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स्काईडाइविंग करना चाहते हैं इमरान हाशमी, इस बात से लगता है डर

स्काईडाइविंग करना चाहते हैं इमरान हाशमी, इस बात से लगता है डर

रूना आशीष

, शनिवार, 30 अक्टूबर 2021 (18:17 IST)
किसी भी फिल्म के लिए बहुत जरूरी होता है कि आप के निर्देशक की नजर क्या कहती है, उसकी आंखें क्या देखती है और लोगों को क्या दिखाना चाहती है। तो मैं जय की इसी सोच पर विश्वास करना चाहता था। उसका साथ देना चाहता था। बस यही सोचकर मैंने डीबुक कर ली। यह फिल्म मैंने कुछ 1 साल पहले देखी थी। लेकिन जब से फिल्म मैं कर रहा हूं मैं यह कह सकता हूं कि डीबुक में मलयालम फिल्म एझरा जो की असली फिल्म है जिसके ऊपर आधारित डीबुक बनाई गई है। 

 
यह कहना है इमरान हाशमी का जो एक बार फिर लोगों के सामने आ रहे हैं और इस बार भी लोगों को डराने के मूड में है डीबुक के जरिए ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। ऐसे में इमरान हाशमी का कहना था कि इसके पहले भी मैं हॉरर फिल्म्स कर चुका हूं। आपको राज तो याद होगी ही। उसके बाद एक थी डायन की भी मैं बात कर लेता हूं। एक थी डायन मुझे ऐसा लगता है कि बच्चों की कहानी रही है जैसे विशाल ने अपने तरीके से तब्दील किया। उसे और गहराई से सोच कर बताया और फिर यह फिल्म बड़ों के लिए बन गई थी। 
 
लेकिन इस फिल्म डीबुक की बात करूं तो मैं जय के सोच से इतना प्रभावित हुआ। उसने जिस तरीके से मुझे फिल्म के बारे में बताया, मुझे इतना अच्छा लगा और मैं फिल्म करने के लिए तैयार हो गया। एक बहुत ही अंतरराष्ट्रीय लुक दिया गया है इस फिल्म को। यह लोगों को पसंद आने के सारे गुर रखती है। 
 
फिल्म का टाइटल थोड़ा अलग है।
बिल्कुल हम जब इस फिल्म के टाइटल के बारे में सोच रहे थे तब हमें ऐसा लगा कि एजरा नहीं रखना चाहिए क्योंकि मलयालम असली फिल्म जो है उसका नाम यह है तो क्यों न कुछ अलग शब्द रखा जाए ऐसे में हमें डीबुक यह टाइटल सूझा। हिब्रू में इसका मतलब होता है भूत और ज्यूइश लोग होते हैं वह सोच को मानते हैं। इस तरह की बातों में विश्वास रखते हैं तो हमें यह टाइटल बहुत सही लगा अपनी एक फिल्म के लिए और बड़ा ही सटीक लगा। हिन्दी भी रखते तो क्या रख लेते आहट या सन्नाटा और यह टाइटल तो लोग यूं ही सुन चुके हैं। डीबुक के कुछ नया था। 
 
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कभी आपके साथ कोई डरावना वाकया हुआ है 
नहीं। मेरे साथ कोई डरावना वाकया तो नहीं हुआ है। बस मुझे इतना याद है कि मैं अपनी मां के साथ चर्च के बाहर खड़ा था और अंदर कुछ आवाजें सुनी थी। मैं कुछ सात या आठ साल का रहा था और उस समय हॉरर फिल्म देखना मैंने शुरू कर दिया था। तो मैंने सुना कि जो चर्च के पादरी है, वह किसी से बात कर रहे हैं और फिर हमें बताया गया कि वो जिससे बात कर रहे हैं उसे प्रेत बाधा हुई है। तो वह आवाज़ मैंने सुनी थी लेकिन इससे ज्यादा मैंने कभी किसी वाकये को देखा या समझा ऐसा मेरे साथ नहीं हुआ।
 
हां, यह जरूर कहूंगा कि मेरे दोस्त बताते थे और मेरे रिश्तेदार हैं वह बताते थे कि फलाना के साथ ऐसा हादसा हो गया था या उसने ऐसी कोई बात देखी। तब मुझे यह सोचना पड़ा कि शायद एक और दुनिया है जहां पर यह सब बातें होती हैं, लेकिन जरूरी नहीं है कि हर शख्स उस से रूबरू हो सकें। 
 
जिंदगी में कभी कोई डरावना अनुभव रहा है भले ही उसमें भूत ना रहा हूं। 
ऐसा होता है जब कोई फिल्म अच्छी नहीं बनती और वह डर बताया नहीं जा सकता है। आप शूट करते हैं बड़े मजे से और आपको लगता है, वाह क्या फिल्म बनी है, क्या एक्टिंग की है मैंने। यह तो मेरे करियर को किसी नई दिशा की तरफ से लेकर जाएगी। उड़ान भरने वाला हूं मैं और फिर वह फिल्म नहीं चलती तो वह जो डर लगता है और वह जो घबराहट होती है, आप उसे जिंदगी भर तक बाहर नहीं आ सकते। एक पल आपको लगता है कि क्या मास्टर पीस बन गई है और फिर दूसरे पल समझ में आ जाता है कि यह किसी को समझ में नहीं आई है। वह बड़ा डरावना एक्सपीरियंस होता है और उसमें आप होते हैं, उसमें भूत नहीं होता है। 
 
हॉरर फिल्म करते करते कभी आपको जिंदगी में ऐसा कोई डर लगा है। जो आप जीतना चाहते हो? 
मुझे स्काईडाइविंग करना है। मैंने कई वीडियो देखें। मुझे अच्छे भी लगते हैं और मेरे दिल से तमन्ना भी है कि मैं स्काईडाइविंग करूं, लेकिन पता नहीं कहां मैं रुक जाता हूं और नहीं कर पाता हूं। ऐसा नहीं है कि मुझे ऊंचाई का डर है। लेकिन शायद यह थोड़ा सा डर लगता है कि मैं ऊपर गया, कूद गया और कहीं पैराशूट नहीं खुला तब मेरा क्या होगा? लेकिन हां, यह एक ऐसा डर है जिसे मैं एक न एक दिन जिंदगी में जरूर जीत लूंगा और स्काईडाइविंग जरूर करके बताऊंगा। 
 

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