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पुण्यश्लोक अहिल्याबाई : 'माहेश्वरी साड़ी अध्याय' के साथ सामने आएगा अहिल्याबाई का एक और सशक्त अभियान

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बुधवार, 16 फ़रवरी 2022 (13:30 IST)
भारतीय इतिहास में ऐसी कई साहसिक महिलाएं हुई हैं, जिन्होंने अपनी नेकदिली, बुद्धिमानी, शक्ति और गुणों से दुनिया पर राज किया है। ऐसी ही एक शानदार और नेक मिसाल हैं मातोश्री अहिल्याबाई होल्कर - एक अपराजेय मराठा रानी। सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन का महाधारावाहिक 'पुण्यश्लोक अहिल्याबाई' एक ऐसी रानी के सफर पर ले जाता है, जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता से शांति और समृद्धि स्थापित की और यह साबित किया कि कोई भी इंसान अपने लिंग या जन्म से नहीं, बल्कि अपने कर्मों से महान होता है।

 
इस शो में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रहे ऐतशा संझगिरी, राजेश श्रृंगारपुरे और गौरव अमलानी अब अहिल्याबाई के एक दिलचस्प और प्रेरणादायक अध्याय की ओर बढ़ रहे हैं, जिसने मालवा का भाग्य हमेशा के लिए बदल दिया।
 
अपने समय से काफी आगे की सोच रखने वालीं अहिल्याबाई ने अपने ससुर मल्हार राव होल्कर के अटूट समर्थन के साथ ऐसे दौर में महिला शिक्षा और सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त किया, जब समाज के दकियानूसी नियम और पुरुषवादी सोच का बोलबाला था। 
 
इस समय इस शो में चल रहे ट्रैक ने दर्शकों की दिलचस्पी काफी बढ़ा दी है, जहां अहिल्याबाई होल्कर मालवा के आर्थिक विकास में सुधार लाने की कोशिश कर रही हैं। अहिल्याबाई ये मानती हैं कि अपने संसाधनों और कुशलता के साथ धनराशि जुटाई जा सकती है और इस तरह वो माहेश्वरी साड़ियों का सफर शुरू करती हैं। ऐसे दौर में जहां सभी का यह मानना था कि एक औरत की काबिलियत सिर्फ घर तक सीमित होती है, वहीं अहिल्याबाई जानती थीं कि हर साम्राज्य में महिलाएं एक बड़ी कार्य शक्ति बन सकती हैं। 
 
जहां अहिल्या नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देती हैं और समाज में उनके अधिकारों के लिए लड़ती हैं, वहीं उनकी जिंदगी का यह अध्याय न सिर्फ सबका मनोरंजन करेगा, बल्कि सभी को एक बड़ा सबक भी देगा जिसमें वो यह साबित करेंगे कि साड़ी सिर्फ एक औरत का प्रतीक नहीं, बल्कि उसकी शक्ति भी है।
 
इस कहानी के बारे में बताते हुए एक्ट्रेस ऐतशा संझगिरी कहती हैं, साल 2022 की शुरुआत में इस शो ने सफलतापूर्वक एक साल पूरे कर लिए, जो सभी कलाकारों और क्रू सदस्यों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इस शो ने अहिल्याबाई होल्कर के जीवन के कई दिलचस्प अध्याय दिखाए हैं, जिसने ना सिर्फ दर्शकों का मनोरंजन किया बल्कि उन्हें कुछ अच्छी सीख भी दी, जो आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। 
 
उन्होंने कहा, चाहे वो शिक्षा का अधिकार हो, विधवा पुनर्विवाह हो या महिला सशक्तिकरण, अहिल्याबाई हमेशा सही बात के लिए खड़ी रहीं और न्याय की खातिर समाज के दकियानूसी नियमों पर सवाल भी उठाए। और अब हमें उनकी जिंदगी का एक और प्रेरणादायक अध्याय सामने लाते हुए बेहद गर्व हो रहा है। 
 
माहेश्वरी साड़ी अध्याय ने हमेशा के लिए मालवा का भविष्य बदल दिया। इससे न सिर्फ मालवा के आर्थिक विकास में मदद मिली, बल्कि इसने महिलाओं को भी ज्यादा सशक्त बनाया और उनमें आत्मविश्वास जगाया। यह कहने की जरूरत नहीं कि अहिल्याबाई ने इतिहास में अपना एक मुकाम हासिल किया और मुझे इस बात की खुशी है कि मुझे दर्शकों को यह कहानी दिखाने का मौका मिल रहा है।
 

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