Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

दमदार अभिनय और संवाद अदायगी से नाना पाटेकर ने बनाई खास पहचान

दमदार अभिनय और संवाद अदायगी से नाना पाटेकर ने बनाई खास पहचान

WD Entertainment Desk

, सोमवार, 1 जनवरी 2024 (11:01 IST)
Nana Patekar Birthday: बॉलीवुड में नाना पाटेकर को ऐसे कलाकार के तौर पर जाना जाता है, जिन्होंने दमदार अभिनय और विशिष्ठ संवाद अदायगी से दर्शकों के दिलों में खास पहचान बनाई। नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म मुंबई में 1 जनवरी 1951 को एक मध्यम वर्गीय मराठी परिवार में हुआ। उनके पिता दनकर पाटेकर चित्रकार थे।

नाना ने मुंबई के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स से पढ़ाई की। इस दौरान वह कॉलेज द्वारा आयोजित नाटकों में हिस्सा लिया करते थे। नाना पाटेकर को स्केचिंग का भी शौक था और वह अपराधियों की पहचान के लिए मुंबई पुलिस को उनकी स्केच बनाकर दिया करते थे।
 
नाना ने अपने सिने करियर की शुरुआत साल 1978 मे रिलीज फिल्म 'गमन' से की लेकिन इस फिल्म में दर्शकों ने उन्हें नोटिस नहीं किया। अपने वजूद को तलाशते नाना को फिल्म इंडस्ट्री में लगभग 8 वर्ष संघर्ष करना पड़ा। फिल्म 'गमन' के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली वह उसे स्वीकार करते चले गए। इस बीच उन्होंने गिद्ध भालू शीला जैसी कई दोयम दर्जे की फिल्मों मे अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई।
 
साल 1984 मे रिलीज फिल्म 'आज की आवाज' बतौर अभिनेता नाना पाटेकर ने राज बब्बर के साथ काम किया। यह फिल्म पूरी तरह राज बब्बर पर केन्द्रित थी फिर भी नाना ने अपने सधे हुए किरदार निभाकर अपने अभिनय की छाप छोड़ने मे कामयाब रहे हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित नहीं हुई।
 
नाना पाटेकर को प्रारंभिक सफलता दिलाने में निर्माता-निर्देशक एन.चंद्रा की फिल्मों का बड़ा योगदान रहा। उन्हें पहला बड़ा ब्रेक फिल्म 'अंकुश' (1986) से मिला। इस फिल्म में नाना पाटेकर ने एक ऐसे बेरोजगार युवक की भूमिका निभाई जो काम नहीं मिलने पर समाज से नाराज है और उल्टे सीधे रास्ते पर चलता है। अपने इस किरदार को नाना पाटेकर ने इतनी संजीदगी से निभाया कि दर्शक उस भूमिका को आज भी भूल नहीं पाए हैं। इसे महज एक संयोग कहा जाएगा कि इसी फिल्म से एन.चंद्रा ने बतौर निर्माता और निर्देशक अपने सिने करियर की शुरुआत की थी।
 
webdunia
साल 1987 में नाना पाटेकर को एन.चंद्रा की ही फिल्म 'प्रतिघात' में भी काम करने का अवसर मिला। यूं तो पूरी फिल्म सुजाता मेहता पर आधारित थी लेकिन नाना इस फिल्म में एक पागल पुलिस वाले की छोटी सी भूमिका निभाकर अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवा लिया।
 
साल 1989 में रिलीज फिल्म 'परिन्दा' नाना पाटेकर के सिने करियर की हिट फिल्मों में शुमार की जाती है। विधु विनोद चोपड़ा निर्मित इस फिल्म में नाना पाटेकर ने मानसिक रूप से विक्षिप्त लेकिन अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह की भूमिका निभाई जो गुस्से में अपनी पत्नी को जिंदा आग में जलाने से भी नही हिचकता। अपनी इस भूमिका को नाना पाटेकर ने सधे हुए अंदाज में निभाकर दर्शकों की वाहवाही लूटने में सफल रहे। 
 
साल 1991 में नाना ने फिल्म निर्देशन में भी कदम रख दिया और 'प्रहार' का निर्देशन किया साथ ही अभिनय भी किया। इस फिल्म की सबसे दिलचस्प बात यह रही कि उन्होंने अभिनेत्री माधुरी दीक्षित से ग्लैमर से विहीन किरदार निभाकर दर्शकों के सामने उनकी अभिनय क्षमता का नया रूप रखा।
 
साल 1992 मे रिलीज फिल्म 'तिरंगा' बतौर मुख्य अभिनेता नाना पाटेकर के सिने करियर की पहली सुपरहिट फिल्म साबित हुई। निर्माता-निर्देशक मेहुल कुमार की इस फिल्म में उन्हें संवाद अदायगी के बेताज बादशाह राजकुमार के साथ काम करने का मौका मिला लेकिन नाना पाटेकर ने भी अपनी विशिष्ट संवाद शैली से राजकुमार को अभिनय के मामले में कड़ी टक्कर देते हुए दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
 
साल 1996 मे रिलीज फिल्म 'खामोशी' मे उनके अभिनय का नया आयाम दर्शकों को देखने को मिला। इस फिल्म में उन्होंने अभिनेत्री मनीषा कोईराला के गूंगे पिता की भूमिका निभाई। यह भूमिका किसी भी अभिनेता के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। बगैर संवाद बोले सिर्फ आंखो और चेहरे के भाव से दर्शकों को सब कुछ बता देना नाना पाटेकर की अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था, जिसे शायद ही कोई अभिनेता दोहरा पाये।
 
webdunia
साल 1999 मे नाना पाटेकर को मेहुल कुमार की ही फिल्म 'कोहराम' में भी काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में उनके अभिनय के नए आयाम देखने को मिले। फिल्म में उन्हें सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ पहली बार काम करने का मौका मिला। फिल्म मे अमिताभ बच्चन और नाना पाटेकर जैसे अभिनय की दुनिया के दोनों महारथी का टकराव देखने लायक था। हांलाकि इसके बावजूद भी फिल्म को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई।
 
साल 2007 में रिलीज फिल्म 'वेलकम' में नाना पाटेकर के अभिनय का नया रंग देखने को मिला। इस फिल्म के पहले उनके बारे में कहा जाता था कि वह केवल संजीदा अभिनय करने में ही सक्षम है लेकिन नाना ने जबरस्त हास्य अभिनय कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर अपने आलोचकों का मुंह सदा के लिए बंद कर दिया और फिल्म को सुपरहिट बना दिया।
 
नाना पाटेकर को अब तक चार बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। नाना पाटेकर को तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। नाना पाटेकर उन गिने चुने अभिनेताओं में एक है जो फिल्म की संख्या के बजाये फिल्म की गुणवत्ता को अधिक महत्व देते हैं इसी को देखते हुए नाना पाटेकर ने अपने तीन दशक लंबे सिने करियर में महज 75 फिल्मों में काम किया है। नाना पाटेकर आज भी जोरोखरोश के साथ काम कर रहे हैं।
Edited By : Ankit Piplodiya 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

इस वजह से अपने पति की फिल्मों में काम नहीं करतीं विद्या बालन