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वायनाड सीट पर लेफ्ट ने उतारा उम्मीदवार, राहुल गांधी पर क्या पड़ेगा असर

वायनाड सीट पर लेफ्ट ने उतारा उम्मीदवार, राहुल गांधी पर क्या पड़ेगा असर

BBC Hindi

, गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024 (08:03 IST)
2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए थे। जीत बीजेपी से स्मृति इरानी को मिली थी।
 
अमेठी गांधी-नेहरू परिवार की परंपरागत सीट रही थी लेकिन कांग्रेस इसे बचा नहीं सकी थी। शायद कांग्रेस को अमेठी में हार का अंदाज़ा था इसलिए केरल की वायनाड सीट से भी राहुल गांधी को उतारा गया था और वहाँ जीत मिली थी।
 
लेकिन इस बार राहुल को वायनाड में जीत आसान नहीं दिख रही है। वायनाड सीट पर लेफ्ट ने अपने उम्मीदवार के नाम का एलान कर दिया है।
 
सीपीआई (एम) नेता वृंदा करात ने मंगलवार को मीडिया से कहा, ''वायनाड सीट पर अभी सीपीआई ने अपने उम्मीदवार को घोषित कर दिया है। कॉमरेड एनी राजा, जिन्होंने महिला आंदोलन में बहुत जबरदस्त भूमिका अदा की। अभी वो पूरे एलडीएफ (लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट) की तरफ़ से उम्मीदवार होंगी।''
 
वृंदा ने कहा, ''राहुल गांधी और कांग्रेस को सोचना चाहिए। वो कहते हैं कि उनकी लड़ाई बीजेपी के ख़िलाफ़ है। केरल में आप बीजेपी के ख़िलाफ़ नहीं, आप लेफ्ट के ख़िलाफ़ आकर लड़ेंगे तो आप ख़ुद क्या मैसेज भेजेंगे। इसलिए उनको अपनी सीट के बारे में दोबारा सोचने की ज़रूरत है।''
 
सीपीआई (एम) और कांग्रेस इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। ऐसे में राहुल गांधी की सीट पर ये दोनों सहयोगी आमने-सामने आने की स्थिति में पहुंच गए हैं।
 
राहुल गांधी और वायनाड
केरल की वायनाड सीट से राहुल गांधी चार लाख से ज़्यादा वोट पाकर जीतने में सफल रहे थे। तब कांग्रेस ने कहा था कि राहुल गांधी के इस सीट पर लड़ने से पार्टी केरल की 20 में से 15 सीटें जीतने में सफल रही।
 
राहुल गांधी इस बार भी वायनाड सीट से चुनाव लड़ेंगे या नहीं? इस बारे में कांग्रेस की ओर से कोई बयान नहीं आया है। हालांकि सीपीआई नेता बिनॉय ने कहा कि राहुल गांधी का वायनाड सीट से लड़ना ग़लत राजनीतिक क़दम होगा।
 
केरल में लोकसभा की 20 सीटें हैं। सीपीआई इन 20 सीटों में से चार पर लड़ रही है। सीपीआई के स्टेट सेक्रेटरी बिनॉय विश्वम ने सोमवार को इस बारे में एलान किया था।
 
केरल की तिरुअनंतपुरम सीट से साल 2009 से शशि थरूर सांसद हैं। इस सीट पर सीपीआई ने वरिष्ठ पार्टी नेता पनियन रवींद्रन को उतारा है।
 
थ्रिसूर में बीजेपी की तरफ़ से सुरेश गोपी के लड़ने की उम्मीद जताई जा रही हैं। सीपीआई ने इस सीट पर वीएस सुनील कुमार को टिकट देने का मन बनाया है।
 
सीपीआई के फ़ैसले पर शशि थरूर ने क्या कहा
वृंदा करात ने जब मंगलवार को वायनाड से अपने उम्मीदवार के नाम का एलान किया और राहुल गांधी से सोचने के लिए कहा तो इस पर शथि थरूर की प्रतिक्रिया आई। उन्होंने कहा कि लेफ्ट केरल की उन सीटों पर कांग्रेस के सामने क्यों आ रही है, जहां बीजेपी मज़बूत थी।
 
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक़- शशि थरूर ने कहा, 'उदाहरण के लिए मेरी सीट की ही बात कीजिए। बीते दो चुनावों में इस सीट पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही है। एंटी-बीजेपी वोट का बड़ा हिस्सा तीसरे नंबर पर रहे कम्युनिस्ट उम्मीदवार को मिला था। अगर तिरुअनंतपुरम में लेफ्ट के लिए मेरा विरोध करना ठीक है तो राहुल गांधी वायनाड में लेफ्ट के ख़िलाफ़ क्यों नहीं लड़ सकते।'
 
सीट शेयरिंग के बारे में थरूर ने कहा, 'केरल में लेफ्ट सहयोग करने की मंशा नहीं दिखा रहा है। बराबर के राज्य तमिलनाडु में सीपीआई (एम), सीपीआई, मुस्लिम लीग, कांग्रेस और डीएमके साथ में मिलकर लड़ रहे हैं। एक राज्य से दूसरे राज्य में हालात अलग दिख रहे हैं।'
 
द हिंदू ने अपनी रिपोर्ट में एनी राजा से बात की है। एनी राजा ने कहा, 'ये कांग्रेस को तय करना है कि वो किस सीट पर किसे उतारना चाहती है। एक स्वतंत्र पार्टी के तौर पर हमने फ़ैसला किया है। ये पहली बार नहीं है, जब राहुल गांधी किसी सीपीआई उम्मीदवार का सामना करेंगे। 2019 में भी ऐसा हुआ था। हालांकि इसका असर 'इंडिया' के बीजेपी के ख़िलाफ़ शुरू किए अभियान पर होगा। इसकी जवाबदेही कांग्रेस की बनती है न कि हमारी।'
 
इससे पहले कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस नेता सार्वजनिक तौर पर कई बार राहुल गांधी को अपने राज्यों से चुनाव लड़ने के लिए कह चुके हैं।
 
एनी ने चुनाव पर क्या कहा?
इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने एनी राजा का इंटरव्यू किया है। इस इंटरव्यू में वो अपनी चुनावी पारी पर बात करती हैं।
 
एनी अखबार से कहती हैं, 'केरल में हमेशा से एलडीएफ बनाम यूडीएफ रहा है। राज्य में 'इंडिया' गठबंधन जैसा कुछ नहीं है। मुझे लगता है कि जीत अच्छी समझ की होगी। हमने उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया है, ऐसे में केरल से लड़ने का कांग्रेस या राहुल गांधी को क्या फ़ायदा है।'
 
एनी ने कहा, 'राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां फासीवादी ताक़तों बीजेपी और संघ से लड़ रही हैं। ऐसे में कांग्रेस के पास अपने नेतृत्व के लिए सुरक्षित सीट के कई और विकल्प होंगे। ये सीट तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना में हो सकती है। अगर इन फासीवादी ताक़तों के ख़िलाफ़ वाक़ई लड़ना है तो इन्हें सोचने की ज़रूरत है। हम कुछ गिनती की सीटों पर ही लड़ रहे हैं।'
 
राहुल गांधी को वायनाड से चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं? इस पर एनी राजा कहती हैं, 'मैं इसका जवाब नहीं दे रही। मैं राहुल या कांग्रेस, किसी का नाम नहीं लूंगी। कांग्रेस को साफ़ करना चाहिए कि उसकी पॉलिटिक्स क्या है? क्या वो बीजेपी संघ को हारा हुआ देखना चाहते हैं या लेफ्ट को किनारे देखना चाहते हैं। ये सिर्फ़ सीपीआई की ज़िम्मेदारी नहीं है। तेलंगाना चुनाव में भी कांग्रेस ने दो सीटों का वादा किया था। पर आख़िरी पलों में हमें एक सीट दी गई।'
 
एनी राजा कौन हैं?
सीपीआई (एम) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य हैं। एनी पार्टी के महासचिव डी राजा की पत्नी हैं। वो नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन की महासचिव भी हैं। वो स्कूल के दिनों से ही राजनीति में सक्रिय हैं।
 
एनी रूढ़िवादी ईसाई परिवार में जन्मीं। उनके पिता थॉमस किसान थे और कम्युनिस्ट थे। एनी शुरुआती दिनों में ही सीपीआई की स्टूडेंट विंग ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन में शामिल हो गई थीं। छात्र मुद्दों पर एनी काफ़ी सक्रिय रहीं।
 
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, सीपीआई नेता और पूर्व सीएम वीके वासुदेवन नैयर के कहने पर एनी राजनीति में सक्रिय हुईं और पार्टी में अहम ज़िम्मेदारियां उठाईं।
 
एनी कन्नूर में सीपीआई की महिला विंग की ज़िला सचिव बनीं। 22 साल की उम्र में वो सीपीआई स्टेट एग्ज़ीक्यूटिव कमेटी की सदस्य बनी थीं। एनी और डी राजा ने साल 1990 में शादी की थी। बाद में ये जोड़ा दिल्ली आ गया।
 
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनी ने दिल्ली में कई तरह की नौकरियां कीं, इनमें टीचर की नौकरी भी है। एनी ने बीएड की पढ़ाई भी की थी।
 
बाद में एनी महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय हो गईं। साल 2022 में जब सीपीआई (एम) विधायक एमएम मणि ने यूडीएफ समर्थिक विधायक केके राम के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। तब एनी ने इसका विरोध किया था। वो बोली थीं- ऐसे शब्द कम्युनिस्टों को नहीं बोलने चाहिए।
 
जुलाई 2023 में मणिपुर हिंसा को स्टेट स्पॉन्सर्ड बोलने पर एनी के ख़िलाफ़ इम्फाल में केस दर्ज हुआ था।
 
वायनाड के बारे में कुछ बातें
  • साल 2009 में परिसीमन के बाद सियासी अस्तित्व में आई वायनाड लोकसभा सीट
  • वायनाड लोकसभा सीट में तीन ज़िले: कोज़ीकोड, मलाप्पुरम और वायनाड
  • साल 2011 की जनगणना: मलाप्पुरम ज़िले में मुसलमानों की आबादी हिंदुओं से काफ़ी ज़्यादा
  • सरकारी डेटा के अनुसार इस ज़िले में क़रीब 74 फ़ीसदी मुसलमान और क़रीब 24 फ़ीसदी हिंदू
  • मलाप्पुरम ज़िले का एक चौथाई इलाक़ा वायनाड लोकसभा सीट में जुड़ा है
  • वायनाड सीट के कुछ हिस्से तमिलनाडु और कर्नाटक की सीमा को छूते हैं
  • वायनाड ज़िला केरल में सबसे अधिक जनजातीय आबादी वाला ज़िला माना जाता है
  • 2014 में जब बीजेपी ने देश के बाकी हिस्सों में बेहतरीन प्रदर्शन किया था, तब वायनाड में बीजेपी को क़रीब 80 हज़ार वोट मिले थे और पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी।
 

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