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बतौर प्रोड्यूसर रणधीर कपूर को संगीतकार रविंद्र जैन ने दिलाई थी उनकी पहली फिल्म

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शनिवार, 26 सितम्बर 2020 (17:57 IST)
जी टीवी का पॉपुलर सिंगिंग रियलिटी शो 'सारेगामापा लिटिल चैंप्स' अपने शानदार कंटेस्टेंट्स की एक से बढ़कर एक परफॉर्मेंस के साथ सभी का दिल जीत रहा है। इस पॉपुलर रियलिटी शो में अमोल पालेकर और अन्नू कपूर जैसे बॉलीवुड सितारों के साथ 80 का दशक सेलिब्रेट करने के बाद अब हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के एक और मशहूर एक्टर रणधीर कपूर के साथ वही क्लासिक दौर जारी रहेगा।

 
आने वाले एपिसोड में जहां कंटेस्टेंट्स अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंस से सभी को मंत्रमुग्ध कर देंगे, वहीं रणधीर कपूर भी इस मौके पर कुछ दिलचस्प राज़ खोलेंगे। शूटिंग के दौरान यंग लिटिल चैम्प आर्यनंदा बाबू को 'राम तेरी गंगा मैली' का गाना 'इक राधा, इक मीरा' गाते हुए सुनकर रणधीर कपूर उस वक्त में लौट गए जब इस फिल्म से उन्होंने एक प्रोड्यूसर के रूप में डेब्यू किया था। 
 
अपने उस सफर को याद करते हुए रणधीर कपूर ने कहा, मैं और मेरे दोनों भाई, राज कपूर के साथ एक शादी में दिल्ली गए थे। उसी शादी में रविंद्र जैन एक ऑर्केस्ट्रा में परफॉर्म कर रहे थे। उन्होंने इक राधा इक मीरा गाया था, जो पापा को बहुत अच्छा लगा। अगले दिन एक दूसरे फंक्शन में हमने रविंद्र जैन को वहां भी परफॉर्म करते हुए देखा। तब राज कपूर ने उनसे वही गाना दोबारा सुनाने की गुजारिश की। 
 
रविंद्र ने यह गाना सुनाने के बाद बताया कि यह उनकी अपनी कंपोजीशन है और यह गाना किसी फिल्म से जुड़ा नहीं है। तब मेरे पिता ने मुझसे 25,000 रुपए का चेक साइन करके उन्हें देने को कहा, क्योंकि वो इस गाने पर आधारित एक फिल्म बनाना चाहते थे। इस वजह से मैं उस फिल्म (राम तेरी गंगा मैली) का प्रोड्यूसर बना, क्योंकि वो चेक मैंने दिया था।
 
इसी दौरान एक अन्य कंटेस्टेंट गुरकीरत सिंह की परफॉर्मेंस के बाद रणधीर कपूर ने जजों और ज्यूरी सदस्यों को एक और दिलचस्प किस्सा सुनाते हुए बताया कि उनके दादाजी पृथ्वीराज कपूर ने मशहूर फिल्म 'आवारा' में राज कपूर के पिता का रोल करने से मना कर दिया था। 
 
रणधीर कपूर ने बताया, उस समय जिन लोगों ने मेरे पिता के साथ काम किया था, मैंने उनसे सुना है कि दादाजी पृथ्वीराज कपूर ने फिल्म आवारा में काम करने से मना कर दिया था। वो उस समय भी एक स्टार थे और फिल्मों में हीरो के रोल निभा रहे थे, इसलिए वो एक बाप का रोल नहीं निभाना चाहते थे। राज कपूर जी थोड़े डरे हुए थे कि वो कैसे उनसे संपर्क करें। 
 
फिर उन्होंने इस फिल्म के लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास को उन्हें राजी करने के लिए भेजा। उन्होंने पृथ्वीराज जी को यह कहकर मना लिया कि वे ही फिल्म के असली हीरो हैं और राज कपूर तो सेकंड लीड निभा रहे हैं। इस तरह उन्होंने मेरे दादाजी को मना लिया।
 

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