साजिद नाडियाडवाला बड़े प्रोड्यूसर हैं। खुद कहानी लिख कर फिल्म बना सकते है। तो उन्होंने 'हीरोपंती 2' की कहानी लिख डाली। हीरोपंती से उन्होंने टाइगर श्रॉफ को ब्रेक दिया था और यह फिल्म सेमी हिट रही थी, लिहाजा सीक्वल प्लान कर लिया। दोनों फिल्मों की कहानी अलग है। समानता के नाम पर दोनों फिल्मों के मुख्य किरदार का नाम बबलू और एक संवाद है।
साजिद ने एक निहायत ही औसत दर्जे की कहानी पर फिल्म बनाने की जिम्मेदारी अहमद खान पर सौंपी। अहमद ने इस कहानी में कुछ फाइट सीन और गाने फिट किए और 'हीरोपंती 2' तैयार हो गई। इसे 'मसाला फिल्म' नाम दे दिया गया, लेकिन दक्षिण भारतीय मसाला फिल्म और बॉलीवुड की मसाला फिल्मों में बड़ा फर्क है। दक्षिण भारतीय मसाला फिल्मों में मनोरंजन को महत्व देते हुए कुछ नया भी दिखाया जाता है। प्रस्तुतिकरण पर जोर दिया जाता है, और यही बात बॉलीवुड मसाला फिल्मों से गायब है।
कहानी एक हैकर बबलू (टाइगर श्रॉफ) और क्रिमिनल लैला (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की है। लैला चाहता है कि बबलू सभी बैंक के अकाउंट एक साथ हैक कर सारा पैसा उसके खाते में जमा कर दे। लैला की बहन इनाया (तारा सुतारिया) को बबलू चाहता है। अब कहानी के अंत में क्या होने वाला है ये तो सभी को पता है, लेकिन अहमद खान ने फिल्म को कुछ इस तरह से बनाया है कि रोमांस, ड्रामा, इमोशन होने के बावजूद भी फिल्म बिलकुल अपील नहीं करती।
रजत अरोरा का स्क्रीनप्ले और अहमद खान का निर्देशन कुछ इस तरह का है कि दर्शक कन्फ्यूज होते रहते हैं। फिल्म अतीत में जाती है और फिर वर्तमान में आती है और यह समझ ही नहीं आता कि बात अतीत की हो रही है कि वर्तमान की। इससे फिल्म देखने में बिलकुल भी मजा नहीं आता।
सब कुछ फॉर्मूला आधारित लगता है कि एक फाइट सीन हो गया, अब एक इमोशनल सीन डाल दो, उसके बाद गाना डाल दो, भले ही इन दृश्यों में आपसी जुड़ाव हो या न हो। कुछ सीक्वेंस में तो कन्टिन्यूटी भी नजर नहीं आती। जब आप इतने बड़े बजट की फिल्म बना रहे हो और फिल्म ग्रामर की बेसिक बात का ध्यान भी नहीं रख पा रहे हो तो यह फिल्म से जुड़े लोगों पर सवालिया निशान है। लॉजिक वगैरह की तो बात ही छोड़ दीजिए। सिर्फ कुछ स्टंट सीन ही है जो थोड़ा-बहुत अपील करते हैं क्योंकि बिना ठोस कहानी और स्क्रीनप्ले के एक्शन सीक्वेंस कितना दम मार सकते हैं?
टाइगर श्रॉफ अब टाइप्ड होते जा रहे हैं। हीरोपंती और बागी के अलावा कुछ नहीं सोच रहे हैं। स्टंट को ही एक्टिंग समझ बैठे हैं। अब उन्हें कुछ नया करना चाहिए। हीरोपंती 2 में उनके स्टंट सीन भले ही उम्दा हो, लेकिन अभिनय के मामले में उनके नंबर औसत से भी कम रहे हैं। तारा सुतारिया सिर्फ ग्लैमर डॉल लगी। नवाजुद्दीन सिद्दीकी की एक्टिंग अच्छी है, हालांकि कुछ दृश्यों में वे ओवरक्टिंग करते दिखाई दिए।
एआर रहमान द्वारा संगीतबद्ध गाने उनकी ख्याति के अनुरूप नहीं हैं। एक्शन दृश्यों के लिए एक्शन डायरेक्टर्स की मेहनत नजर आती है। कबीर लाल की सिनेमाटोग्राफी तारीफ के काबिल है।
कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जिनके पोस्टर से भी दूर रहना चाहिए। हीरोपंती 2 ऐसी ही मूवी है।
बैनर : नाडियाडवाला ग्रैंडसन एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन
निर्माता : साजिद नाडियाडवाला
निर्देशक : अहमद खान
कलाकार : टाइगर श्रॉफ, तारा सुतारिया, नवाजुद्दीन सिद्दीकी