बात उन दिनों की है जब फिल्म में हीरो या हीरोइन बनने के लिए रंग और रूप पर खास ध्यान दिया जाता था। यदि कोई सांवला या सांवली है तो उसके अवसर खत्म। कोई उसे मौका नहीं देता था। पुरानी फिल्मों में तो हीरो भी हीरोइन जैसे मेकअप किया करते थे।
अजय देवगन ने जब हीरो बनने की सोची तो उनका मजाक बनाने वाले कम नहीं थे। अजय साधारण सूरत वाले इंसान हैं और इसे उन्होंने कभी कमी नहीं माना। उल्टे उन हीरो से ज्यादा सफलताएं हासिल की जो दिखने में उनसे मीलो आगे हैं।
फाइट मास्टर वीरू देवगन के बेटे ने जब फूल और कांटे साइन की तो लोगों ने निर्माता-निर्देशक को समझाया कि किसे हीरो ले रहे हो। फिल्म पहले शो से फ्लॉप हो जाएगी।
अजय की शक्ल-सूरत की खिल्ली उड़ाई गई, लेकिन अमिताभ बच्चन की राय सबसे जुदा थी। बिग बी ने चेहरे के पीछे के अभिनेता को पढ़ लिया। उन्होंने अजय को डार्क हॉर्स कहा। यानी कि ऐसा इंसान जिसकी जीत पर किसी को यकीन नहीं होता है और वह नंबर वन आ जाता है।
अमिताभ की भविष्यवाणी सही साबित हुई और बिग बी की कसौटी पर अजय खरे उतरे। पहली फिल्म से ही अजय देवगन बॉलीवुड में छा गए।
अजय देवगन की पहली फिल्म फूल और कांटे यश चोपड़ा की लम्हें के सामने रिलीज हुई थी। लम्हें में अनिल कपूर और श्रीदेवी जैसे सितारे थे। फिल्म का खूब जम कर प्रचार-प्रसार किया गया था।
फूल और कांटे के निर्माता को लोगों ने सलाह दी कि वे अपनी फिल्म को 'लम्हें' के सामने प्रदर्शित ना करें, लेकिन वे नहीं माने। अजय की फिल्म ने न केवल लम्हें से जमकर टक्कर ली बल्कि सफल भी हुई। उसके बाद अजय ने फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा।