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पुलवामा हमला: वो सवाल जिनके जवाब अब तक नहीं मिले

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शनिवार, 23 फ़रवरी 2019 (10:56 IST)
- टीम बीबीसी हिंदी (दिल्ली से)
 
पिछले कई सालों में भारतीय सैनिकों पर हुए हमलों में पुलवामा हमला सबसे बड़ा हमला है। 14 फ़रवरी को सीआरपीएफ़ के काफ़िले पर जैश-ए-मोहम्मद ने एक आत्मघाती हमला किया जिसमें 40 से अधिक जवान मारे गए।
 
इस हमले के बाद जहां एक ओर पूरा देश आक्रोश में है, वहीं दूसरी ओर, सरकार और सूचना तंत्र पर कई सवाल उठ रहे हैं। ये ऐसे सवाल हैं जिनका अब तक सरकार ने जवाब नहीं दिया है।
 
पुलवामा हमले से जुड़े सवाल जिनके जवाब का इंतज़ार है।
 
1.हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने कहा कि इंजेलीजेंस इनपुट मिले लेकिन उसे 'नज़रअंदाज़' किया गया। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर हमले से जुड़ी इंटेलीजेंस जानकारियां मिली थीं तो उन्हे गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया?
 
2.इतने बड़े हमले की तैयारी में महीनों का वक्त लगता है अगर इस दौरान सेना को या गृह मंत्रालय को ऐसे किसी हमले की कोई भनक नहीं लगती है तो ये क्या भारत के ख़ुफ़िया तंत्र से बड़ी चूक नहीं हुई?
 
3.जम्मू-श्रीनगर हाइवे उन सड़कों में शामिल है जहां देश के सबसे कड़े सुरक्षा मानक लागू हैं। इस हाइवे पर सभी आम गाड़ियों की कड़ी जांच की जाती है। आख़िर विस्फोटक से भरी कोई गाड़ी हाइवे की कड़ी सुरक्षा को चकमा कैसे दे सकी?
 
4.250-300 किलोग्राम विस्फोटक आख़िर भारत में कैसे आया, और अगर बाहर से नहीं आया तो इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक हमलावरों के हाथ कैसे लगा?
 
5.78 गाड़ियों के काफ़िले को एक साथ ले जाने के पीछे ख़राब मौसम को कारण बताया जा रहा है। तो क्या 2547 जवानों की संख्या वाले इस बड़े काफ़िले को क्या एयरलिफ़्ट नहीं किया जा सकता था?
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Congress President @RahulGandhi met with Lt Gen DS Hooda (retd) to institute a task force on National Security which will prepare a vision paper for the country. Gen Hooda will lead the task force & work with a select group of experts. pic.twitter.com/06zfIjfbeJ

— Congress (@INCIndia) February 21, 2019 >
रक्षा विशेषज्ञों के अहम सवाल
रिटायर्ड लेफ़्टिनेंट जनरल डी.एस हुड्डा ने साल 2016 में भारत की ओर से पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक का नेतृत्व किया था। पुलवामा हमले के बाद उन्होंने सवाल उठाया कि "ये संभव नहीं है कि इतनी ज़्यादा मात्रा में विस्फ़ोटक सीमा पार से आ जाए।"
 
लेफ़्टिनेंट जनरल डी.एस हुड्डा का कहना है "यह विस्फोटक छुपा कर ले जाया गया होगा और इस हमले में इस्तेमाल किया गया। हमें पड़ोसी देश के साथ अपने रिश्तों को लेकर दोबारा सोचने की ज़रूरत है।"
 
कांग्रेस ने रक्षा मामलों में सलाह देने के लिए एक समिति बनाई है जिसका नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा कर रहे हैं। पुलवामा हमले के पीछे की वजहों परपूर्व रॉ चीफ़ विक्रम सूदका भी कुछ ऐसा ही कहना है।
 
उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "ये हमला बिना किसी सुरक्षा चूक के नहीं हो सकता था। मुझे नहीं पता कि आख़िर गलती कैसे हुई लेकिन ऐसी घटनाएं बिना सुरक्षा में गड़बड़ियों के नहीं हो सकती।"
 
हैदराबाद में एक सेमिनार के दौरान सूद ने कहा, "ज़ाहिर है इस हमले में एक से ज़्यादा लोग शामिल हैं। किसी ने कार का बंदोबस्त किया होगा, उन्हें सीआरपीएफ़ के काफ़िले के रास्ते का पूरा पता रहा होगा। एक पूरे समूह ने इस हमले को अंजाम दिया है।"
 
सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए?
हमले के बाद केंद्र सरकार ने जवानों की सुरक्षा के मद्देनजर कुछ फ़ैसले लिए हैं। अब अर्धसैनिक बलों के जवानों को श्रीनगर आने और जाने के लिए हवाई यात्रा की सुविधा मिल सकेगी।
 
गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के मुताबिक दिल्ली-श्रीनगर, श्रीनगर-दिल्ली, जम्मू-श्रीनगर और श्रीनगर-जम्मू के बीच किसी भी यात्रा के लिए अर्धसैनिक बल के जवान हवाई सफर कर सकेंगे। केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों के सभी जवानों पर यह आदेश लागू होगा।
 
इस आदेश से अर्धसैनिक बलों के 7 लाख 80 हज़ार जवानों को लाभ होगा। इनमें कॉन्स्टेबल, हेड कॉन्स्टेबल और एएसआई से लेकर अन्य सभी जवान शामिल हैं। इन जवानों को अब तक इन इलाकों में हवाई यात्रा करने की सुविधा नहीं थी।
 
गृह मंत्रालय ने इस फ़ैसले को तुरंत लागू करने का आदेश दिया है। आदेश के मुताबिक़ जवान ड्यूटी के दौरान यात्रा करने के अलावा छुट्टी पर श्रीनगर से जाने या फिर ड्यूटी पर लौटने के लिए भी हवाई यात्रा कर इस्तेमाल कर सकेंगे। जम्मू-कश्मीर में बड़े क़ाफ़िले के गुज़रने के दौरान आम लोगों का ट्रैफ़िक रोका जाएगा।
 
श्रीनगर में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "सीआरपीएफ़ क़ाफ़िले पर जिस तरह का फ़िदायीन हमला हुआ है उसे देखते हुए यह फ़ैसला लिया गया है कि बड़े क़ाफ़िले के जाने के दौरान आम लोगों का ट्रैफ़िक थोड़े समय के लिए रोका जाएगा। आम लोगों को थोड़ी देर के लिए असुविधा हो सकती है उसके लिए हम माफ़ी चाहते हैं।"

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