Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

देव आनंद-सुरैया प्रेम कहानी : देव की जुबानी

Webdunia
सोमवार, 26 सितम्बर 2022 (12:15 IST)
1948 के साल में, जब देव आनंद 25 वर्ष के थे, उनकी दो और फिल्में प्रदर्शित हुईं - फणी मजूमदार की 'हम भी इंसान हैं' और गिरीश त्रिवेदी की 'विद्या'। पहली फिल्म की नायिका रमोला थीं, जो 1951 में निर्देशक विजय म्हात्रे की फिल्म 'स्टेज' में उनकी नायिका बनीं। इनमें विद्या फिल्म इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस फिल्म में सुरैया पहली बार देव आनंद की नायिका बनीं और इसी के सेट पर दोनों के बीच प्यार हुआ था। 
 
दोनों ने 1951 तक कुल सात फिल्मों में काम किया और इस दौरान देव आनंद-सुरैया के प्यार की कहानियाँ नर्गिस-राजकपूर और दिलीप कुमार-मधुबाला के प्यार की तरह देशभर में फैल गईं, जो आज तक बार-बार दोहराई जाती हैं। 
 
सुरैया तब एक स्थापित अभिनेत्री थीं। सुरैया के साथ देव आनंद की दूसरी फिल्म 'जीत' 1949 में पर्दे पर आई। इसका निर्देशन बाद के जमाने की ‍चर्चित अभिनेत्री विद्या सिन्हा के पिता मोहन सिन्हा ने किया था। इसी साल शायर, नमूना और उद्धार फिल्मों का प्रदर्शन भी हुआ। 
 
'शायर' में देव के साथ सुरैया और कामिनी कौशल, नमूना में कामिनी कौशल और उद्धार में मुनव्वर सुल्ताना तथा निरूपाराय थी। सुरैया और देव आनंद कुछ अड़चनों की वजह से शादी नहीं कर पाएं, लेकिन उनकी मोहबब्बत के चर्चे आज भी होते हैं।
 
देव आनंद इस प्रेम कहानी के बारे में क्या कहते हैं, पढ़िए उनकी जुबानी :
सुरैया से मेरी पहली मुलाकात फिल्म 'जीत' के सेट पर हुई थी, जिसमें हम दोनों पहली बार साथ आ रहे थे। वे सुरैया का शासनकाल था और मैं फिल्म उद्योग में अपने पाँव जमाने की कोशिश कर रहा था। हम दोनों चुंबक की तरह नजदीक आते चले गए। हम एक-दूसरे को पसंद करते थे और फिर प्रेम करने लगे। मुझे याद है, मैं चर्च गेट स्टेशन पर उतरकर पाँव-पाँव मैरिन ड्राइव में कृष्ण महल जाया करता था, जहाँ सुरैया रहती थीं। इस अभिनेत्री की एक झलक पाने के लिए सड़क पार भीड़ लगी रहती थी। हम लिविंग-रूम में बैठा करते थे। सुरैया की माँ ने तो हमारी आशनाई को स्वीकार कर लिया था, पर उनकी बूढ़ी दादी मुझे गिद्ध की तरह देखती थीं।
 
उन दिनों सेट के अलावा अन्यत्र कहीं मिलना संभव नहीं था। इसलिए हमारे बीच खतो-किताबत चलती रहती थी। हम शादी करना चाहते थे, लेकिन सुरैया अपनी दादी की मर्जी के खिलाफ जाने को तैयार नहीं हुईं। उनके घर कई लोग आने-जाने लगे थे, जिससे वे भ्रमित रहने लगीं। निहित स्वार्थी तत्वों ने हिन्दू-मुसलमान की बात उठाकर हमारे लिए मुश्किलें पैदा कर दीं। उन दिनों की पत्रिकाओं ने भी गुलगपाड़ा मचाया। हमार अफेयर रोजाना सुर्खियों में छपता था। मूवी-टाइम्स के बी.के.करंजिया हमारे बारे में स्वच्छंदतापूर्वक लिखते थे।
 
एक दिन दादी के हुक्म का पालन करते हुए सुरैया ने मुझे 'नो' कह दिया। मेरा दिल टूट गया। उस रात घर जाकर चेतन के कंधे पर सिर रखकर खूब रोया और उन्हें अपनी सारी दास्तान सुना दी। यह मेरा स्वभाव नहीं है। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। लेकिन जीवन के उस दौर में हरेक के साथ ऐसा कुछ घटता है। आज मैं समझता हूँ, जो हुआ अच्छे के लिए हुआ।

सम्बंधित जानकारी

बॉलीवुड हलचल

दिवाली के मौके पर सिनेमाघरों में धमाका करने जा रही भूल भुलैया 3, जानिए क्यों है मस्ट वॉच मूवी!

विनीत कुमार सिंह की पॉलिटिकल थ्रिलर मैच फिक्सिंग का ट्रेलर हुआ रिलीज

रॉकस्टार डीएसपी द्वारा कंपोज कंगुवा का दूसरा गाना योलो हुआ रिलीज

Bigg Boss 18 : नंबर 1 रैंकिंग पाने के लिए भिड़ेंगे घरवाले, शहजादा धामी और रजत दलाल की हुई बहस

जिमी शेरगिल और अविनाश तिवारी के साथ सिकंदर का मुकद्दर में नजर आएंगी तमन्ना भाटिया

सभी देखें

जरूर पढ़ें

स्त्री 2 फिल्म समीक्षा : विक्की की टीम का इस बार सरकटा से मुकाबला

खेल खेल में मूवी रिव्यू: अक्षय कुमार की कॉमिक टाइमिंग जोरदार, लेकिन ‍क्या फिल्म है मजेदार?

वेदा फिल्म समीक्षा: जातिवाद की चुनौती देती जॉन अब्राहम और शरवरी की फिल्म | Vedaa review

औरों में कहां दम था मूवी रिव्यू: अजय देवगन और तब्बू की फिल्म भी बेदम

Kill movie review: खून के कीचड़ से सनी सिंगल लोकेशन थ्रिलर किल

આગળનો લેખ
Show comments