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'द कपिल शर्मा शो' बन गया 'महफिल ए नज्म', शैलेश लोढ़ा, पॉपुलर मेरठी, संजय झाला और मुमताज नसीम ने बांधा समां

'द कपिल शर्मा शो' बन गया 'महफिल ए नज्म', शैलेश लोढ़ा, पॉपुलर मेरठी, संजय झाला और मुमताज नसीम ने बांधा समां
, गुरुवार, 20 जनवरी 2022 (17:20 IST)
सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के कॉमेडी शो 'द कपिल शर्मा शो' में इस वीकेंड आज के दौर के सबसे मशहूर कवियों को आमंत्रित किया गया है, जिनमें शैलेश लोढ़ा, पॉपुलर मेरठी, संजय झाला और मुमताज़ नसीम जैसे कवि शामिल होंगे। 
 
 
इस शो के कवि स्पेशल एपिसोड में एक अनोखी प्रस्तुति दी जाएगी, जिसमें इन सभी मेहमानों के साथ शायरी और कवि सम्मेलन का आयोजन होगा। इतना ही नहीं, होस्ट कपिल शर्मा और शो के बाकी कलाकार कीकू शारदा, कृष्णा अभिषेक, चंदन प्रभाकर और रोशेल राव के साथ जोरदार हंसी-मजाक का भी दौर चल पड़ेगा।
 
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अपने मेहमानों के साथ चर्चा के दौरान कपिल शर्मा ने कवि पॉपुलर मेरठी से जानना चाहा कि उन्होंने अपने नाम के आगे 'पॉपुलर' शब्द क्यों लगाया है। वैसे इस विश्व प्रसिद्ध कवि का असली नाम डॉ. सैयद एजाज़ुद्दीन शाह है। उन्होंने बताया कि यह उनका मंच का नाम है। 
 
पॉपुलर मेरठी बताते हैं, असल में मैं आकाशवाणी रेडियो में काम कर रहा था। तो सभी लोग मुझसे कहते थे कि आप इतने पॉपुलर हैं, आप रेडियो पर आते हैं। हालांकि उस समय मेरा पेन नेम कुछ अलग था क्योंकि मैं व्यंग्य वाली कविताएं लिखता था। तो फिर मैंने सोचा कि क्यों ना अपना नाम 'पॉपुलर' ही रख लूं, क्योंकि जो लोग हास्य कविताएं और व्यंग्य लिखते हैं, उनके बड़े अलग और अनोखे पेन नेम होते हैं जैसे 'झंझट', 'पुचपुच' आदि। तो मैंने भी अपना नाम 'पॉपुलर' रख लिया और लोगों को यह बहुत पसंद आया।
 
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सभी जानते हैं कि शैलेश लोढ़ा न सिर्फ एक बेहतरीन एक्टर और कॉमेडियन हैं, बल्कि एक शानदार कवि भी हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं से दर्शकों का काफी मनोरंजन किया है। न सिर्फ शैलेश खूबसूरत कविताएं लिखते हैं बल्कि उनकी पत्नी स्वाति लोढ़ा भी एक अच्छी कवियत्री हैं। जब होस्ट कपिल शर्मा ने उनसे पूछा कि क्या उनकी शादी के समय उनकी कुंडलियों से पहले उनकी कविताएं मिलाई गई थीं।
 
इसपर शैलेश लोढ़ा ने कहा, हां, उनकी किताब मेरी किताब से पहले प्रकाशित हुई थी। उनकी किताब का नाम था 'सुरभि' और वो उस वक्त छपी थी, जब वो 12वीं कक्षा में थीं। भले ही हमारी शादी से पहले हमारी कविताओं का मिलान नहीं किया गया था, लेकिन बाद में ऐसा जरूर हुआ। हिंदी साहित्य में पहली बार यह एक अनोखा संगम था। हमारी कविताएं एक ही किताब में छपी थीं, जिसका नाम है 'एक बात तेरी, एक बात मेरी'। इस किताब में 40 कविताएं हैं, जिसमें एक पन्ने पर उनकी कविता है और दूसरे पन्ने पर मेरी।
 
अपने मेहमानों से चर्चा करते हुए कपिल शर्मा ने उम्दा कवियत्री मुमताज़ नसीम से पूछा कि उन्होंने किस तरह लिखना शुरू किया था। इस पर मुमताज़ ने अपने शब्दों की तरफ अपने पहले कदम के बारे में बताते हुए कहा, जब मैं छोटी थी, तो मैं साइकिल से स्कूल जाती थी। वहां एक लड़का था, जो साइकिल से मेरे पास आता था। वो आगे चलता था और मैं अपने रास्ते पर जाती थी। हम दोनों में से किसी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन फिर मैंने कविताओं के जरिए खुद को ज़ाहिर किया। मैं सिर्फ कविताओं के जरिए ही बात करती थी। इसके अलावा कुछ भी नहीं हुआ।

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