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स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक राम प्रसाद बिस्मिल का जन्मदिन, जानें 8 रोचक तथ्य

Ramprasad Bismil

WD Feature Desk

, मंगलवार, 11 जून 2024 (13:24 IST)
Highlights 
 
11 जून 1897 को हुआ था रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म।  
अमर शहीद स्वतंत्रता सेनानी के बारे में जानें।  
 
Ramprasad Bismil : आज रामप्रसाद 'बिस्मिल' की जयंती है। वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महान नायक के रूप में जाने जाते हैं।  
 
आज 11 जून को उनके जन्मदिवस पर जानें उनके बारे में 8 बातें-
 
- पंडित रामप्रसाद बिस्मिल का नाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारी के रूप में प्रमुखता से लिया जाता है। उनका जन्म 11 जून 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था। 
 
- रामप्रसाद बिस्मिल के पिता का नाम मुरलीधर और माता का नाम मूलमती था। उनके पिता रामभक्त थे, जिसके कारण उनका नाम 'र' से रामप्रसाद रखा गया था। 
 
-  बचपन में रामप्रसाद बिस्मिल की जन्मकुंडली देखकर ज्योतिषी ने यह भविष्यवाणी की थी, कि- 'यद्यपि संभावना बहुत कम है, किंतु यदि इस बालक का जीवन किसी प्रकार बचा रहा, तो इसे चक्रवर्ती सम्राट बनने से दुनिया की कोई भी ताकत रोक नहीं पाएगी।' 
- बिस्मिल उनका उपनाम था, जो कि उर्दू भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है आत्मिक रूप से आहत। 
 
- बिस्मिल ने 19 वर्ष की आयु में क्रांति के रास्ते पर अपना पहला कदम रखा था।
 
- रामप्रसाद एक कुशल बहुभाषा अनुवादक, इतिहासकार, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी के अलावा एक बेहतरीन कवि, शायर और साहित्यकार भी थे। उन्होंने राम और अज्ञात नाम से भी लेखन किया है।
 
- काकोरी-कांड, मैनपुरी षड्यंत्र जैसी कई आंदोलनकारी घटनाओं में प्रमुखता से शामिल रहे रामप्रसाद जी ने फांसी पर चढ़ने से तीन दिन पहले तक अपना लेखन कार्य जारी रखा था।  
 
- रामप्रसाद बिस्मिल वो महान क्रांतिकारी हैं, जिन्हें मात्र 30 वर्ष की आयु में 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल में अंग्रेजी सरकार ने फांसी दे दी थीं। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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