कलाकार कई बार अपनी भूमिकाओं को वास्तविक बनाने के लिए इतनी मेहनत करते हैं कि हैरत होती है। सरबजीत का रोल निभाने के लिए रणदीप हुड्डा कई दिनों तक भूखे-प्यासे रहे थे। राजकुमार राव ने अपनी भूमिका के लिए एक कमरे में कई दिनों तक अकेले बंद रहे थे। ऐसा नहीं है कि आज कल के हीरो ही यह काम करते हैं। पहले के हीरो भी अपनी भूमिकाओं में जान डालने के लिए किसी भी हद तक चले जाते थे।
बात करते हैं मिथुन चक्रवर्ती की। मिथुन ने एक फिल्म की थी जिसका नाम है 'जोर लगा के... हय्या'। इस फिल्म में मिथुन ने भिखारी का रोल निभाया था और उन्हें एक ही ड्रेस लगातार पहन कर रखनी थी क्योंकि भिखारी के पास इतना पैसा तो रहता नहीं कि वह रोजाना कपड़े बदल सके।
तो मिथुन ने कई दिनों तक उस ड्रेस को पहनकर शूटिंग की। उस ड्रेस को मिथुन के कहने पर धोया भी नहीं गया। मिथुन चाहते थे कि वे उन कपड़ों में गंदे लगे ताकि उनकी भूमिका में वास्तविकता नजर आए।
फिल्म के निर्माता कार्तिकेय तलरेजा का इस बारे में कहना था- उन गंदे कपड़ों को पहनना मिथुन को पसंद नहीं था, लेकिन अपनी भूमिका को देखते हुए उन्होंने कभी नखरे नहीं दिखाए।
मिथुन की अपने काम के प्रति इतनी लगन का ही यह परिणाम है कि उन्होंने बॉलीवुड में इतनी लंबी पारी खेली।