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'दसरा' को पैन इंडिया फिल्म नहीं मानते साउथ स्टार नानी, बताई यह वजह

'दसरा' को पैन इंडिया फिल्म नहीं मानते साउथ स्टार नानी, बताई यह वजह

रूना आशीष

, गुरुवार, 30 मार्च 2023 (15:44 IST)
दक्षिण भारत से आए कलाकार नानी जिन्हें दक्षिण भारत में नेचुरल सुपरस्टार कहा जाता है। उनकी फिल्म 'दसरा' लोगों के सामने जल्द ही आ रही है। अपनी फिल्म के बारे में प्रमोशनल इंटरव्यू देते हुए नानी ने पत्रकारों को फिल्म से जुड़ी कई बातें बताई। नानी का कहना है कि वह फिल्म दसरा को पैन इंडिया फिल्म नहीं कहना चाहते। पूछे जाने पर उनका कहना था कि 'दसरा इंडिया फिल्म नहीं है क्योंकि यह 5 भाषाओं में ही रिलीज की जा रही है। इसमें तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़ और हिंदी शामिल है। 

 
नानी ने कहा कि यह फिल्म बाहु भाषी फिल्म है, लेकिन यह पैन इंडिया फिल्म नहीं है। भारत में कई सारी और भी तो भाषाएं हैं। मैंने सुना है मीडिया वाले ऐसे पैन इंडिया फिल्म कह रहे हैं तो मैंने भी हां बोल दिया, लेकिन असली बात तो तब है ना जब आप की फिल्म के निर्माता या डिस्ट्रीब्यूटर पैन इंडिया ना कहते हुए, लोग वह फिल्म लोग देखें उसे पसंद करें और देश के सभी भाषा बोलने वाले लोग उसे पसंद करें। वो असल में पैन इंडिया फिल्म कहलाएगी।
 
फिल्म का नाम दसरा रखा गया है। कोई खास कारण 
दशहरा में हमें सिखाया जाता है कैसे बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। हमारी फिल्म में भी वही दिखाया गया है। फिल्म में मैं भी आम सा इंसान हूं और कोई ऐसे मुझ में कोई सुपर पावर नहीं है लेकिन जब सभ्य आ जाता है। बुराई से लड़ने निकल लेता हूं और वैसे भी यह कहानी एक दशहरे से शुरू होकर दूसरे दशहरे तक की होती है। कभी अगर यह फिल्म आपको दिखा दूंगा और फिल्म देख लेने के बाद आपसे टाइटल का नाम भी बताओ ये पूछूं तो आप लोग कह देंगे किया इस फिल्म का टाइटल दसरा ही होना चाहिए। बस यही सब कारण था कि मैंने अपनी फिल्म का नाम दसरा ही रखा।
 
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असली जिंदगी में दशहरा मनाया है।
बचपन में मनाया करते थे, मैं हैदराबाद से हूं। स्कूल से छुट्टी हुआ करती थी और वह दस दिन मस्ती से भरे हुए होते थे। 9 दिन यानी नवरात्रि में डांडिया खेलते थे और दसवें दिन दशहरा मनाया करते थे। दशहरा मतलब खूब सारी छुट्टियां। हमने फिल्म मेथ भी दशहरा में शूट किया तो हमने कई सारे ऐसे रीति रिवाजों को भी इस समय दिखाया है जो बहुत सारे गांव में आज भी मनाए जाते हैं। कई रीति रिवाज तो मैं भी नहीं जानता था। हमने बहुत सारी फिल्में दिखाने की कोशिश की है। 
 
आपकी फिल्म मक्खी को बहुत पसंद किया गया और लगभग वैसे ही स्टोरीलाइन को एक सीरियल में भी इस्तेमाल किया गया था। 
यह जानकर मुझे तो खुशी होती है कि सीरियल में मेरे स्टोरी लाइन का इस्तेमाल किया गया है यह दिखाता है कि का कितना पॉपुलर रहा है वैसे भी इस एक सुनने मुझे। बड़ा स्टार बना दिया था। 
 
अपने 15 साल के सफर में आपने क्या पाया क्या खोया?
खोया तो कुछ भी नहीं पाया ही पाया है? नाम शोहरत, पैसा मेरी फिल्में देख लीजिए कभी देखी है कितनी सारी फिल्में ऐसी है, बड़ी-बड़ी। इन्हें देखकर मुझे भी मजा आ जाता है। यह सब पाया ही है। शादी हो गई है प्यारा सा बच्चा है। और क्या चाहत रखूं। हां अगर कुछ खोया तो ये कि मैं पिछले 15 सालों से काम ही कर रहा हूं। पहली फिल्म 2008 में रिलीज हुई थी। आज अब तक तो पीछे मुड़ के देखूं तो लगता है अरे 2 साल पहले की ही तो बात है तो हां, अगर कुछ खोया तो है छुट्टियां लेना। छुट्टी नहीं ले पाया। 
 
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यह फिल्म करने में कितना मजा आया?
मजा तो बिल्कुल भी नहीं आया। सब लोग बोलते हैं कि यह फिल्म हमने ऐसे मजे और मस्ती के साथ की है कि जैसे कोई पिकनिक मना रहे हो, नहीं भाई मेरी ये फिल्म नरक थी। इतनी मारधाड़ इतना ढिशुम ढिशुम कि हम थक जाते थे। हम बस इसी आशा में रहते थे कि कब फिल्म खत्म होने वाली है। मैं तो इतना ज्यादा थक जाता था कि जैसे ही शूट खत्म होती थी, नहाता था, घर जाता था और बस सीधे आराम कर लेता था। 
 
हम शूट करते-करते में धूल में लथ पथ हो जाते थे कि इस हालत में तो मेरे घर का चौकीदारी मुझे घर में ना आने देता। हम रोज दिन गिनते थे कि आज कितने दिन बचे हैं। अच्छा अच्छा 10 दिन बचा है चलो कोई बात नहीं। 9 दिन बचा है चलो कोई बात नहीं दिन गिन गिन कर मैं नहीं है, फिल्म खत्म की है लेकिन पर जब इस फिल्म का आउटपुट देखता है और सब ठीक लगता है। चलो सब ठीक है, हो गया। कर लिया फिल्म अच्छी बनेगी। 
 

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