Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

18 महीने तक ज़िंदा रहा था ये सिरकटा मुर्गा!

18 महीने तक ज़िंदा रहा था ये सिरकटा मुर्गा!
, शुक्रवार, 30 मार्च 2018 (14:05 IST)
क्रिस स्टोकल वॉकर
अमेरिका में 70 साल पहले एक किसान ने एक मुर्गे का सिर काट दिया, लेकिन वह मरा नहीं बल्कि 18 महीने तक जिंदा रहा। चकित  करने वाली इस घटना के बाद यह मुर्गा 'मिरैकल माइक' नाम से मशहूर हुआ। ये सिरकटा मुर्गा इतने दिनों तक ज़िंदा कैसे रहा?
 
10 सितंबर 1945 को कोलाराडो में फ़्रूटा के अपने फ़ार्म पर लॉयल ओल्सेन और उनकी पत्नी क्लारा मुर्गे-मुर्गियों को काट रहे थे। लेकिन  उस दिन 40 या 50 मुर्गे-मुर्गियों में से एक सिर कट जाने के बाद भी मरा नहीं। ओल्सेन और क्लारा के प्रपौत्र ट्रॉय वाटर्स बताते हैं,  "जब अपना काम ख़त्म कर वे मांस उठाने लगे तो उनमें से एक जिंदा मिला जो बिना सिर के भी दौड़े चला जा रहा था।"
 
दम्पति ने उसे सेब के एक बक्से में बंद कर दिया, लेकिन जब दूसरी सुबह लॉयल ओल्सेन ये देखने गए कि क्या हुआ तो उसे ज़िंदा  पाकर उन्हें बहुत हैरानी हुई। बचपन में वाटर्स ने अपने परदादा से ये कहानी सुनी थी। अमेरिका के फ्रूटा में हर साल 'हेडलेस चिकन'  महोत्सव मनाया जाता है।
 
वाटर्स कहते है, "वो मीट बाज़ार में मांस बेचने के लिए ले गए और अपने साथ उस 'हेडलेस चिकन' को भी लेते गए। उस समय घोड़ा  गाड़ी हुआ करती थी। बाज़ार में उन्होंने इस अजीब घटना पर बियर या ऐसी चीजों की शर्त लगानी शुरू कर दी।"
 
यह बात जल्द ही पूरे फ़्रूटा में फैल गई। एक स्थानीय अख़बार ने ओल्सेन का साक्षात्कार लेने के लिए अपना रिपोर्टर भेजा। कुछ दिन  बाद ही एक साइडशो के प्रमोटर होप वेड 300 मील दूर यूटा प्रांत के साल्ट लेक सिटी से आए और ओल्सेन को अपने शो में आने का  न्यौता दिया।
 
अमेरिका का टूर : वह पहले साल्ट लेक सिटी गए और फिर यूटा विश्वविद्यालय पहुंचे जहां 'माइक' की जांच की गई। अफ़वाह उड़ी कि  विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कई मुर्गों के सिर काटे ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे सिर के बिना ज़िंदा रहते हैं या नहीं।  माइक को 'मिरैकल माइक' नाम होप वेड ने ही दिया था। उस पर 'लाइफ़ मैग्ज़ीन' ने भी कहानी की।
 
इसके बाद तो लॉयड, क्लारा और माइक पूरे अमेरिका के टूर पर निकल पड़े। वे कैलिफ़ोर्निया, एरिज़ोना और अमेरिका के दक्षिण पूर्वी  राज्यों में गए। माइक की इस यात्रा से जुड़ी बातों को क्लारा ने नोट किया था जो आज भी वाटर्स के पास मौजूद है। लेकिन ओल्सेन  जब 1947 के बसंत में एरिज़ोना के फ़ीनिक्स पहुंचे तो माइक की मृत्यु हो गई।
 
माइक को अक्सर ड्रॉप से जूस वगैरह दिया जाता था और उसकी भोजन नली को सीरिंज से साफ किया जाता था, ताकि गला चोक न  हो। लेकिन उस रात वे सीरिंज एक कार्यक्रम में भूल गए थे और जब तक दूसरे का इंतज़ाम होता, माइक की दम घुटने से मौत हो गई।
 
आर्थिक स्थिति सुधरी : वाटर्स कहते हैं, "सालों तक ओल्सेन यह दावा करते रहे कि उन्होंने माइक को बेच दिया था। लेकिन एक रात  उन्होंने मुझे बताया कि असल में वह मर गया था।" हालांकि ओल्सेन ने कभी नहीं बताया कि उन्होंने माइक का क्या किया लेकिन  उसकी वजह से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
 
न्यूकैसल यूनिवर्सिटी में सेंटर फ़ॉर बिहैवियर एंड इवोल्यूशन से जुड़े चिकन एक्सपर्ट डॉ. टॉम स्मल्डर्स कहते हैं कि आपको ताज्जुब होगा  कि चिकन का पूरा सिर उसकी आंखों के कंकाल के पीछे एक छोटे से हिस्से में होता है।
 
रिपोर्टों के अनुसार माइक की चोंच, चेहरा और आंखें निकल गई थीं, लेकिन स्मल्डर्स का अनुमान है कि उसके मस्तिष्क का 80 प्रतिशत  हिस्सा बचा रह गया था, जिससे माइक का शरीर, धड़कन, सांस, भूख और पाचन तंत्र चलता रहा।
 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

देशभक्ति का ऑर्केस्ट्रा और ‘दूसरे गांधी’ अन्ना का एक और सत्याग्रह