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'जासूसी ग़ुब्बारे' के मामले में चीन के लोग इतने गुस्से में क्यों हैं?

'जासूसी ग़ुब्बारे' के मामले में चीन के लोग इतने गुस्से में क्यों हैं?
, बुधवार, 15 फ़रवरी 2023 (12:48 IST)
टेसा वोंग और फ़ान वांग, बीबीसी न्यूज़
चीन ने दावा किया है कि अमेरिका ने उसके आसमान में ग़ुब्बारे भेजे हैं। कथित 'जासूसी ग़ुब्बारे' पर लगातार अपने बदलते रुख़ से जुड़ा यह उसका ताज़ा बयान है।
 
पिछले दिनों अमेरिकी आसमान में एक कथित चीनी स्पाई बलून के देखे जाने और फिर इसे गिराने की घटना ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। ये बयान अमेरिका के उस आरोप के दो सप्ताह बाद बाद आया है जिसमें कहा गया था कि चीन ने उसके यहां जासूसी ग़ुब्बारा भेजा है।
 
चीन के इस बयान के बाद चीन सरकार और लोगों के बीच तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। लोग रोष से भरे दिखे और ग़ुस्से भरी प्रतिक्रियाएं भी दीं।
 
पेंटागन ने जब 2 फ़रवरी को इस ग़ुब्बारे के अमेरिकी आसमान में उड़ने की जानकारी दी थी तो चीनी अधिकारियों ने तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं की थी। अगली शाम ही उन्होंने इस पर अपनी चुप्पी तोड़ी।
 
एक बयान में उन्होंने माना कि यह गुब्बारा उन्हीं का था, लेकिन उनका कहना था कि ये एक सिविलयन एयरशिप थी जिसका मौसम संबंधी रिसर्च के लिए इस्तेमाल किया गया था। हालांकि उसने माना कि इसे उड़ाया गया था।
 
चीन ने ये बात बिल्कुल माफ़ी मांगने के अंदाज़ में कही थी। वो शायद ही ऐसा करता है। उसने इसे हादसा बताया था और कहा था कि ये एयरशिप ग़ैर इरादतन अमेरिकी एयर स्पेस में घुस गया था। शायद मौसम में बदलाव की वजह से ये गुब्बारा उधर चला गया था।
 
चीनी मीडिया का रुख़
लेकिन चीन का सरकारी मीडिया ज़्यादा रक्षात्मक मुद्रा में दिखा। सरकार की ओर से ग़ुब्बारा भेजने की बात मान लेने से पहले तक उसे मुद्दे पर रिपोर्टिंग न करने को कहा गया था।
 
'चाइना डेली' ने दावा किया, 'ग़ुब्बारे की झूठी कहानियां गढ़ कर इसे चीन के साथ नहीं जोड़ा जा सकता।' वहीं ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिका से अपील करते हुए कहा, 'अमेरिका को चीन के ख़िलाफ़ भड़काने वाली कार्रवाई करने के बजाय उससे रिश्ते सुधारने पर ज़ोर देना चाहिए।'
 
इंटरनेट पर भी लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया देने में देर नहीं की। कई लोगों ने इस पर मज़ाक बनाना शुरू कर दिया। कई लोगों ने इसे ''भटकता ग़ुब्बारा'' कहा। ये एक लोकप्रिय चीनी साइंस-फ़िक्शन और फ़िल्म 'वांडरिंग अर्थ' से लिया गया शब्द है।
 
अगली सुबह चीनी अधिकारियों ने एक लंबी और ज़्यादा ज़ोरदार प्रतिक्रिया जारी की। ये बयान अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के चीन दौरा रद्द होने के बाद आया था। चीन ने इस पर कहा, 'अमेरिका के कुछ राजनीतिक नेताओं और मीडिया ने इस मामले को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया है ताकि चीन को बदनाम किया जा सके।'
 
लेकिन इसी दिन अमेरिका ने इस ग़ुब्बारे को गिरा दिया। इस कार्रवाई से चीन और भड़क गया। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा,'' ये साफ़ तौर पर अति प्रतिक्रिया का मामला है''। चीन ने कहा कि ये 'ग़ैर ज़िम्मेदार' कार्रवाई 'नामंज़ूर' है।
 
प्रवक्ता से जब पूछा गया कि क्या चीन ने अमेरिका से ग़ुब्बारे का बचा हुआ हिस्सा वापस मांगा है तो उन्होंने कहा ,'' ये एयरशिप अमेरिका का नहीं चीन का है।'' चीनी अधिकारियों ने इस पर बीजिंग स्थित अमेरिकी दूतावास से औपचारिक शिकायत दर्ज कराई।
 
सोशल मीडिया पर भड़का रोष
चीनी राष्ट्रवादियों ने इंटरनेट पर भी ख़ूब रोष दिखाया। इन लोगों ने अमेरिकी कार्रवाई की ख़ूब लानत-मलामत की।
 
'ग्लोबल टाइम्स' के पूर्व एडिटर-इन-चीफ़ हु जिजिन का कहना था कि अमेरिका को इस स्थिति के ख़ात्मे के लिए मिसाइल का इस्तेमाल करना पड़ा क्योंकि अमेरिकी तथ्यों के ज़रिये इस मसले को नहीं सुलझा सके। इसके बजाय उन्हें इसका राजनीतिकरण करना पड़ा।
 
इस बीच एक और ग़ुब्बारा लातिन अमेरिका की ओर उड़ता दिखा। इसके बारे में भी चीनी अधिकारियों ने कहा कि ये उनका था। चीन में इंटरनेट पर इस बात की ज़ोरदार चर्चा चल रही है कि आख़िर किसने इस ग़ुब्बारे को उड़ाया था।
 
कइयों ने हाल की उन ख़बरों का हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि एक स्थानीय कंपनी केमचाइना झुझोऊ रबर रिसर्च एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट चीन में इस तरह की ऊंचाई पर उड़ने वाले ग़ुब्बारे के उत्पादकों में से एक है।
 
कुछ ब्लॉगर्स का दावा था कि केमचाइना झुझोऊ एक सरकारी कंपनी की सब्सिडियरी है। उसी ने ये ग़ुब्बारा बनाया था। लेकिन एयरशिप के इस कंपनी के साथ संबंध का कोई सबूत नहीं मिला है।
 
रविवार को इस मामले में और भ्रम की स्थिति दिखी। ये भ्रम एक मीडिया संस्थान की उस ख़बर से पैदा हुआ जिसमें कहा गया था कि एक अज्ञात चीज़ पूर्वी शंदोंग प्रांत के तटीय इलाकों की तरफ उड़ती जा रही थी।
 
चीनी मछली पालन विभाग के अधिकारियों ने स्थानीय मछुआरों को चेतावनी दी थी कि चीनी अधिकारी इस उड़ती हुई चीज़ को गिराने की तैयारी कर रहे हैं।
 
कुछ चीनी मीडिया संस्थानों ने इसकी ख़ब़र दी, लेकिन सरकारी मीडिया और सरकारी विभाग चुप रहे।
 
इस वजह से सोशल मीडिया पर इसकी ख़ूब चर्चा हो रही थी और अटकलें चलाई जा रही थीं। लेकिन कुछ लोग कह रहे थे कि अगर ये सच है तो ये ख़बर आधिकारिक मीडिया चैनलों पर क्यों नहीं आई।
 
बदला हुआ नैरेटिव
सोमवार को चीनी सरकार ने एक नया दावा किया। उसने कहा कि चीनी ग़ुब्बारों ने पिछले साल दस बार उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया।
 
चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ''सबसे पहले अमेरिका को अपने अंदर झांकना चाहिए और चीन को बदनाम करने और उस पर आरोप लगाने के बजाय आपसी रिश्तों को लेकर एक नई शुरुआत करनी चाहिए। ''
 
लेकिन अमेरिका ने चीन के आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है। इसके साथ ही सरकारी मीडिया एक अलग ही नैरेटिव पर पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। इसमें ओहायो में पटरी से उतरी एक ट्रेन का ज़िक्र किया जा रहा है, जो कुछ ख़तरनाक चीज़ें ले जा रही थी।
 
हालांकि ये ट्रेन फरवरी की शुरुआत में दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। चीनी मीडिया अब इस मामले को कवर करने में काफ़ी समय दे रहा है। अमेरिकी अधिकारियों ने इस ख़तरनाक केमिकल को फैलने से रोकने के लिए कुछ केमिकल को किनारे से निकाल लिया।
 
चीन में सोशल मीडिया पर इसकी ख़ूब चर्चा हो रही है। चीन का ट्विटर माने जाने वाले वीबो पर ओहायो ट्रेन हैशटैग कम से कम 69 करोड़ बार देखा गया। इस मामले पर 40 से अधिक हैशटैग चल रहे थे।
 
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने लिखा कि ये दुर्घटना एक बड़ा वैश्विक पर्यावरण संकट साबित हो सकता है। वो इस बात पर रोष जता रहे थे कि इस दुर्घटना के बारे में अमेरिका में इतना कम मीडिया कवरेज क्यों हो रहा है।
 
तीन हज़ार बार पढ़े गए एक पोस्ट में लिखा गया, ''ऐसा लगता है कि ओहायो हादसे को छिपाने के लिए गु़ब्बारे का का मामला उठाया गया।''

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