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आमिर खान ने खुद की फिल्म के लिए दिया था स्क्रीन टेस्ट

रूना आशीष
'जब 'सीक्रेट सुपरस्टार' के निर्देशक अद्वैत ने मुझे बताया कि शक्ति कुमार का रोल मुझे करना है तो मैंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मुझे ये रोल करना चाहिए। हमने फिर इस रोल के लिए स्क्रीन टेस्ट किया तो अच्छा लगा। जब स्क्रिप्ट सुनाई गई  थी तभी मैंने कहा था कि मैं यह रोल नहीं कर सकूंगा, लेकिन फिर कर लिया। आमतौर पर ऐसा रोल किसी भी एक्टर के लिए लिखा नहीं जाता है, क्योंकि इसमें वे सब बातें हैं, जो एक एक्टर नहीं करना चाहेगा। वह रूड है। बच्चों को रुलाता है, लड़कियों से फ्लर्ट करता है, झूठ बोलता है, लोगों का अपमान करता है, अपनी बढ़ाई करता है यानी वो सारे ऐसे काम करता है जिनके बारे में बचपन में सिखाया जाता है कि ऐसे काम नहीं करते। 'सीक्रेट सुपरस्टार' का शक्ति कुमार मेरे कुछ चुनिंदा रोल्स में से एक है जिन्हें निभाने में उन्हें चैलेंज महसूस हुआ।' 
 
आमिर खान आगे बताते हैं 'ये रोल करना बहुत चुनौती भरा रहा, क्योंकि ऐसा किरदार मैंने कभी नहीं किया। ऐसा नहीं कि मैं ऐसे किसी शख्स से मिला नहीं हूं, लेकिन मैं ऐसे कभी भी बात नहीं करता या कभी भी आम जिंदगी में रिएक्ट नहीं करता हूं। मेरा मूलभूत स्वभाव है कि मैं विनम्रता से बात करूं, लेकिन शक्ति की तो आदत ही लोगों को परेशान करना है। जैसे मेरी फिल्म 'तारे जमीन पर' वाले निकुंभ सर थे। वे मेरी सोच और समझ से बहुत मिलते-जुलते स्वभाव वाले थे। लेकिन ये तो ऐसा इंसान है, जो पहले ही पल में बुरा बोलता है या बुराई करता है। मैं ऐसा नहीं हूं।' 
 
जब आप हैं इस फिल्म में तो जाहिर है कि लोगों का ध्यान आप पर जाएगा जबकि कहानी तो एक बच्चे की है? इस प्रश्न का आमिर जवाब देते हैं 'मैं हमेशा कोशिश  करता हूं कि मैं कभी भी फिल्म में अपने किरदार से बड़ा न लगूं। 'तारे जमीन पर' मैं इंटरवल के के बाद आया और इसमें भी मैं इंटरवल के बाद ही आता हूं। हालांकि इंटरवल के पहले मेरी झलकियां देखने को मिलती हैं, लेकिन असल रोल तो फिल्म के दूसरे भाग से शुरू होता है।' 
 
आमिर आगे बताते हैं 'कभी लगता है कि मेरे निर्देशकों ने मुझे पूरी तरह परख लिया है। मैं जब भी कोई नया किरदार निभाने की बात करता हूं या फिर रोल साइन करता हूं तो सोचता हूं,  हां, तो कह दिया, मुझ में अभी कुछ बचा है या थोड़ी चिंता कर लेता हूं कि क्या मैं ये रोल कर भी सकूंगा? रोल में सच्चाई भी होनी चाहिए और वो प्रभावशाली भी हो। मैं हर रोल के पहले थोड़ा रुककर सोचने लगता हूं, लेकिन एक बार काम शुरू कर दिया तो वो एक्टिंग में अपने आप निकलने लग जाता है।' 
 
आमिर आगे बताते हैं 'जब आप अपने आपसे आउटपुट की बात करते हैं तो अपने आप में इनपुट भी देना होता है। इनपुट के लिए मैं किताबें पढ़ता हूं और दूसरा मैं अलग-अलग तरह के लोगों से मिल रहा हूं। 'सत्यमेव जयते' के समय मैं इतने अलग-अलग भाषा, विचार, व्यवहार वाले लोगों से मिला हूं। फिर पानी फाउंडेशन के जरिए मैं गांवों में जा-जाकर लोगों से मिल रहा हूं। उनके जीवन को समझने की कोशिश कर रहा हूं। वरना किसी भी अभिनेता को कहां मौका मिलता है कि वो लोगों के बीच में जाकर काम कर सके। हम लोग जाने-अनजाने अपने आसपास एक दीवार बना लेते हैं ताकि कोई इसमें अंदर न आ सके। लेकिन अलग-अलग लोगों से मिलना मुझे अच्छा एक्टर बनने में मदद करता है।'

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