्म में कम हैं। 
  • बैनर : यशराज फिल्म्स
  • निर्माता : आदित्य चोपड़ा
  • निर्देशक : चंद्रप्रकाश द्विवेदी
  • संगीत : शंकर-एहसान-लॉय
  • कलाकार : अक्षय कुमार, मानुषी छिल्लर, संजय दत्त, सोनू सूत, आशुतोष राणा, मानव विज, साक्षी तंवर
  • सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 15 मिनट 39 सेकंड 
  • रेटिंग : 2.5/5 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

मैं बीवी किसकी हूं : हसबैंड वाइफ का मस्त चुटकुला