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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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चीन-नेपाल संबंधों से चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है भारत को : नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावाली

चीन-नेपाल संबंधों से चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है भारत को : नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावाली

BBC Hindi

- भूमिका राय
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की पांचवीं बैठक में हिस्सा लेने के लिए आज नेपाल जा रहे हैं। जहां वो नेपाल के अपने समकक्ष प्रदीप कुमार ग्यावाली से मुलाक़ात करेंगे। बीबीसी हिन्दी रेडियो ने एस. जयशंकर की यात्रा के संबंध में, भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर, अनुच्छेद 370 पर और चीन-नेपाल बनाम भारत-नेपाल संबंधों पर नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावाली से बात की।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर नेपाल आ रहे हैं। एक पड़ोसी मुल्क होने के नाते नेपाल इस यात्रा से क्या उम्मीदें रखता है?
ये तो सभी लोग जानते हैं कि नेपाल और भारत के बीच बहुत क़रीबी संबंध हैं। ये संबंध सिर्फ़ राजनीतिक स्तर पर ही नहीं हैं। ये संबंध बेहद व्यापक हैं। लोगों के स्तर पर, व्यापारिक स्तर पर, आर्थिक स्तर पर, सांस्कृतिक स्तर पर हमारे संबंध बहुत मज़बूत हैं और इस मज़बूत संबंध को और मज़बूत बनाने के लिए दोनों देशों के बीच कई तरह की प्रक्रियाएं हैं।

और उसी में एक ये संयुक्त आयोग की बैठक है जिसमें दोनों देशों के समकक्ष मिलेंगे। हमारी उम्मीद है कि जिस तरह से बीते कई सालों से हमारे संबंध बेहतर होते रहे हैं ये बैठक हमारे संबंधों को और बेहतर करेगी। हमारी उम्मीद है कि ये बैठक हमारे संबंधों को और सुदृढ़ बनाएगी।

भारत और पाकिस्तान में कश्मीर मुद्दे को लेकर तनाव है और आप निश्चित तौर पर इससे अनभिज्ञ नहीं होंगे, नेपाल इसे लेकर कितना चिंतित है?
आप जानती होंगी कि नेपाल अभी सार्क का अध्यक्ष भी है। हमारा पूरा विश्वास है कि वहां जो कुछ विकास का काम है वो सही दिशा में आगे बढ़ेगा। इसकी वजह से क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व में कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। हमारा यह विश्वास है कि जितनी भी समस्याएं हैं उन समस्याओं का शांतिपूर्ण समाधान है।

इसलिए हम आग्रह करते हैं कि किसी भी पक्ष की तरफ़ से शांति-स्थायित्व और देश-देश के बीच के संबंध पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कोई क़दम नहीं उठाया जाना चाहिए। सभी को क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व में योगदान करना होगा। हमारा विश्वास है कि भारत का जो सक्षम नेतृत्व है वो इस समस्या का सही ढंग से समाधान करने में कामयाब होगा।

नेपाल की भूमिका को आप कैसे देखते हैं?
नेपाल अपनी शुभकामना देता है। हमारे बहुत से नेपाली लोग वहां काम करते हैं और हम भारत सरकार के निकट संबंध में रहकर वहां की स्थिति का लगातार जायज़ा ले रहे हैं। हमारे लिए संतोष की बात है कि सभी नेपाली लोग सुरक्षित हैं और हमारा विश्वास है कि वहां कुछ भी ऐसा नहीं होगा जिससे उन्हें कोई समस्या होगी।

इसके अलावा जिस दिशा में भारत आगे बढ़ रहा है, विकास के उस कदम पर हमारी ओर से उसे शुभकामना है। और जितनी भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाएं हैं वो सफलतापूर्वक आगे बढ़ें, यही हमारी शुभकामना है और विश्वास भी।

नेपाल में कुछ साल पहले जो कथित नाकेबंदी हुई थी उस ज़ख़्म पर क्या एस. जयशंकर मरहम लगा पाएंगे?
मुझे लगता है कि दोनों देशों को आगे की ओर देखना है। भविष्य में देखना है। बीते वक़्त में जो कुछ हुआ वो इतिहास हो गया। हमें भविष्य की ओर देखते हुए आगे बढ़ना होगा क्योंकि भारत और नेपाल के संबंध इतने बहुआयामी हैं, इतनी निर्भरता है कि हमें संयुक्त रूप से आगे बढ़ना ही होगा।

इसका कोई विकल्प नहीं है। दोनों देशों का भविष्य और हित इसी में है कि हम नए नजरिए के साथ आगे बढ़ें और हम बढ़ भी रहे हैं। मुझे लगता है कि विगत में जो कुछ भी हुआ उसकी कोई परछाई अब नहीं पड़ेगी। लेकिन ये ज़रूर है कि उससे सबक तो ज़रूर सीखना होगा। दोनों देशों को इस बात का बोध भी है लेकिन अब बीती बात को और पीछे मुड़कर नहीं देखना है। आगे देखना होगा।

अनुच्छेद 370 पर भारत को अंतरराष्ट्रीय आलोचना का ज़्यादा सामना नहीं करना पड़ा है। क्या आप इस मुद्दे पर भारत का समर्थन करते हैं?
हम भारत की इस स्थिति को समझते हैं। हम यहां भारत के दूतावास के संपर्क में हैं और भारत में नेपाल का दूतावास भी भारत सरकार के संपर्क में है। हमारी शुभेच्छा भी हम भारत के साथ साझा कर चुके हैं।

भारत की यह चिंता है कि भारत हमेशा से नेपाल से सांस्कृतिक और कई दूसरे पहलुओं पर नज़दीक रहा है। लेकिन अगर नेपाल की चीन से नज़दीकी हो गई तो बैलेंस ऑफ़ पावर बिगड़ जाएगा?
मुझे लगता है कि यह चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। भारत और चीन नेपाल के दो पड़ोसी हैं और हम पड़ोसियों की तुलना नहीं करते हैं, लेकिन भारत से जो हमारा बहुआयामी संबंध है उसकी किसी से तुलना नहीं होती और हम किसी से तुलना करना भी नहीं चाहते हैं। इसलिए नेपाल अगर अपने दूसरे देशों से संबंध बढ़ाता है तो भारत को समझना चाहिए और वे समझते भी हैं कि ये भारत के हित के विपरीत नहीं है।

नेपाल अपने मित्र देशों के हित के ख़िलाफ़ कोई क़दम नहीं उठाता और ना ही कोई ऐसी गतिविधि होने देता है। इसलिए हमारे और दूसरे देशों के संबंधों की वजह से कोई भी चिंता करने की ज़रूरत नहीं है और मुझे लगता है कि भारत का नेतृत्व इसे बख़ूबी समझता भी है।

जयशंकर की इस यात्रा के दौरान किन विषयों पर समझौते होंगे?
हम पारस्परिक सहयोग के सभी मुद्दों पर बात करेंगे। लेकिन आर्थिक साझेदारी पर ख़ासकर बात होगी। इसके अलावा व्यापारिक घाटे से जूझ रहे नेपाल को कम करने पर भी बात होगी। हम उम्मीद करते हैं कि दोनों देशों के बीच के संबंध इस बैठक से और बेहतर होंगे।
फोटो सौजन्‍य : टि्वटर

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