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सलमा आगा : दिल के अरमां आंसुओं में बहने की दास्तां

सलमा आगा : दिल के अरमां आंसुओं में बहने की दास्तां

समय ताम्रकर

, रविवार, 26 मई 2024 (07:02 IST)
Salma Agha: बॉलीवुड में कपूर खानदान की जड़ें इतनी गहरी हैं कि कहीं ना कहीं हर कलाकार इनका रिश्तेदार बन ही जाता है। अब सलमा आगा को लीजिए। ये कपूर्स की दूर की रिश्तेदार हैं और इसी का फायदा लेते हुए उन्होंने बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘निकाह’ हासिल की थी।
 
ऋषि कपूर और नीतू सिंह की शादी का रिसेप्शन राज कपूर ने लंदन में दिया था। सलमा की अम्मी को भी इसमें बुलाया गया था। बॉलीवुड के भी कई दिग्गज निर्माता-निर्देशक भी इस रिसेप्शन में हिस्सा लेने मुंबई से आए थे। इनमें बीआर चोपड़ा भी थे।
 
फिल्मी पार्टियों में अक्सर निर्माता-निर्देशक अपनी फिल्मों की चर्चा करते हैं। नए चेहरे तलाश की तलाश में रहते हैं। बातों ही बातों में राज कपूर ने कहा कि वे अपनी फिल्म हिना के लिए एक पाकिस्तानी अभिनेत्री की तलाश में हैं।
 
बीआर चोपड़ा ने भी बताया कि वे आगामी फिल्म ‘तलाक तलाक तलाक’ के लिए एक नई मुस्लिम अभिनेत्री चाहते हैं क्योंकि मुस्लिम पृष्ठभूमि की कहानी होने की वजह से उन्हें लगता है कि एक मुसलमान अदाकारा इस रोल के साथ बेहतर न्याय कर सकेंगी।
 
सलमा तक ये सारी बातें पहुंच गईं। राज कपूर ने ‘हिना’ की बजाय दूसरी फिल्म शुरू कर दी तो बीआर चोपड़ा की फिल्म हासिल करने के लिए सलमा मुंबई आ पहुंची।
 
‘निकाह’ की दुल्हन
गोरी-चिट्टी, बिल्लौरी आंखों वाली तथा मुस्लिम होने के साथ-साथ कपूर खानदान के नजदीक होने का फायदा भी सलमा को मिला और बीआर चोपड़ा ने उन्हें ‘तलाक-तलाक-तलाक’ की हीरोइन बना दिया जो बाद में ‘निकाह’ नाम से रिलीज हुई।
 
चूंकि फिल्म नायिका प्रधान थी, इसलिए स्टार कलाकार की बजाय दी‍पक पाराशर और राज बब्बर जैसे युवा अभिनेताओं ने सलमा के साथ काम किया। अभिनय के साथ-साथ सलमा गायन में भी पारंगत है। उनका अलबम जब निकाह के संगीतकार रवि ने सुना तो उन्होंने सलमा से गवाने का भी निर्णय लिया। सुरैया-नूरजहां के बाद सलमा ने अपने गाने खुद गाए।
 
1982 में रिलीज हुई निकाह ने बॉक्स ऑफिस पर भारी सफलता हासिल की। कम बजट और बिना स्टार वाली इस फिल्म की सफलता चौंकाने वाली थी। सलमा द्वारा गाए गीत दिल के अरमां, दिल की ये आरजू थी और फिजा भी है जवां गली-गली गूंजे। पति को बेहद चाहने वाली और उसकी बेरुखी से परेशान पत्नी का रोल सलमा ने बेहतरीन तरीके से निभाया था।

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‘निकाह’ में श्रेष्ठ अभिनय के लिए उनका फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए नामांकन हुआ। बेस्ट फीमेल सिंगर का अवॉर्ड उन्हें मिला। बॉलीवुड के निर्माताओं का यह हाल है कि कोई कलाकार हिट हो जाए, तो उसे अपनी फिल्मों में लेने के लिए सब दौड़ पड़ते हैं। सलमा के साथ भी ऐसा हुआ। उन्होंने मुंबई में बसने का इरादा कर लिया।
 
शादी और तलाक
तेजी से उभर कर सामने आईं सलमा से जो आशाएं थीं उस पर वे खरी नहीं उतर पाईं तो इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार वे ही थीं। इश्क-मोहब्बत के चक्कर में वे ऐसी उलझी कि बॉलीवुड के निर्माताओं ने उनसे दूरी बना ली क्योंकि सलमा करियर के प्रति ज्यादा गंभीर नजर नहीं आ रही थीं।
 
न्यूयॉर्क के व्यापारी मेहमूद सिप्रा, सलमा के दीवाने थे। वे सलमा को अपनी बेगम बनाना चाहते थे इसलिए निर्माता बनकर उन्होंने सलमा को लेकर बेगम, साहिबा और बेबसी नामक फिल्में शुरू कर दी। प्यार में सलमा ने बॉलीवुड निर्माताओं के कई प्रस्तावों को ठुकरा दिया।
 
सलमा की इन हरकतों के कारण बॉलीवुड के निर्माताओं ने सलमा के नाम पर विचार करना बंद कर दिया। फिल्में आधी भी बन नहीं पाई थीं कि इश्क का बुखार उतर गया और वे अलग हो गए।
 
इसके बाद सलमा ने जो कुछ फिल्में साइन की थी, उसमें से एक थी बी. सुभाष की ‘कसम पैदा करने वाले की’। सुभाष इसके पहले ‍’डिस्को डांसर’ जैसी हिट फिल्में बना चुके थे। ‘निकाह’ की भूमिका के एकदम विपरीत रोल उन्होंने इस फिल्म में निभाया। सलमा ने इस फिल्म में गाने भी गाए और पाश्चात्य स्टाइल में मिथुन के साथ डांस भी किया, जिनमें वे एकदम मिसफिट नजर आईं। उनका अभिनय भी बुरा था।
 
ऊँचे लोग (1985) और सलमा (1985) बुरी तरह फ्लॉप रहीं। इन फिल्मों में उनके अभिनय की कलई भी खुल गई। वे सीमित भूमिकाओं के लिए ही उपयुक्त माने जाने लगी। उनकी आवाज सिर्फ उन पर ही सूट होती थी, लिहाजा फिल्मी गायन में भी उनका दायरा सीमित था। सलमा आगा को वन फिल्म वंडर कहा जाने लगा। इसी बीच सलमा ने जावेद शेख से शादी कर कुछ पाकिस्तानी फिल्में साइन कर ली।
 
सी-ग्रेड तक का सफर
सलमा अपने करियर को ठीक से प्लान नहीं कर पाईं। कभी वे भारत में होती तो कभी पाकिस्तान में और बीच-बीच में शादी और तलाक का दौर भी चलता रहा। इसका असर उनके करियर पर पड़ना ही था।
 
बॉलीवुड में अपने फिसलते करियर को संभालने के लिए उन्होंने जंगल की बेटी (1988) नामक सी-ग्रेड फिल्म भी की, जिसमें उन्होंने कम कपड़े पहन कर होड़ में बने रहने की कोशिश भी की। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इक्का-दुक्का फिल्मों में वे कभी-कभी दिखती रहती हैं।
 
सलमा की पर्सनल लाइफ में भी उठापटक रही। जावेद शेख से 1981 में शादी की और फिर 1987 में तलाक ले लिया। रहमत खान से उन्होंने 1989 में शादी की और 2010 में तलाक लिया। 2011 में उन्होंने तीसरी बार मंज़र शेख से निकाह किया। 
 
सलमा आगा ने अपनी बेटी को भी फिल्म और म्यूजिक इंडस्ट्री में जमाने की कोशिश की, लेकिन सफलता उनसे दूर ही रही। 
 
कराची में जन्मी सलमा हिंदी सिनेमा में बिजली की तरह चकमी जरूर, मगर उनका करियर छोटा रहा। निकाह फिल्म का गाना सलमा के जीवन पर फिट है- दिल के अरमां आंसुओं में बह गए
 
प्रमुख फिल्में
निकाह (1982), कसम पैदा करने वाले की (1984), सलमा (1985), ऊँचे लोग (1985), पति पत्नी और तवायफ (1990), मीत मेरे मन के (1991)

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