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इरफान खान इन 5 ‍फिल्मों के कारण सदा रहेंगे याद

इरफान खान इन 5 ‍फिल्मों के कारण सदा रहेंगे याद

समय ताम्रकर

, गुरुवार, 29 अप्रैल 2021 (06:39 IST)
इरफान खान को आज दुनिया को अलविदा कहे एक वर्ष पूरा हो गया है। असमय ही इरफान खान इस दुनिया से चले गए, लेकिन अपने पीछे छोड़ वे फिल्मों का ऐसा खज़ाना छोड़ गए जिसकी वजह से वे लंबे समय तक याद किए जाएंगे। फिल्म अच्छी या बुरी हो सकती है, लेकिन इरफान की एक्टिंग हमेशा अच्‍छी रही। उन्होंने हर फिल्म में दिल लगाकर काम किया। अपना सौ प्रतिशत दिया और कम उम्र में ही अभिनय की इतनी बेहतरीन पारी खेल गए जिसके लिए बड़े-बड़े कलाकार तरसते हैं। 
 
यूं तो इरफान ने कई यादगार फिल्में दी हैं और उनमें से श्रेष्ठ का चुनाव करना बहुत कठिन काम है। हर फिल्म में उनका अभिनय और किरदार खासियत लिए हैं। पेश है वो 5 फिल्में जिनमें इरफान खूब पसंद किए गए और ये फिल्में उनकी अभिनय की बारीकियों के लिए बार-बार देखी जा सकती है। 

मकबूल (2003) 

विशाल भारद्वाज द्वारा‍ निर्देशित इस फिल्म ने इरफान खान को वो पहचान दिलाई थी जिसके वे सही मायनों में हकदार थे। नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, पंकज कपूर और तब्बू जैसे बेहतरीन कलाकारों के बीच उन्होंने इतना बेहतरीन अभिनय किया कि उन्हें रोकना मुश्किल हो गया। फिल्म में वे एक खतरनाक डॉन के लिए काम करते हैं और उसी की बीवी से इश्क भी करते हैं। इरफान का किरदार कई रंग लिए था। वो अपराधी भी हैं, डॉन से डरते भी हैं, इश्क भी करते हैं और जिसके इरादे खतरनाक भी हैं। इरफान ने एक ही किरदार में ये सारे शेड्स दिखाए और यह उनके करियर की बेहतरीन फिल्मों में से एक है। 

पान सिंह तोमर (2012) 

तिग्मांशु धुलिया की इस फिल्म में वे एक ऐसे धावक थे जो कई स्पर्धाएं जीतता है, लेकिन जिंदगी के अनुभव उसके इतने कटु रहते हैं कि वह डाकू बन जाता है। एक धावक की भूमिका को इरफान ने इतने बेहतरीन तरीके से निभाया कि अभिनय के विद्यार्थियों को यह फिल्म बार-बार देखना चाहिए। वास्तव में डाकू कैसे होते हैं, कैसा उनका रहन-सहन होता है, कितना मुश्किल उनका जीवन होता है, यह फिल्म में बारीकी से दिखाया गया है। इसको इरफान का अभिनय धारदार बनाता है। इस फिल्म में इरफान अपने अभिनय के शिखर को छूते नजर आते हैं। 

द लंच बॉक्स (2013)  

एक एकाकी व्यक्ति जिसके पास संवाद करने के लिए कोई नहीं है, कुछ इस तरह का किरदार था इरफान का। फिल्म में उन्हें बोलने से ज्यादा चेहरे से अभिनय ज्यादा करना था। इरफान अपनी संवाद अदायगी से अपने अभिनय को प्रभावी बनाते हैं, लेकिन इस फिल्म के जरिये उन्होंने दिखाया कि बिना संवादों के भी वे अभिनय करना वे खूब जानते हैं। फिल्म में उनकी खामोशी बहुत कुछ बयां करती है। 

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पीकू (2015) 

फिल्म इंडस्ट्री के दो दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन और इरफान खान को एक फ्रेम में देखना किसी तोहफे से कम नहीं है। यह जुगलबंदी इतनी दिल को छूती है कि फिल्म देखते समय लगता है कि यह कभी खत्म नहीं हो। अमिताभ और इरफान बेहद सहजता से अपनी भूमिकाओं को साकार करते हैं। शूटिंग के अंतिम दिन इरफान इतने इमोशनल हो गए थे कि अमिताभ के गले लग गए और उन्हें गालों पर किस कर लिया। 

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हिंदी मीडियम (2017) 

इस फिल्म में इरफान खूब हंसाते हैं। अपने अभिनय से वे दर्शाते हैं कि कॉमेडी करने के लिए ऊटपटांग चेहरे बनाना, अजीब सा मेकअप करना, जोकरों जैसे कपड़े पहनना, द्विअर्थी संवाद बोलना जरूरी नहीं है। उनक कॉमिक टाइमिंग लाजवाब है। वे चुपके से अपना संवाद बोलते हैं, सिनेमाहॉल में दर्शक ठहाके लगाते हैं और इरफान का चेहरा ब्लैंक रहता है कि मानो उन्होंने ऐसी खास बात ही नहीं बोली हो। 

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