Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

बलात्कार के बाद मैं कैसे हुई बेख़ौफ़...

बलात्कार के बाद मैं कैसे हुई बेख़ौफ़...
, गुरुवार, 4 अक्टूबर 2018 (11:28 IST)
बलात्कार की वारदातों पर जब मीडिया में लिखा जाता है, तो अक़्सर हिंसा का ब्योरा और इंसाफ़ की लड़ाई की चर्चा होती है।
 
समाज में उस लड़की की इज़्ज़त और उसकी शादी पर असर पड़ने का ज़िक्र भी होता है।
 
लेकिन हिंसा के दिल और दिमाग पर पड़नेवाले चोट की बात नहीं होती। जिसके चलते पीड़िता खुद को कमरे में क़ैद कर लेती है। बाहर निकलने से डरती है।
 
बलात्कार के बाद लोगों पर भरोसा टूटने, ज़हन में ख़ौफ़ के घर कर जाने और उस सबसे उबरने के संघर्ष की चर्चा नहीं होती।
 
हमने उत्तर प्रदेश के एक गांव में बलात्कार का शिकार हुई लड़की से बात कर यही समझने की कोशिश की।
जाना कि पांच साल में उसने अपने डर को कैसे मात दी? उसके लिए उसके पिता का साथ और 'रेड ब्रिगेड' संगठन चला रहीं समाज सेविका ऊषा के साथ गांव से निकलकर शहर आना कितना ज़रूरी था।
 
बलात्कार के बाद बैख़ौफ़ सड़क पर निकलना भर कितनी बड़ी चुनौती हो सकती है और उससे जीत पाने के लिए साहस कैसे जुटाया जाता है, यही बताती है इस लड़की की कहानी।
 
(रिपोटर- दिव्या आर्य, कैमरा/एडिटिंग– काशिफ़ सिद्दिकी)

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

तीन महीने से लापता चीनी अभिनेत्री पर करोड़ों का जुर्माना