Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

श्रीलंकाई धमाकों के पीछे नेशनल तौहीद जमात तो नहीं?

श्रीलंकाई धमाकों के पीछे नेशनल तौहीद जमात तो नहीं?
, मंगलवार, 23 अप्रैल 2019 (11:23 IST)
- बीबीसी मॉनिटरिंग (हिंदी के लिए)
 
श्रीलंका में रविवार को करीब 300 लोगों की जान लेने वाले हमलों के तार नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) नाम के एक समूह से जुड़ रहे हैं। इस समूह के बारे में पहले बहुत कम लोग जानते थे।
 
हालांकि एनटीजे या किसी और समूह ने अब तक इन सिलसिलेवार धमाकों की ज़िम्मेदारी नहीं ली है। फिर भी आरोप अपनी जगह हैं और एनटीजे को लेकर चर्चाएं हो रही हैं।
 
एसएलटीजे से अलग होकर बना?
सोमवार को श्रीलंका सरकार के प्रवक्ता ने जब पहली बार इस समूह का नाम लिया तो यह एक अनजाना नाम था। बताया जाता है कि यह समूह श्रीलंका के कट्टरपंथी इस्लामी समूह श्रीलंका तौहीद जमात (एसएलटीजे) से अलग होकर वजूद में आया है।
 
एसएलटीजे भी बहुत चर्चाओं में नहीं रहा है लेकिन फिर भी उसके बारे में कुछ जानकारियां उपलब्ध हैं। एसएलटीजे के सचिव अब्दुल राज़िक को 2016 में बौद्ध लोगों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था। बाद में उन्होंने इस पर माफ़ी भी मांगी थी।
 
बीते दिसंबर में मध्य श्रीलंका के मॉनेला में बौद्ध मठों पर हुई तोड़फोड़ को भी कुछ रिपोर्टों में एसएलटीजे से जोड़ा गया था। उस वक़्त मठ के बाहर लगी बुद्ध की मूर्तियों को निशाना बनाया गया था।
 
श्रीलंका में मुसलमान अल्पसंख्यक हैं। देश की कुल आबादी का सिर्फ़ 9.7 फीसदी ही मुसलमान हैं। सोशल मीडिया पर भी एसएलटीजे की मुखर मौजूदगी भी नहीं दिखती। उनका एक फे़सबुक पेज है जिस पर कुछ-एक हफ़्तों में कुछ पोस्ट किया जाता है। उनके ट्विटर हैंडल पर मार्च 2018 के बाद से कुछ नहीं लिखा गया है।
 
समूह की वेबसाइट भी ऑफ़लाइन है- हालांकि यह साफ़ नहीं है कि रविवार को हमलों के बाद ऐसा हुआ या पहले से ही वेबसाइट ऑफ़लाइन थी।
हमले से जुड़े तार
सरकारी प्रवक्ता रजिता सेनारत्ने ने सोमवार को कोलंबो में पत्रकारों को बताया कि विदेशी ख़ुफिया एजेंसियों की ओर से हमले की आशंका के संबंध में कई चेतावनी दी गई थीं।
 
श्रीलंका के दूरसंचार मंत्री हरिन फर्नांडो ने एक चिट्ठी ट्वीट की है, जिसे कथित तौर पर श्रीलंका पुलिस के प्रमुख ने इसी महीने भेजा था। इस चिट्ठी में एनटीजे का ज़िक्र किया गया गया है और यह भी लिखा है कि यह समूह गिरिजाघरों और भारतीय उच्चायोग पर हमले की योजना बना रहा है।
 
इस चिट्ठी में मोहम्मद ज़ाहरान हाशमी को एनटीजे का प्रमुख बताया गया है। इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के श्रीलंका निदेशक एलन कीनन ने बीबीसी 5लाइव को बताया है कि एनटीजे वही समूह मालूम होता है जो मॉनेला में हुई तोड़फोड़ के पीछे था।
 
उन्होंने बताया, "पुलिस ने नौजवानों के एक समूह को गिरफ़्तार किया है जो उस शख़्स के छात्र हैं, जिसका नाम इंटेलीजेंस दस्तावेज़ में आया था।" लेकिन चूंकि एनटीजे एक बेहद छोटा समूह है, अधिकारियों को शक है कि उनके पीछे कोई और भी हो सकता है।
 
सेनारत्ने के मुताबिक, "हम नहीं मानते कि एक छोटा संगठन यहां ये सब कर सकता है। हम विदेश में उनके समर्थन की जांच कर रहे हैं। हम जांच कर रहे हैं कि उन्होंने कैसे आत्मघाती हमलावर तैयार किए और इस तरह के बम बनाए।"
 
एनटीजे का नाम लिए बिना श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय ने भी कहा है कि जो भी इन हमलों के पीछे था, उसे विदेश मे मदद ज़रूर मिली थी। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के बयान के मुताबिक, "खुफिया विभागों ने बताया है कि इन स्थानीय आतंकवादियों के पीछे अंतरराष्ट्रीय आंतकवादी समूह हैं। उनसे लड़ाई के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मदद ली जाएगी।"
 
उधर, मैसेजिंग एप्लीकेशन टेलीग्राम पर इस्लामिक स्टेट के कुछ समर्थकों ने मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से लिखा है कि ज़ाहरान हाशमी ने आईएस प्रमुख अबू बकर अल-बग़दादी के प्रति निष्ठा घोषित करने की अपील की है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

लंग कैंसर का बहुत जल्दी पता लगा लेते हैं कुत्ते