Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

NRC : असम के बाद सियासी अखाड़ा बना पश्चिम बंगाल

Webdunia
शनिवार, 28 सितम्बर 2019 (07:51 IST)
पीएम तिवारी, कोलकाता से
असम के बाद अब पश्चिम बंगाल नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीज़ंस (एनआरसी) को लेकर राजनीति का अखाड़ा बन रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कई बार कह चुकी हैं कि बंगाल में एनआरसी लागू करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
 
लेकिन असम में लाखों हिंदू बंगालियों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं होने की वजह से पश्चिम बंगाल में भी लोग आशंका में घिर गए हैं और वोटर लिस्ट में नाम की जांच करने और राशन कार्ड बनवाने की होड़ सी है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में इस होड़ और कथित तनाव की वजह से कम से कम ग्यारह लोगों की मौत हो चुकी है।
ALSO READ: पश्चिम बंगाल में भी लागू होगा NRC, एक भी हिन्दू को नहीं छोड़ना पड़ेगा देश : कैलाश विजयवर्गीय
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ऐसा ही दावा किया है और इन मौतों के लिए भारतीय जनता पार्टी को ज़िम्मेदार ठहराया है। राज्य विधानसभा ने इसी महीने एनआरसी के ख़िलाफ़ एक प्रस्ताव भी पारित किया था।
 
वामपंथी दलों के अलावा कांग्रेस ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। ममता ने 12 सितंबर को कोलकाता में एनआरसी के विरोध में आयोजित एक रैली का नेतृत्व भी किया था। वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने इसके लिए सत्ताधारी तृण मूल कांग्रेस (टीएमसी) को ज़िम्मेदार ठहराया है।
 
प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का आरोप है, "दूरदराज़ के गांव के लोगों को पैसे देकर उन्हें बीमारियों या दूसरी वजहों से होने वाली मौत को भी एनआरसी से जोड़ने के लिए उकसाया जा रहा है। पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कुप्रचार का मुकाबला करने के लिए एनआरसी के मुद्दे पर घर-घर जाकर अभियान चलाएगी।"
 
पुराना है घुसपैठ का मुद्दा
पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही एनआरसी के मुद्दे ने ज़ोर पकड़ा था। बीजेपी के तमाम नेताओं ने असम के बाद बंगाल से भी घुसपैठियों को निकाल बाहर करने के लिए राज्य में एनआरसी की कवायद शुरू करने की बात कही थी।
 
उसके बाद से ही सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी में इस मुद्दे पर ज़ोर-आज़माइश चल रही है। बंगाल की लगभग दो हज़ार किलोमीटर लंबी सीमा बांग्लादेश से लगी है और यहां घुसपैठ का मुद्दा बहुत पुराना है।
 
राज्य की पूर्व लेफ्ट फ्रंट सरकार पर भी घुसपैठ को बढ़ावा देने और घुसपैठियों को राज्य में बसाकर वोट बैंक के तौर पर उनका इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहे हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद यह मुद्दा कुछ महीनों तक शांत रहा। लेकिन असम में एनआरसी की अंतिम सूची के प्रकाशन के साथ ही बंगाल में एक बार फिर यह मुद्दा ज़ोर पकड़ने लगा है।
 
आशंका से घिरे लोग
इसकी वजह यह है कि असम की सूची से बाहर होने वालों में लाखों की संख्या में हिंदू बंगाली भी शामिल हैं। उस सूची के प्रकाशन के एक सप्ताह के भीतर ही बंगाल विधानसभा ने एनआरसी के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया था।
 
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीते सप्ताह दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात के दौरान असम की सूची से बाहर रहे लोगों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने उसके बाद पत्रकारों से कहा था कि बंगाल में एनआरसी लागू करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। लेकिन असम के बाद बंगाल में भी एनआरसी लागू होने के कयास तेज़ होने की वजह से आम लोग काफ़ी आतंकित हैं।
 
यही वजह है कि लोग अपने काग़ज़ात दुरुस्त करने और वोटर लिस्ट में अपने और पूर्वजों के नाम होने की पुष्टि के लिए संबंधित दफ़्तरों में भीड़ लगा रहे हैं। दावा है कि इसे लेकर बने डर की वजह से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है।
 
पहले तो मृतकों के परिजनों ने ही यह दावा किया था। लेकिन अब सरकार ने भी इस पर मुहर लगा दी है।
 
कोलकाता में सोमवार को एक ट्रेड यूनियन सम्मेलन में ममता ने आरोप लगाया, "बीजेपी एनआरसी के मुद्दे पर आतंक फैला रही है। इसकी वजह से राज्य में अब तक ग्यारह लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन सरकार बंगाल में किसी भी कीमत पर एनआरसी नहीं लागू होने देगी।"
 
ममता ने कहा कि असम हुए समझौते की वजह से ही एनआरसी की कवायद हुई थी। लेकिन अब पश्चिम बंगाल या देश के किसी दूसरे हिस्से में ऐसा नहीं होगा।
 
तृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्थ चटर्जी कहते हैं, "असम की एनआरसी में 12 लाख बंगालियों और हिंदुओं का नाम नहीं होना आख़िर क्या साबित करता है? इससे साफ़ है कि यह बंगालियों को निशाना बनाने का हथियार है। चटर्जी कहते हैं कि ख़ुद को हिंदुओं की हितैषी होने का दावा करने वाली पार्टी को बताना चाहिए कि आख़िर सूची से हिंदुओं और बंगालियो के नाम क्यों गायब हैं?"
 
तृणमूल सांसद सुदीप बनर्जी कहते हैं, "इस सूची ने लोगों में विभाजन तो पैदा कर ही दिया है, उनको अपने ही देश में शरणार्थी भी बना दिया है।"
 
'लोगों को डरा रही है टीएमसी'
वैसे, असम में इतने बड़े पैमाने पर सूची से हिंदुओं के नाम ग़ायब होने की वजह से बंगाल में बीजेपी बैकफुट पर है। पार्टी का कहना है कि पहले नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लागू कर हिंदू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी और उसके बाद मुस्लिम घुसपैठियों को बाहर निकालने की कवायद शुरू की जाएगी।
 
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, "बांग्लादेश से अवैध रूप से आने वाले मुस्लिम लोग बंगाल और पूरे देश के लिए ख़तरा हैं। बंगाल में पहले नागरिकता (संशोधन) विधेयक लागू किया जाएगा और उसके बाद एनआरसी। राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए तृणमूल कांग्रेस इस मुद्दे पर भय और आतंक का माहौल पैदा करने का प्रयास कर रही है।''
 
बीजेपी ने टीएमसी पर एनआरसी मुद्दे का राजनीतिक हित में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। घोष कहते हैं, "इस मुद्दे के सहारे टीएमसी अपने पैरों तले की खिसकती ज़मीन बचाने का प्रयास कर रही है। लेकिन इससे उसे ख़ास फ़ायदा नहीं होगा।"
 
अभी गर्म रहेगी बहस
कांग्रेस और लेफ्ट ने कहा है कि बीजेपी और टीएमसी एनआरसी मुद्दे को अपने हक़ में भुनाने का प्रयास कर रही है।
 
सीपीएम विधायक सुजन चक्रवर्ती कहते हैं, "टीएमसी इस मुद्दे के ज़रिए सहानुभूति लहर पैदा कर सियासी फ़ायदा उठाना चाहती है।"
 
कांग्रेस विधायक दल के नेता अब्दुल मन्नान कहते हैं, "इन दोनों दलों को आम लोगों की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं हैं। दोनों इस मुद्दे का सियासी फ़ायदा उठाने का प्रयास कर रहे हैं।"
 
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि ममता समझ गई हैं कि अगले विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी एनआरसी को अहम मुद्दा बनाएगी। इसलिए वह अभी से इसकी काट में जुट गई हैं।
 
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफ़ेसर विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, "असम के बाद बीजेपी की निगाहें अब बंगाल पर हैं। पार्टी प्रमुख अमित शाह से लेकर तमाम नेता बंगाल में एनआरसी लागू करने की बात कह चुके हैं। दूसरी ओर, ममता हर कीमत पर इसका विरोध करने की बात दोहराते हुए अल्पसंख्यकों के साथ-साथ सीमा पार से आकर यहां बसे हिंदुओं को भी अपने पाले में खींचने का प्रयास कर रही हैं।"
 
उनका कहना है कि आने वाले दिनों में इन दलों के बीच एनआरसी के मुद्दे पर जंग और तेज़ होने के आसार हैं।

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

UP : संभल में कैसे भड़की हिंसा, 3 लोगों की मौत का कौन जिम्मेदार, औवेसी का भी आया बयान, क्या बोले पुलिस अधिकारी

दैत्यों के साथ जो होता है, वही हुआ, महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों पर बोलीं कंगना रनौत

मराठवाड़ा में महायुति की 46 में से 40 सीटें, क्या फेल हो गया मनोज जरांगे फैक्टर

संभल मामले में अखिलेश यादव का बड़ा बयान, हिंसा के लिए इन्‍हें ठहराया जिम्मेदार

बावनकुले ने बताया, कौन होगा महाराष्‍ट्र का अगला मुख्‍यमंत्री?

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

सस्ता Redmi A4 5G लॉन्च, 2 चिपसेट वाला दुनिया का पहला 5G स्मार्टफोन

Vivo Y19s में ऐसा क्या है खास, जो आपको आएगा पसंद

क्या 9,000 से कम कीमत में आएगा Redmi A4 5G, जानिए कब होगा लॉन्च

तगड़े फीचर्स के साथ आया Infinix का एक और सस्ता स्मार्टफोन

Infinix का सस्ता Flip स्मार्टफोन, जानिए फीचर्स और कीमत

આગળનો લેખ
Show comments