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शाहरुख और आर्यन के बहाने माता-पिता को मिला सतर्क रहने का संदेश

शाहरुख और आर्यन के बहाने माता-पिता को मिला सतर्क रहने का संदेश

नवीन जैन

, गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021 (15:32 IST)
आर्यन खान की गिरफ्तारी को इस अर्थ में भी देखा जा सकता है कि जो कुछ भी होता है, अच्छे के लिए होता है। तेईस वर्षीय आर्यन ड्रग्स काण्ड में कितने दोषी हैं या नहीं हैं यह तो अदालत ही तय करेगी और कोर्ट के अंतिम फैसले से ही हम सब बंधे हुए हैं, लेकिन एक बात तो स्पष्ट नज़र आती है और वह यह कि मीडिया ने उक्त गिरफ्तारी को लेकर कदाचित इसलिए इतना हो हल्ला मचा रखा है कि आर्यन बॉलीवुड किंग कहे जाने वाले अरबपति, रसूखदार शाहरुख खान के पुत्र हैं। 
 
एक आंकड़े के अनुसार भारत में लगभग चार करोड़ लोग ड्रग्स की लत के शिकार हो चुके हैं। इनमें से भी 87 फ़ीसद तो 18 से 35 आयु वर्ग के हैं। यह तथ्य बारम्बार दोहराया जा चुका है दुनिया में सबसे अधिक युवाओं की संख्या (18 से 35 वर्ष) भारत में ही है, जो 55 से 60 प्रतिशत तक है। उक्त आँकड़े से कम तो ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी है।

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सही है कि जब बेटे के पाँव पिता के जूतों में आने लगे तो उसे डाँटा फटकारा नहीं जाता बल्कि पूरे धैर्य से काम लेकर उसे समझाया जाता है। आजकल के बच्चे तो ज़्यादा से ज़्यादा जज़्बाती होने लगे हैं। मनोवैज्ञानिक इसे बच्चों का बिगड़ना या हाथ से निकल जाना नहीं कहते, लेकिन इतना पक्का है कि बच्चे वही करते हैं जो उनके माता-पिता करते हैं। बोलचाल की भाषा में इसी को संस्कार कहते हैं। भाषा बाद में आती है। लगता है विशेषकर शाहरुख ख़ान इसी मुद्दे पर गच्चा खा बैठे। 
 
अभी का तो नहीं मालूम, पर कुछ साल पहले सुना था कि शाहरूख खान चैन स्मोकर (लगातार सिगरेट पीने वाले) हैं। यह भी सुना था कि सिगरेट के मार्फ़त शरीर में जो निकोटीन नामक ज़हर अंदर जाता है, उसे निकलवाने के लिए वे अक्सर विदेश जाते रहे हैं। ऐसा भी होता पाया गया है कि आवाज़ के बल पर भी जादू दिखाने वाले लगातार सिगरेट पीते हैं।
 
शाहरुख ने एक टीवी शो में मजाक में कह दिया था कि मैं चाहुँगा कि मेरा बेटा जवानी में वो सब उल्टे-सीधे काम करे, जो अपनी उम्र में मैं नहीं कर पाया। यानी सिग्नल सालों पहले मिल चुका था। रिया चक्रवर्ती के मामले में भी इसी तरह का मीडियाई हंगामा होकर रह गया था। 
 
दरअसल, जिस समाज को हम कथित रूप से परिपक्व समाज कहते हैं, उनमें बॉलीवुड वर्ग ऐसा है, जो मानकर चलता है कि चूँकि हम भगवान माने जाने लगे हैं, तो भगवान कब से ख़ता करने लगा? भारत की कानून व्यवस्था के बारे में कहा जाता है कि इसमें अक्सर फंसने का तो एक रास्ता होता है, लेकिन बाहर आने के सौ रास्ते। 

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आर्यन शाहरुख खान का केस लड़ रहे सतीश मानशिंदे देश के टॉप लॉयर हैं। कहा जाता है कि करीब दस सालों तक वे स्व. राम जेठमलानी के जूनियर रहे। सलमान खान को उन्होंने ही ज़मानत दिलवाई थी। संजय दत्त को भी बाहर लाने में उनकी वकालत काफ़ी काम आई। हालांकि कि कहा तो यह भी जाता है कि संजय दत्त को छुड़वाने में शिवसेना के संस्थापक स्व. बाल ठाकरे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य दिग्गज वकील कपिल सिब्बल का अनुभव भी बहुत काम आया। 
 
राखी सावंत भी उनकी क्लाइंट हैं। कहा जाता है कि वे एक पेशी की फीस दस लाख रुपए वसूलते हैं और कुल सम्पत्ति 569 करोड़ रुपये बताई जाती है। बेशक, शाहरुख ने बॉलीवुड में मक़ाम हासिल करने लिए खूब पापड़ बेले। शुरू में उनकी डॉयलॉग डिलीवरी और दुबलापन खूब आड़े आया। इस बीच एक हिंदू युवती गौरी भी उनसे विवाह करने के बावजूद रूठ कर चली गई। कहते हैं उसे ढूंढते वक़्त शाहरूख बस पागल नहीं हुए। फिर, उन्होंने तीन पध्दतियों से गौरी से पुनः विवाह रचाया। आज वे समाज एक सफल मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में स्थापित हो चुके हैं। भले वे बड़े परदे से कुछ सालों से ग़ायब हों, लेकिन उनकी विज्ञापनों की ब्रांड वेल्यू 550 से 600 करोड़ बताई जाती है। 
 
जानकारों की मानें तो इस खाते में बॉलीवुड किंग को ज़ोरदार झटका लग सकता है। कारण यह है कि वे अन्य उत्पादों के साथ-साथ वे शिक्षा से संबंधित विज्ञापन भी करते हैं। ये विज्ञापनदाता यदि अपने हाथ अब खींचने लगें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि बात तो वही हो जाएगी कि पर उपदेश कुशल बहुतेरे।
 
बताया जाता है कि आर्यन अपने दोनों अन्य गिरफ्तार साथियों के साथ मुंबई के प्रसिद्ध स्व. धीरूभाई स्कूल में पढ़ते थे। लोग सवाल कर रहे हैं कि इस मामले में पहला दायित्व तो शाहरुख खान का बनता था। इस अभिनेता से व्यक्तिगत रूप से सहानुभूति रखना अलग बात है, लेकिन उन्हें आर्यन के रोजमर्रा के आचरण, उसके संगी साथियों और सम्पर्कों पर तीसरी नज़र नहीं रखनी चाहिए थी। बड़े और रसूखदार लोग तो सुना है इस तरह के नाजुक प्रसंगों को पैदा ही नहीं होने देते, लेकिन लगता है शाहरुख को अपना पुत्र मोह ले बैठा। 
 
बहुत कम लोगों को ज्ञात होगा कि कुछ महीनों पहले मुंबई में एक क्राइम रिपोर्टर ने नारकोटिक्स विभाग के एक सीनियर ऑफिसर से ड्रग्स के अवैध कारोबार के बारे में कहा कि आपके पास इतना बड़ा अमला है? आपके इतने पक्के सूत्र हैं तो ड्रग्स यह ज़हरीला कारोबार निरंतर पनपता क्यों जा रहा है?
 
उस आला अफसर ने गहरे अफसोस के साथ कहा कि यदि हम कानून के अनुसार चलें तो सबसे पहले मेलों, ठेलों, चौपालों पर छापे मारने पड़ें। उक्त अधिकारी ने उस पत्रकार से यह भी कहा कि आप तो शायद जानते ही होंगे कि उक्त अवसरों पर कौनसे नशे कब किए जाते हैं। भारत में ड्रग्स का कारोबार पंजाब और गुजरात में सबसे ज्यादा होता है। मतलब ड्रग्स के नशेड़ी इन्हीं दो प्रदेशों में पाए जाते हैं। दोनों ही सूबों की पर कैपिटा इनकम देश में सबसे ज़्यादा है और दोनों ही प्रदेशों की सरहदें पाकिस्तान से लगी हैं।
 
यह तथ्य किससे छिपा है मूलतः अफगानिस्तान ऊर्फ़ तालिबान में दुनिया भर की 80 से 90 फ़ीसद अफीम की सिर्फ़ खेती ही नहीं होती, बल्कि विभिन्न ड्रग्स में उन्हें परिष्कृत तक कर दिया जाता है ताकि इस देश की लाचार पड़ी अर्थव्यवस्था में 40 प्रतिशत तक जान फूँकी जा सके। सूत्र कहते हैं कि मुँह माँगे पैसे दे दो तो पाकिस्तान और गुजरात में ड्रग्स की तस्करी के गुर्गे सेवा के लिए तैयार ही बैठे रहते हैं। 
 
पंजाब में तो महिलाएँ भी ड्रग्स की नशेड़ी होती जा रही हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री केप्टन अमरिंदर सिंह ने एक अनोखी योजना बनाई थी, जिसका नाम था इच वन टीच वन यानी प्रत्येक सरकारी कर्मचारी राज्य सरकार के खर्च पर ड्रग्स का एक नशेड़ी को गोद लेगा और उसे समझा बुझाकर समाज की मुख्यधारा में लौटाने का हर सम्भव प्रयास करेगा। 
 
अंत में शाहरुख खान की इस अनोखी चुनौती की चर्चा। शाहरुख खान को ध्यान रखना चाहिए था कि आर्यन क्रूज पर सवार होकर गोवा तो जा रहा है,लेकिन वहाँ जाकर पार्टी में करेगा क्या? चलिए वे चूक गए, पर अन्य माता पिता को तो सतर्क रहने का संदेश और सबक मिल ही गया। 

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