"मैंने अपने आप को स्वीकारना सीखा है। सेल्फ़ ऐक्सेंप्टेंस एक ऐसी बात है जिसमें आप अपने आपको लोगों की सोच के अनुसार ढालना छोड़ कर सोचते है कि भाड़ में जाए ऐसी सोच। मैं ऐसी हूँ तो ऐसी ही हूँ और मेरे इसी रूप में मुझे अपनाएँ।
हमारे प्रोफ़ेशन में वैसे भी कई बार आपको देखते-तौलते हैं। मेरे हिसाब से जब आप अपने आप को पूरा तरह से स्वीकार लेते हैं तो बहुत अच्छा होता है क्योंकि अपने आप को प्यार करना चाहिए। अगर आप अपने को प्यार नहीं करेंगे तो कोई दूसरा आपको प्यार क्यों करेगा?"
यह बात कही सोनाक्षी सिन्हा ने जो दबंग 3 में नजर आने वाली हैं। वेबदुनिया से बात करते हुए सोनाक्षी ने कहा, "इस साल चार बार चार अलग-अलग तरह की फ़िल्मों को लिए मिली। ख़ानदानी शफाखाना, मिशन मंगल, लाल कप्तान के बाद अब दबंग ३ और संयोग देखिए, दबंग मेरी पहली फिल्म थी और दबंग 3 मेरी 25वीं फिल्म है। इस दौरान बहुत कुछ बदला। नए लोगों से मिली। नए लोगों के साथ काम करने का मौका मिला। अपने ऊपर विश्वास भी बढ़ा है।"
आज भी आपको शूट का पहला दिन याद है?
हां, बिल्कुल। देखिए, बचपन में तो मैं पापा के सेट पर जाना पसंद भी नहीं करती थी। मुझे अच्छा नहीं लगता था। ज़ाहिर है कि जब आप शूट में शामिल ना हो, हिस्सा ना हो तो आपको शूट बोरिंग लगता है। शॉट के बीच सब बैठे रहते हैं या सेटिंग हो रही हो तो मैं बोर हो जाती थी। इसलिये पापा के सेट पर कम ही जाती थी। लेकिन जब बड़ी हुई और शूट पर पहुंची तो पहले ही दिन सारा माहौल देख कर लगा कि यही वो जगह है और यही वो काम है जो मैं ज़िंदगी भर करना चाहूँगी।
दबंग में इस बार चुलबुल और रज्जो की प्रेम कहानी का तीसरा एंगल आ गया है?
अच्छा है ना। दबंग 3 बन रही है। लोगों को कुछ नया देना पड़ेगा। सई को चुलबुल का पहला प्यार दिखाया गया है। ये एक प्रीक्वल है। मुझसे यानी रज्जो से पहले चुलबुल को कौन पसंद थी, ये बताया है। फिल्म देख समझ आएगा कि चुलबुल अगर ऐसा बना है तो वह ऐसा क्यों बना है?
आप आज के समय में साड़ी क्लैड हीरोइन मानी जाती हैं?
मुझे भी लगता है कि साड़ी पहन कर आप बहुत अलग लगने लगते हैं। आपकी चाल ढाल बदल जाती है। मैं जींस टी शर्ट पहन एकदम बिंदास हो कर गुंडे जैसे चलती हूं, लेकिन साड़ी पहनने के बाद मैं एक लेडी जैसे चलने लगती हूँ। मुझे साड़ी पहनना बहुत पसंद है। अब जब मुझमें ये खूबी है तो बेहतर है ना कि मैं इसे अपने प्लस पॉइंट मानूँ।
आपको पेंटिंग का शौक है। कुछ नया कर रही हैं?
अभी तो समय नहीं मिलता, लेकिन पेंटिंग बनना मिस करती हूँ। मुझे ऐब्स्ट्रैक्ट पेंटिंग बनना पसंद है। मैं कभी इन्हें किसी को गिफ्ट नहीं करती। मैं बहुत पज़ैसिव हूँ। लेकिन एक दिन मैं अपनी सारी पेंटिंग की प्रदर्शनी लगाऊँगी।
अगली फिल्म भुज के बारे में कुछ बताएं।
ये एक बायोपिक है। 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी है। भुज में 300 महिलाओं ने मिल कर एक रात में रनवे बनाया था ताकि हमारे देश के फायटर प्लेन लैंड कर सकें। यह बहुत ही खूबसूरत फिल्म बनने वाली है।