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राहुल गांधी बनाम हिमंत बिस्वा सरमा: सियासी टकराव की हालिया कहानी क्या पुरानी तकरार का विस्तार है

rahul gandhi bharat jodo nyay yatra

BBC Hindi

, रविवार, 28 जनवरी 2024 (10:00 IST)
दिलीप कुमार शर्मा, बीबीसी हिंदी के लिए, गुवाहाटी से
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 29 अक्टूबर 2017 को अपने पालतू कुत्ते को बिस्किट खिलाते हुए ट्विटर(अब एक्स) पर एक वीडियो पोस्ट किया था। 14 सेकंड के इस वीडियो में राहुल गांधी अपने पालतू कुत्ते (पिडी) की नाक पर बिस्किट का टुकड़ा रखते हैं और चुटकी बचाकर उसे खाने का इशारा करते हैं, पिडी नाक पर रखा बिस्किट उछालता है और मुंह में लपक लेता है।
 
राहुल ने अपने पालतू कुत्ते पिडी की तरफ़ से लिखा, "लोग अक़्सर पूछते हैं कि इस आदमी (राहुल गांधी) के लिए कौन ट्वीट करता है... तो मैं सभी के सामने हाज़िर हूं... यह मैं हूं... पिडी... मैं उन्हीं की तरह स्मार्ट (स्माइली) हूं। देखिए मैं एक ट्वीट के साथ क्या सकता हूं... उप्पस...ट्रीट के साथ!"
 
राहुल गांधी के इस पोस्ट पर उस समय असम में बीजेपी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे हिमंत बिस्वा सरमा ने लिखा, "राहुल गांधी सर, मुझसे बेहतर इसे कौन जान सकता है। मुझे अभी भी याद है जब हम असम के गंभीर मुद्दों पर आपसे चर्चा करना चाहते थे, तब आप इसे (कुत्ते को) बिस्किट खिलाने में व्यस्त रहते थे।"
 
यह पहला मौक़ा था जब हिमंत बिस्वा सरमा ने बीजेपी में शामिल होने के बाद अपनी पुरानी पार्टी के कद्दावर नेता के ख़िलाफ़ इतनी तल्ख़ टिप्पणी की थी। उसके बाद से वो सार्वजनिक तौर पर राहुल गांधी के ख़िलाफ़ लगातार बोलते रहे हैं।
 
2021 में असम के मुख्यमंत्री बने हिमंत बिस्वा सरमा ने उत्तराखंड की एक चुनावी रैली में राहुल गांधी के कथित तौर पर सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगने पर उनके ख़िलाफ़ ऐसी टिप्पणी कर दी जो कांग्रेस समेत कई लोगों को नागवार गुज़री।
 
हिमंत ने राजीव गांधी और राहुल गांधी को लेकर एक आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी।
 
इस बयान के बाद हिमंत के ख़िलाफ़ कांग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं ने दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया था। कई जगह उन पर आपराधिक मामले दर्ज करने की बात भी सामने आई थी।
 
असम में सतह पर आया टकराव
असम से हाल में गुज़री राहुल गांधी की "भारत जोड़ो न्याय यात्रा" सियासी टकराव में घिर गई थी।
 
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों की बदलती राजनीति को समझने वाले कुछ जानकार इस टकराव को हिमंत बिस्वा सरमा की राहुल गांधी के साथ 'पुरानी रंजिश' के साथ जोड़कर देखते हैं।
 
हिमंत बिस्वा सरमा के कुछ समर्थकों का दावा है कि राहुल गांधी ने साथ दिया होता तो 2011 में कांग्रेस के तीसरे कार्यकाल में तरुण गोगोई की जगह हिमंत असम के मुख्यमंत्री होते।
 
14 जनवरी को मणिपुर से शुरू हुई कांग्रेस की यह यात्रा नगालैंड होते हुए असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और अब पश्चिम बंगाल से गुज़र रही है।
 
यह यात्रा अपने पहले दिन से ही सियासी टकराव के कारण चर्चा में है। असम के पहले हिंसाग्रस्त मणिपुर में सत्तारूढ़ बीजेपी ने राजधानी इंफाल से यात्रा निकालने की अनुमति देने से मना कर दिया था।
 
लेकिन कांग्रेस नेताओं की वहां के मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों से हुई कई दौर की बातचीत के बाद इस यात्रा को इंफाल की जगह थौंबल ज़िले में एक निजी मैदान से शुरू किया गया। लेकिन जैसे ही यह यात्रा असम पहुंची 'सियासी टकराव हिंसा' में बदल गया।
 
राहुल का तीखा हमला
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने असम में प्रवेश करते ही एक सभा में हिमंत बिस्वा सरमा को ‘देश का सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री’ कह दिया।
 
इसके जवाब में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी गांधी परिवार को ‘देश का सबसे भ्रष्ट परिवार’ बताया।
 
राहुल गांधी की यात्रा असम के जिस भी शहर से गुजरी, कांग्रेस नेता ने अपनी प्रत्येक सभा में असम के मुख्यमंत्री का नाम लेकर कहा कि हिमंत बिस्वा सरमा 'देश के सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री' हैं।
 
इसके बाद यह टकराव लगातार बढ़ता गया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश की गाड़ी पर कथित हमले की बात सामने आई।
 
मीडिया में ऐसी तस्वीरें देखी गईं जिनमें असम प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन बोरा की नाक से ख़ून टपक रहा था।
 
जोरहाट और लखीमपुर में दोनों तरफ से एफ़आईआर दर्ज हुई। राहुल गांधी को श्रीमंत शंकरदेव सत्र मंदिर जाने की अनुमति नहीं मिली।
 
जोराबाट में बैरिकेड हटाने के प्रयास के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच हुई झड़प को भी लोगों ने देखा और एक ऐसा मोड़ आया जब असम के मुख्यमंत्री ने डीजीपी को राहुल गांधी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने का निर्देश तक दे दिया।
 
अब मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी को गिरफ़्तार करने की बात कही है।
 
पीएम मोदी पर भी साध चुके हैं निशाना
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हिमंत बिस्वा सरमा शुरू से ही बहुत महत्वाकांक्षी रहे हैं और अपनी राजनीति को चमकाने के लिए समय-समय पर वे इस तरह के विवादित बयान देते रहे हैं।
 
असम की राजनीति को पिछले दो दशकों से कवर करते आ रहे वरिष्ठ पत्रकार समीर पुरकायस्थ कहते हैं, "बीजेपी में आने के बाद से हिमंत जिस कदर राहुल गांधी के ख़िलाफ़ बोलते रहे हैं उससे साफ़ पता चलता है कि उनको असम में कांग्रेस के तीसरे कार्यकाल में मुख्यमंत्री नहीं बनाने की कसक आज भी चुभती है।"
 
वो कहते हैं, "बात केवल 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' की नहीं है, वो राजनीतिक मंच पर राहुल के विरोध में लगातार हमला करते रहे हैं।"
 
समीर पुरकायस्थ के मुताबिक़, "इस समय राहुल गांधी देश में विपक्ष के बड़े नेता हैं जिनके एक बयान पर प्रतिक्रिया देने के लिए बीजेपी के शीर्ष नेताओं को सामने आना पड़ जाता है। लिहाजा हिमंत राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में बने रहने के लिए भी इस तरह की बयानबाज़ी करते हैं।"
 
वो कहते हैं, "हिमंत की शुरू से एक राजनीतिक शैली रही है। वो इस तरह के विवादित बयान देकर पार्टी आलाकमान को खुश करने का प्रयास करते रहे हैं। 2014 में कांग्रेस में रहते उन्होंने नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ भी ऐसा विवादित बयान दिया था जिससे बीजेपी के कई शीर्ष केंद्रीय नेता ख़फ़ा हो गए थे।"
 
असम के वरिष्ठ पत्रकार अनिर्बान रॉय कहते हैं, "राजनीतिक प्रतिशोध भारतीय राजनीति में कोई नई चीज़ नहीं है। हिमंत बिस्वा सरमा ने अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस में रहकर ही बनाया है। अगर वो कांग्रेस के बड़े नेता नहीं होते तो बीजेपी उन्हें अपनी पार्टी में शामिल ही नहीं करती।"
 
"लिहाजा, राहुल को लेकर वो जो भी बयानबाज़ी करते हैं, उस भाषा को जनता भी अब समझती है। जब हिमंत कांग्रेस में थे तो उन्होंने मोदी जी के लिए भी ऐसी बयानबाज़ी की थी।"
 
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कांग्रेस में राजनीतिक करियर
वैसे तो हिमंत बिस्वा सरमा के बीजेपी में शामिल होने के कई कारण बताए जाते हैं, लेकिन तरुण गोगोई से टकराव और कांग्रेस हाईकमान से अहमियत न मिलने को उनके पार्टी बदलने का मुख्य कारण माना जाता है।
 
हिमंत बिस्वा सरमा को राजनीति में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया लेकर आए थे, जिन्हें वो अपना पहला राजनीतिक गुरु मानते हैं।
 
साल 1991 में जब कांग्रेस की सरकार आई और हितेश्वर सैकिया मुख्यमंत्री बने, उस समय हिमंत को छात्र और युवा कल्याण के लिए बनी राज्य स्तरीय सलाहकार समिति में सदस्य सचिव बनाया गया।
 
यहीं से हिमंत का राजनीति सफ़र शुरू हुआ। फिर साल 2001 में तरुण गोगोई के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में हिमंत 14 साल तक लगातार मंत्री रहे। लेकिन 28 अगस्त 2015 को हिमंत बिस्वा सरमा कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए।
 
'अहं का टकराव'
"भारत जोड़ो न्याय यात्रा" में जो सियासी टकराव देखने को मिला उसकी चर्चा लोगों की ज़ुबान पर है। असम में इस तरह के राजनीतिक टकराव में 'उद्दंड और धार्मिक उन्माद' से भरी बयानबाजी देखने को मिली।
 
असम के पूर्व पुलिस महानिदेशक हरेकृष्ण डेका इस तरह के राजनीतिक माहौल को राज्य के भविष्य के लिए अच्छा नहीं मानते हैं।
 
उनके अनुसार, "राहुल गांधी और हिमंत बिस्वा सरमा के बीच अहंकार का टकराव काफ़ी पहले से चल रहा है। लेकिन जब कोई व्यक्ति सरकार में होता है तो उसे फैसला क़ानून के अनुरूप करने की ज़रूरत होती है।"
 
वो कहते हैं, "गुवाहाटी में यात्रा के प्रवेश को लेकर सरकार ने जो सख़्ती दिखाई, उसकी वजह से पुलिस के साथ टकराव हुआ। यह सब कुछ मुख्यमंत्री हिमंत और राहुल गांधी के बीच अहंकार के टकराव के कारण हुआ।"
 
"सरकार जब बजरंग दल को गुवाहाटी में रैली निकालने की अनुमति दे सकती है तो कांग्रेस को भी अनुमति दी जा सकती थी। मुझे नहीं लगता कि इसमें क़ानून-व्यवस्था की स्थिति से जुड़ी कोई असुविधा थी।"
 
हालांकि, पूर्व पुलिस महानिदेशक ये भी कहते हैं कि जब क़ानूनी तौर पर गुवाहाटी में यात्रा के प्रवेश पर रोक लगाई गई तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी पुलिस बैरिकेड तोड़ने नहीं चाहिए थे।
 
वह कहते है, "दो नेताओं की राजनीतिक रंजिश की वजह से प्रशासन को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।"
 
बीजेपी का क्या कहना है
असम प्रदेश बीजेपी का कहना है कि 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' को लेकर जो भी राजनीतिक टकराव देखने को मिला, वो राहुल गांधी के साथ मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का कोई व्यक्तिगत मामला नहीं था और न ही कोई रंजिश है।
 
असम के बीजेपी नेता प्रमोद स्वामी कहते हैं, "राजनीति में जब कोई व्यक्ति किसी अन्य राजनेता की आलोचना करता है तो फिर आरोप-प्रत्यारोप दोनों तरफ़ से ही लगते हैं। लेकिन इसकी शुरुआत राहुल गांधी ने खुद की।"
 
"उन्होंने मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचारी तो बताया ही, उनकी पत्नी और बेटे को भी इस विवाद में घसीट लिया। ऐसे में यह नहीं कह सकते कि केवल मुख्यमंत्री ने ही सख़्त रुख़ अपनाया।"
 
स्वामी आगे कहते हैं, "जिस दिन अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का इतना बड़ा समारोह चल रहा था, उसी दिन राहुल गांधी ने ज़िद पकड़ी कि वो बटाद्रवा थान जाएंगे। जबकि वहां की संचालन कमेटी ने उन्हें तीन बजे के बाद आने को कहा था।"
 
"इसके बाद वे धरने पर बैठ गए और इस पूरे मामले को राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया।"
 
बजरंग दल को गुवाहाटी में रैली निकालने की अनुमति देने के सवाल पर बीजेपी नेता स्वामी ने कहा, "22 जनवरी को जो लोग निकले थे, वो केवल बजरंग दल के ही नहीं थे। पूरा देश राममय था। इस माहौल में लोग बाहर निकलें तो सरकार उन पर गोली तो नहीं चला सकती।"
 
वो कहते हैं, "ये लोग शहर के अंदर ही थे, जबकि राहुल गांधी की यात्रा बाहर से शहर में प्रवेश करने वाली थी। इसलिए, इन दोनों बातों की तुलना नहीं की जा सकती।"
 
कांग्रेस ने क्या कहा
असम विधानसभा में कांग्रेस के विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया का कहना है कि सरकार ने पार्टी नेताओं पर जो मामले दर्ज किए है उनका जवाब क़ानूनी तौर पर दिया जाएगा।
 
असम में 8 दिन चली यात्रा में आई बाधा के लिए सरकार पर आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता सैकिया कहते हैं, "हमने असम में यात्रा प्रवेश करने से पहले मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को सूचित किया था ताकि प्रदेश में किसी तरह की परेशानी न हो। लेकिन सरकार ने सुरक्षा देने की जगह यात्रा में बाधा डालने का काम किया।"
 
वे बोले, "सरकार ने हमें उन मार्गों पर जाने की अनुमति नहीं दी जहां हमारे नेता लोगों से संवाद करना चाहते थे। हमारे बैनर, पोस्टर फाड़े गए। कार्यकर्ताओं और नेताओं पर हमला हुआ। इन घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को जो इंतजाम करने चाहिए थे वो नहीं किए गए।"
 
वे कहते हैं, "हमारी यात्रा के दौरान इन घटनाओं से असम का माहौल बिगड़े शायद उनका ऐसा इरादा रहा होगा। बात जहां तक हमारे नेताओं के ऊपर मामले दर्ज करने की है तो हम उसका जवाब क़ानूनी तौर पर ही देंगे।"
 
देवव्रत सैकिया कहते हैं, "सरकार ने परेशान करने के लिए ये मामले दर्ज किए है।जबकि हमारे ही कार्यकर्ता जख्मी हुए और हमारी यात्रा को गुवाहाटी में घुसने नहीं दिया गया। अभी जोरहाट पुलिस ने हमारे प्रदेश अध्यक्ष को पूछताछ के लिए बुलाया है वो समझते हैं कि इस तरह परेशान करने से हम डर जाएंगे। जब हमने कुछ ग़लत किया ही नहीं तो किसी से क्यों डरे?।"
 
Edited by : Nrapendra Gupta 

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