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फिल्म इंडस्ट्री के स्टाइल आइकॉन थे फिरोज खान, ठुकरा दिए थे कई फिल्मों के ऑफर

1960 में फिल्म 'दीदी' में फिरोज खान को पहली बार अभिनय करने का मौका मिला

फिल्म इंडस्ट्री के स्टाइल आइकॉन थे फिरोज खान, ठुकरा दिए थे कई फिल्मों के ऑफर

WD Entertainment Desk

, शनिवार, 27 अप्रैल 2024 (13:55 IST)
Firoz Khan Death Anniversary: फिल्म इंडस्ट्री में फिरोज खान को स्टाइल आइकॉन के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने नायक की परंपरागत छवि के विपरीत अपनी एक विशेष शैली गढ़ी जो आकर्षक और तड़क-भड़क वाली छवि थी। 25 सितंबर 1939 को बेंगलूरू में जन्में फिरोज खान ने बेंगलूरू के बिशप कॉटनब्वायज स्कूल और सेंट जर्मन ब्वायज हाई स्कूल से पढ़ाई की और अपनी किस्मत आजमाने के लिए मुंबई आ गए।
 
वर्ष 1960 में फिल्म 'दीदी' में फिरोज खान को पहली बार अभिनय करने का मौका मिला। इस फिल्म में वह सहनायक थे। इसके बाद अगले पांच साल तक अधिकतर फिल्मों में उन्हें सहनायक की भूमिकाएं ही मिलीं। जल्दी ही उनकी किस्मत का सितारा चमका और उन्हें 1965 में फणी मजूमदार की फिल्म 'ऊंचे लोग' में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में फिरोज खान के सामने अशोक कुमार और राजकुमार जैसे बड़े कलाकार थे, लेकिन अपने भावप्रवण अभिनय से वह दर्शकों में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे।
वर्ष 1965 में ही फिरोज खान की एक और फिल्म आरजू प्रदर्शित हुई, जिसमें राजेन्द्र कुमार नायक और साधना नायिका थीं। इस फिल्म में उन्होंने अपने प्रेम की कुबार्नी देने वाले युवक का किरदार निभाया। 1969 में उनकी फिल्म आदमी और इंसान प्रदर्शित हुई। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ सहनायक का पुरस्कार मिला। फिरोज खान अपने भाई संजय खान के साथ भी कुछ फिल्मों में दिखाई दिए, जिनमें उपासना, मेला, नागिन जैसी हिट फिल्में शामिल हैं।
 
वर्ष 1972 में प्रदर्शित फिल्म अपराध से फिरोज खान ने निर्माता-निर्देशक के रूप में अपनी पारी की सफल शुरुआत की। इसके बाद फिरोज खान ने धमार्त्मा, कुबार्नी, जांबाज, दयावान, यलगार, प्रेम अगन और जानशीं जैसी कुछ फिल्मों का निर्माण किया। फिल्म निर्माण और निर्देशन के क्रम में फिरोज खान ने हिन्दी फिल्मों में कुछ नयी बातों का आगाज किया। 
 
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अपराध भारत की पहली फिल्म थी, जिसमें जर्मनी में कार रेस दिखाई गई थी। धर्मात्मा की शूटिंग के लिए वह अफगानिस्तान के खूबसरत लोकशनों पर गए। इससे पहले भारत की किसी भी फिल्म का वहां फिल्मांकन नहीं किया गया था। फिरोज खान ने अपने करियर की सबसे हिट फिल्म कुबार्नी से पाकिस्तान की पॉप गायिका नाजिया हसन के संगीत करियर की शुरुआत कराई। 
 
फिरोज खान उन चंद अभिनेताओं में एक थे, जो अपनी ही शर्त पर फिल्म में काम करना पसंद करते थे। इस वजह से उन्होंने कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव ठुकरा दिए थे। राजकपूर की फिल्म संगम में राजेन्द्र कुमार और आदमी फिल्म में मनोज कुमार वाली भूमिका के लिए उन्होंने मना कर दिया था।
 
वर्ष 2003 में फिरोज खान ने अपने पुत्र फरदीन खान को लांच करने के लिये जानशीन का निर्माण किया। बॉलीवुड में लेडी किलर के नाम से मशहूर फिरोज खान ने चार दशक लंबे सिने करियर में लगभग 60 फिल्मों में अभिनय किया। फिरोज खान ने फिल्म निर्माण की अपनी विशेष शैली बनाई थी।
 
फिरोज खान की निर्मित फिल्मों पर नजर डालें तो उनकी फिल्में बड़े बजट की हुआ करती थीं जिनमें बड़े-बड़े सितारे आकर्षक और भव्य सेट, खूबसूरत लोकेशन, दिल को छू लेने वाला गीत, संगीत और उम्दा तकनीक देखने को मिलती थी। अपने विशिष्ट अंदाज से दर्शकों के बीच खास पहचान वाले फिरोज खान 27 अप्रैल 2009 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।
 

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