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फुरसत फिल्म समीक्षा : iPhone14pro से शूट की गई फिल्म देती है भविष्य का इशारा

समय ताम्रकर
गुरुवार, 9 फ़रवरी 2023 (16:11 IST)
इस दौर में फिल्म बनाना इतना आसान हो गया है कि आपमें जुनून है तो आप यह काम कर सकते हैं। फिल्म को रिलीज करने के लिए  प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध हैं और सिनेमा के विद्यार्थियों के सामने ऐसा अवसर पहले कभी नहीं था। 
 
विशाल भारद्वाज बॉलीवुड के उन फिल्ममेकर्स में से हैं जो अपनी फिल्मों, उसके विषय और मेकिंग के कारण चर्चा में रहते हैं। विशाल ने हाल ही में फुर्सत नामक शॉर्ट फिल्म निर्देशित की है जो सिनेमा के स्टूडेंट्स और उन लोगों के सामने उदाहरण पेश करती है जो लोग संसाधनों की कमी का रोना रोते रहते हैं। 
 
इस फिल्म की खास बात ये है कि ये मोबाइल से शूट की गई है। आईफोन 14 प्रो के जरिये इस आधे घंटे की मूवी को बनाया गया है और कुछ दृश्य देख कर तो यकीन ही नहीं होता कि इस फिल्म को मोबाइल की आंख से कैद किया गया है। 
 
विशाल ने आईफोन 14 प्रो की खूब टेस्ट ली है। पानी के अंदर, रेगिस्तान की चिलचिलाती धूप में, कम लाइट में, रंग-बिरंगे बैकड्रॉप में शूटिंग की है और दिखाया है कि मोबाइल से भी किस तरह से अच्छी शूटिंग की जा सकती है। 
 
यह एक म्यूजिकल ड्रामा है। आधे घंटे की फिल्म में तीन-चार गाने है, एक्शन सीक्वेंस है, भागा-दौड़ी है, और टाइम ट्रेवल की कहानी है। कहानी को और बात को गाने के सहारे आगे बढ़ाया गया है और इन गानों को खूब कोरियोग्राफ किया गया है। फिल्म कहती है कि वर्तमान को जिया जाए और इससे बेहतर कुछ और नहीं। 
 
फिल्म को इस तरह बनाया गया है कि दर्शक बजाय कहानी के इस बात से प्रभावित होते हैं कि फिल्म को एक मोबाइल से कितने बेहतरीन तरीके से शूट किया गया है। शुरुआत जोरदार है, लेकिन अंत बहुत ही सुविधाजनक तरीके से किया गया है और कुछ किरदारों को तो उभरने का मौका ही नहीं मिलता। चूंकि बड़े नाम जुड़े है इसलिए उम्मीद का ज्यादा होना भी स्वाभाविक है। लेकिन आधे घंटे में बहुत कुछ दिखाने में विशाल कामयाब रहे हैं। गीतों का उन्होंने बेहतरीन उपयोग किया है। 
 
ईशान खट्टर नेचरल रहे हैं। विशाल के निर्देशन के कारण उनके अंदर का कलाकार और निखर गया है। वामिका गब्बर ने भी अपना काम अच्छे से किया है। दोनों कलाकारों ने डांस भी बढि़या परफॉर्म किया है। सलीम युसुफ खान डकैत बने हैं और मजेदार तरीके से उन्होंने किरदार निभाया है। स्वप्निल सोनावने की फोटोग्राफी तारीफ के लायक है। 
 
फिल्म जिस उद्देश्य के लिए बनाई गई है उसमें ये काम दिखा जाती है कि मोबाइल से भी इस तरह की फिल्में बनाई जा सकती हैं। फिल्म का नायक भविष्य में झांक सकता है, क्या यह फिल्म भी भविष्य की फिल्म मेकिंग की तकनीक का इशारा कर रही है। फुरसत हो तो देख लीजिए।

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