Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

जो महिला मोहम्मद के पैग़ंबर बनने में साथ रही

जो महिला मोहम्मद के पैग़ंबर बनने में साथ रही
, शनिवार, 16 सितम्बर 2017 (10:37 IST)
ऐसा कहा जाता है हर सफल पुरुष के पीछे एक सफल महिला होती है। ऐसा ही कुछ पैग़ंबर मोहम्मद के साथ भी था। पैग़ंबर मोहम्मद की कई शादियां हुई थीं लेकिन जीवन के 25 अहम वर्षों में उनका भरोसा एक महिला पर रहा है। उस महिला का नाम था ख़दीजा। ख़दीजा की पहचान पहली मुस्लिम महिला के रूप में व्यापक स्तर पर स्वीकार की गई है।
 
ख़दीजा की कहानी ख़ासकर ग़ैर-मुस्लिम महिलाओं के लिए हैरान करने वाली है। वह बिज़नेस कौशल के स्तर पर काफ़ी कामयाब महिला थीं। वह पैग़ंबर मोहम्मद से उम्र में बड़ी थीं। ख़दीजा की पैग़ंबर मोहम्मद के जीवन में काफ़ी मज़बूत मौजूदगी रही है। 
 
एरनी रेया ने इस्लामिक स्कॉलर फ़ातिमा बर्कतुल्ला से ख़दीजा के बारे में बीबीसी रेडियो 4 से विशेष बातचीत की है। फ़ातिमा ने हाल ही में ख़दीजा के बारे में बच्चों के लिए किताब लिखी है।
 
ख़दीजा का जन्म छठी शताब्दी के मध्य में मक्का में हुआ था। उनका जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था। इन्होंने अपने पिता के बिज़नेस को आगे बढ़ाने में काफ़ी मदद की थी। पिता की मौत के बाद भी ख़दीजा ने व्यापार को जारी रखा और उन्हें इसमें भारी सफलता मिली थी। उन्होंने अपनी संपत्ति का इस्तेमाल लोक कल्याणकारी कामों में जमकर किया। ख़दीजा ने ख़ासकर विधवाओं, अनाथों, विकलांगों और मक्का में बीमार लोगों की मदद में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
webdunia
ख़दीजा अपने पहले पति की मौत के बाद पैग़ंबर मोहम्मद के साथ आई थीं। ख़दीजा और पैग़ंबर मोहम्मद के साथ को इस्लाम में एक आदर्श सोहबत के तौर देखा जाता है। पैग़ंबर मोहम्मद ने ख़दीजा के व्यापार में न केवल हाथ बंटाया बल्कि उसे आगे बढ़ाने में भी मदद की। दोनों में एक दूसरे के प्रति काफ़ी प्रेम था। ख़दीजा ने पैग़ंबर मोहम्मद को बिज़नेस से अलग पूरी तरह इस्लाम के लिए समर्पित होने को प्रोत्साहित किया। उन्होंने इस काम में उनकी आर्थिक मदद भी की। 
 
हार्वर्ड यूविवर्सिटी की प्रोफ़ेसर लैला अहमद ने बीबीसी से कहा कि मोहम्मद के एक पुरुष के पैग़ंबर बनने के क्रम में ख़दीजा की सबसे बड़ी भूमिका रही। इस्लाम जब अपने शुरुआती दिनों में मुश्किल में था तो ख़दीजा की दरियादिली से लोगों के भरोसे जीतने में काफ़ी मदद मिली। आज की तारीख़ में इस्लाम में चंद महिला नेता ही नज़र आती हैं लेकिन शुरुआत में इसकी कहानी बिल्कुल उलट रही है। ख़दीजा एक शक्तिशाली और खुली सोच वाली महिला थीं। उन्होंने जिस राह को चुना उससे दुनिया का इतिहास बदल गया।
 
लैला कहती हैं, ''ख़दीजा के पास काफ़ी दौलत थी। वो पैग़ंबर मोहम्मद को इसलिए पसंद करती थीं कि क्योंकि वो बहुत ईमानदार शख़्स थे। जब वो 25 साल के थे तो उस वक्त ख़दीजा की उम्र 40 साल थी। जब भी मोहम्मद कमज़ोर पड़े तो वो ख़दीजा ही थीं जिन्होंने उन्हें ताक़त दी। यह ऐतिहासिक सच है कि ख़दीजा दुनिया की पहली महिला हैं जिन्होंने मुस्लिम धर्म को स्वीकार किया।''
 
उस वक़्त 'ईश्वर एक है' का सिद्धांत अरब में काफ़ी विवादित था, लेकिन पैग़ंबर मोहम्मद ने इसे स्थापित किया कि अल्लाह एक है।

619 ईस्वी में ख़दीजा बीमार पड़ीं और उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। आज की तारीख़ में इस्लाम में औरतों की स्थिति पर बहस होती है लेकिन इस्लाम के उदय और उसके बनने में एक महिला की अहम भूमिका रही। वो महिला थीं- ख़दीजा।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

महंगा पेट्रोल: अधूरा सच बोल रही है बीजेपी सरकार?