Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

जापान दौरे पर हैं पीएम मोदी, जानिए उनके बुलेट ट्रेन के सपने की हकीकत

जापान दौरे पर हैं पीएम मोदी, जानिए उनके बुलेट ट्रेन के सपने की हकीकत

BBC Hindi

, मंगलवार, 24 मई 2022 (08:16 IST)
सरोज सिंह, बीबीसी संवाददाता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्वॉड सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जापान की राजधानी टोक्यो में हैं। पीएम के तौर पर उनके आठ सालों के कार्यकाल में ये जापान का उनका पांचवां दौरा है।
 
जापान का भारत में जब भी ज़िक्र आता है तो उसके साथ बुलेट ट्रेन की याद ताज़ा हो जाती है। और जब प्रधानमंत्री मोदी जापान दौरे पर हों तो बुलेट को याद करने के लिए दो-दो वजहें हैं - पहला जापान और दूसरा पीएम मोदी ख़ुद।
 
भारत के लोगों को बुलेट ट्रेन का सपना दिखाने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को ही जाता है। परियोजना की शुरुआत एक समारोह में हुई थी जिसमें भारत और जापान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने हिस्सा लिया था।
 
उसी साल भारतीय रेल ने कहा था, "15 अगस्त 2022 तक मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल के काम को पूरा करने के सभी प्रयास किए जाएंगे।"
 
लेकिन 2017 में ही नीति आयोग ने कहा था कि परियोजना संभवतः साल 2023 तक पूरी कर ली जाएगी।
 
बुलेट ट्रेन परियोजना की स्टेटस रिपोर्ट
साल 2020 में ईस्ट जापान रेलवे कंपनी ने भारत में पटरियों पर दौड़ने वाली बुलेट ट्रेन की पहली तस्वीर भी जारी कर दी थी। उसमें बताया गया कि E5 सीरीज़ की शिंकानसेन बुलेट ट्रेन भारत में आएगी।
 
प्रधानमंत्री मोदी जब मई 2022 में जापान की यात्रा पर हैं, उस वक़्त परियोजना का काम 17 फ़ीसदी पूरा हुआ है। ऐसा आरटीआई के हवाले से आजतक की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है। सूचना के अधिकार क़ानून के ज़रिए ये जानकारी आज तक ने 1 फरवरी 2022 को ही हासिल की है।
 
इसी साल 20 मई को रेल मंत्रालय ने बुलेट ट्रेन की कार्य प्रगति पर एक ट्वीट किया है।
 
इस वीडियो में एरियल शॉट्स के ज़रिए 5 मई तक की परियोजना की प्रोग्रेस रिपोर्ट दिखाई गई है।
 
वीडियो में वलसाड, नवसारी, सूरत, भरूच, वडोदरा, आनंद, खेड़ा, अहमदाबाद और साबरमती में चल रहे काम की प्रगति दिखाई गई है। लेकिन मुंबई तक बनने वाले हिस्से का कोई ज़िक्र नहीं है।
 
वीडियो नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने ही बनाया है। वीडियो में किसी डेडलाइन का भी जिक्र नहीं है।
 
webdunia
परियोजना में देरी
लेकिन वीडियो देखकर इतना तो कहा जा सकता है कि साल 2023 तक ये ट्रेन हक़ीक़त में पटरी पर दौड़ती नज़र नहीं आएगी।
 
जानकार इसके पीछे कोरोना महामारी और ज़मीन अधिग्रहण में हुई देरी को असली वजह बता रहे हैं।
 
अब तक जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार दिसंबर 2020 तक महाराष्ट्र में होने वाला ज़मीन अधिग्रहण का काम पूरा नहीं हुआ था। उस वक्त रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने कहा था कि "अगले 4 महीने में महाराष्ट्र सरकार ने 80 फ़ीसदी ज़मीन अधिग्रहण का वादा किया है।"
 
यानी महाराष्ट्र सरकार की तरफ़ से ज़मीन अधिग्रहण की डेडलाइन ही अप्रैल 2021 तक की थी। मई तक महाराष्ट्र में 71 फ़ीसदी ज़मीन अधिग्रहण पूरा हो चुका है और गुजरात में 98 फ़ीसदी।
 
लेकिन साल 2020 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के एक बयान से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसमें एक दिक़्क़त राज्य सरकार की इच्छाशक्ति की कमी भी है।
 
फरवरी 2020 में 'सामना' को दिए इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे ने बुलेट ट्रेन परियोजना को 'सफ़ेद हाथी' कहा था। महाराष्ट्र सरकार को लगता है कि इससे गुजरात को ज़्यादा फ़ायदा होगा, महाराष्ट्र को कम।
 
यहाँ ग़ौर करने वाली बात ये भी है कि तत्कालीन महाविकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार के पहले महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार थी। तब भी ज़मीन अधिग्रहण का मामला फंसा हुआ था।
 
साथ ही ये भी सच है कि पीएम मोदी ने भारत के लिए बुलेट ट्रेन देखने का सपना अभी तक छोड़ा नहीं है। इसी साल 18 फरवरी को मुंबईवासियों को वर्चुअली संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, बुलेट ट्रेन परियोजना को जल्द पूरा करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
 
बुलेट ट्रेन की ख़ासियत
जापान की बुलेट ट्रेन की स्पीड 320 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच जाती है।
 
भारत की बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत ट्रेन मुंबई को सूरत और अहमदाबाद से जोड़ेगी, जिसमें 12 स्टेशन प्रस्तावित हैं। परियोजना के तहत 8 स्टेशन गुजरात में और 4 स्टेशन महाराष्ट्र में होंगे। 21 किलोमीटर का ट्रैक ही ज़मीन पर होगा। बाक़ी ट्रैक एलिवेटेड होगा।
 
जानकारों के अनुसार जिस 508 किलोमीटर को पूरा करने के लिए अभी आठ घंटे लगते हैं, बुलेट ट्रेन उस दूरी को तीन घंटे के अंदर करेगी।
 
भारत सरकार ने इसके लिए जापान सरकार के साथ समझौता किया है। जापान इस परियोजना के लिए 88,000 करोड़ रुपये का लोन 0।01% की दर पर पचास साल के लिए दे रहा है।
 
जब बुलेट ट्रेन का सपना पहली बार पीएम मोदी ने देखा था तब 2014-15 में इसकी कुल लागत का अंदाज़ा 98000 करोड़ रुपये लगाया गया था। साल 2020 तक परियोजना की लागत बढ़ कर 1 लाख 10 हज़ार करोड़ रुपये हो गई थी।
 
देरी का असर
उसके बाद कोरोना महामारी, वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट, महंगाई और भारत पर उसका असर- सभी कुछ को जोड़ लें तो ये लागत और बढ़ गई होगी। ऐसा जानकारों का कहना है।
 
रेल मंत्रालय में पूर्व में मेंबर ट्रैफिक रहे श्री प्रकाश ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "केंद्र सरकार में इस परियोजना को पूरा करने की इच्छाशक्ति तो दिखती है, लेकिन कोरोना महामारी और ज़मीन अधिग्रहण में देरी की वजह से परियोजना में देरी ज़रूर हुई है।"
 
उन्होंने कहा, "500 किलोमीटर से ज़्यादा दूरी की परियोजना में कम से कम पांच साल का वक़्त लगता है, वो भी ज़मीन अधिग्रहण के बाद। अगर अगले 2 साल में ज़मीन अधिग्रहण का काम पूरा हो जाता है तो साल 2029-30 तक ये परियोजना पूरी हो सकती है। और ऐसी सूरत में परियोजना की लागत भी 60 फ़ीसदी के आसपास बढ़ जाएगी। यानी ये एक लाख 60-70 हज़ार करोड़ के बीच होगी।"
 
केंद्र और राज्य सरकारों के बीच परियोजना को लेकर आपसी मतभेद को देखते हुए एक संभावना ये भी जताई जा रही है कि हो सकता है कि गुजरात वाले हिस्से में परियोजना पूरी करके ट्रेन को पटरी पर पहले उतारा जाए।
 
रेलवे से मिली जानकारी के मुताबिक़ 2026-27 तक सूरत और बिलीमोरा के बीच बुलेट ट्रेन का ट्रायल शुरू हो जाएगा।
 
हालांकि श्रीप्रकाश कहते हैं, "ऐसा हुआ तो बुलेट ट्रेन भारत में लाने के पीछे जो अवधारणा थी वो ख़त्म हो जाएगी। इसके ज़रिए पीएम मोदी दो राज्यों के दो व्यावसायिक शहरों को जोड़ने चाहते थे। इन दोनों शहरों अहमदाबाद और सूरत के बीच वैसे भी अच्छी सड़क और रेल सेवा पहले से मौजूद है।"

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

चीन को निशाने पर रख एशियाई देशों से अमेरिका का नया समझौता