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टीवी दाल-चावल की तरह है: अदा खान

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अभिनेत्री अदा खान सफलता के लिए अजनबी नहीं हैं और उन्होंने छोटे पर्दे पर अपने अधिकांश शो के जरिये सफलता हासिल की है, चाहे वह नागिन, नागिन 2 हो या उनका वर्तमान शो (सितार)। बॉलीवुड में करियर के बारे में पूछे जाने पर वह कहती हैं “मैं फिल्म करने के विचार को लेकर खुली हूँ। यदि अच्छा अवसर आता है, तो मैं निश्चित रूप से इसका फायदा उठाऊंगी अन्यथा मैं टीवी पर संतुष्ट हूं। मैं एक फिल्म तभी करूंगी जब उसका कंटेंट जोरदार हो। मैं मुंबई में पली-बढ़ी हूं और मैं एक प्राइवेट पर्सन हूं। मैं वास्तविक रूप से महत्वाकांक्षी हूं और अच्छा काम ही मुझे आकर्षित करता है। यदि आप प्रतिभाशाली हैं तो जल्दी या देर से ही सही, लेकिन अवसर आपके रास्ते में जरूर आएगा।”
 
वेब सीरिज का भविष्य उज्जवल 
अदा को लगता है कि वेब सीरिज का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन टीवी कभी नहीं मरेगा। “टीवी दाल-चावल की तरह है, जो कभी फैशन से बाहर नहीं जाएगा। वेब सीरीज़ का बूम आ गया है और यह टिका रहेगा। दोनों का विषय या कंटेंट अलग-अलग हो सकता है, लेकिन दोनों ही साथ में टिके रह सकते हैं। टीवी की पहुंच दूर तक है। टीवी हर घर में मुफ्त आता है। टीवी पर आपको तुरंत प्रतिक्रिया भी मिलती है।”
 
रेखा और प्रियंका हैं अद्‍भुत 
अदा से पूछें कि वह किस अभिनेत्री से प्रभावित हैं? वह कहती है, “एक अभिनेत्री के रूप में, मैं रेखा को देखती हूँ, वह एक ऑल-राउंडर रही हैं और अपने करियर का शानदार संचालन उन्होंने किया है। मैं प्रियंका चोपड़ा को भी देखती हूं, वह एक अद्भुत अभिनेत्री हैं। मैंने हमेशा उनके काम की प्रशंसा की है।”
 
सुपरनैचुरल और हॉरर शो का दर्शक वर्ग मौजूद 
सुपरनैचुरल और हॉरर शो के बारे में पूछे जाने पर वह कहती हैं, "अलौकिक और डरावने शो का दर्शक वर्ग हमेशा से मौजूद रहा है। इन्हें अच्छी टीआरपी मिलती है। दर्शकों का प्यार दर्शाता है कि दर्शक रोमांच और मनोरंजन की तलाश में हैं। टीवी मास का मीडियम है और जो उन्हें पसंद आता है वे उसे भरपूर प्यार देते हैं।'  
 
मोबाइल नहीं बन सकता स्थाई विकल्प 
क्या मोबाइल टीवी और सिनेमा का विकल्प बन सकता है? अदा कहती हैं 'टीवी विभिन्न तरीकों से विकसित हुआ है। विभिन्न प्रकार के शो बनाए जा रहे हैं। तकनीकी ने लोगों को अपना मनोरंजन करने के लिए बहुत सारे विकल्प दिए हैं। इंटरनेट बूम से इनकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन सब कुछ मोबाइल पर अच्‍छा नहीं लगता। टीवी स्क्रीन पर टीवी शो देखना और बड़ी स्क्रीन पर फिल्म देखने का अनुभव ही अलग है। मोबाइल देखना एक विकल्प हो सकता है लेकिन एक स्थायी विकल्प नहीं।"

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