सर्वप्रिया सांगवान
दिल्ली के इंडिया गेट पर इन दिनों वर्ल्ड फ़ूड इंडिया मेला चल रहा है जो भारत के अलग-अलग हिस्सों में मिलने वाली खाने की चीज़ों को देखने और जानने का अच्छा मौका है। ख़ास बात है कि 3 से 5 नवंबर तक चलने वाले इस मेले में 20 से ज़्यादा देश हिस्सा ले रहे हैं और भारत के 26 राज्यों के किसान, कंपनियां और कृषि से जुड़े कई सरकारी संस्थान यहाँ आए हैं।
जिस खिचड़ी को लेकर आजकल भारत में सभी चर्चा कर रहे हैं, वो शनिवार को मेले में पकने वाली है। बताया जा रहा है कि मेले में 800 किलो से अधिक खिचड़ी बनने की तैयारी चल रही है।
मेले में तमिलनाडु के मदनगोपाल ने अपने स्टॉल पर केले की 7 किस्में दिखायीं। लाल रंग के केले के बारे में बहुत से लोग सवाल करते नज़र आये। मदनगोपाल ने बताया कि इन सभी किस्मों में कोई ना कोई गुण है जो कई तरह के रोग ठीक कर सकता है।
वो कहते हैं कि अब तक दक्षिण भारत में ही केले की ऐसी फसल उगाई जाती है और वो चाहते हैं कि उत्तर भारत में भी वो अपना कारोबार बढ़ाएं ताकि यहाँ के लोगों को भी केले की ऐसी किस्में आसानी से मिल सकें।
राजस्थान के किसान खिलैया लाल बताते हैं कि उनकी कंपनी छोटे-सीमांत किसानों का संघ है जिसका मक़सद है कि लोगों को क्वालिटी उत्पाद मिले और किसानों को उनका सही दाम। हमें उन्होंने अपनी हल्दी और अदरक दिखाई जिसकी खुशबू दिल्ली में मिलने वाली हल्दी या अदरक से अलग है। ये खुशबू दिल्ली में मिल पाना मुश्किल है।
वो बाज़ार के दाम से कम कीमत पर वो अपना सामान बेचते हैं। उनकी शिकायत है कि उन्हें सरकार से पर्याप्त आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही।
महाराष्ट्र की महिलाओं ने भी अपने घर में बनाये उत्पाद हमें चखाए। जिनमें से एक थी ऐसी रोटी जो 3 महीने तक भी ख़राब नहीं होती। इन महिलाओं ने घर रहकर ही अपना कारोबार खड़ा किया है। मराठी में ही बात कर पाने वाली ये महिलाएं अपने कारोबार को दुनिया में फैलाना चाहती हैं।
मेले में हमें एक ऐसी नई मोबाइल बस यूनिट वहां दिखी जो जगह-जगह जाकर मिलावट की जांच-पड़ताल करेगी। इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फूड प्रोसेसिंग की एक मोबाइल यूनिट भी दिखाई दी जो किसानों तक जाएगी और उनके उत्पाद प्रोसेस करेगी। इस यूनिट की मदद से उनके प्याज़ और टमाटर की फसल को छांटना आसान होगा ताकि उन्हें बेचने के लिए तैयार किया जा सके। इससे फसल की बरबादी रुकेगी।
ज़्यादातर पंडाल कंसल्टेंसी सर्विस कंपनियों के दिखे जो सरकारों को उनकी कृषि संबंधित योजनाओं में मदद करती हैं। इस मेले का मकसद भारत की फ़ूड इंडस्ट्री के कारोबार को बढ़ाना है क्योंकि विश्व में भारत खाद्य उत्पादन में दूसरे नंबर पर आता है। इस मेले में विश्व के कई देशों और भारत के राज्यों को एक प्लेटफार्म दिया गया है ताकि वो आपस में अपने कारोबार और निवेश को बढ़ा सकें।