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मेमोरी तेज़ करने के अचूक नुस्ख़े हैं ये

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शनिवार, 11 मार्च 2017 (10:25 IST)
आपकी याददाश्त अच्छी नहीं है। कोई बात नहीं। अब आप इसे बेहतर बना सकते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार यदि आप पुरानी यादें भूलते जाते हैं तो आपकी याद रखने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
एक अध्ययन में पाया गया कि जो याद रखने के मामले में विलक्षण प्रतिभा के धनी होते हैं उनके दिमाग की बनावट दूसरे लोगों के दिमाग की बनावट की तुलना में कोई खास अलग नहीं होती। न्यूरोविज्ञानी वैसे लोगों को प्रशिक्षित करने में कामयाब रहे जिनकी याद रखने की क्षमता अच्छी नहीं थी।
 
नीदरलैंड में रैडबाउंड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के डॉक्टर मार्टिन ड्रेसलर बताते हैं, "याददाश्त को बेहतर करने के तरीके आप सीख सकते हैं, इसका प्रशिक्षण ले सकते हैं।" ड्रेसलर ने एक अध्ययन किया। इसमें उन्होंने याददाश्त से जुड़े मुकाबले में दुनिया भर के 23 उस्तादों के दिमाग का स्कैन किया। जांच के नतीजे न्यूरॉन पत्रिका में छापे गए।
 
याददाश्त बढ़ाने के तरीके : जानकारों के मुताबिक़ यदि आप याददाश्त बढ़ाने वाली तकनीक की मदद लेते हैं तो "आप वाकई अपनी याददाश्त बढ़ा सकते हैं। हां, शुरू में आपको दिक्कत आ सकती है।"
 
याददाश्त बढ़ाने के लिए लोसी पद्धति या पैलेस ऑफ मेमोरी महत्वपूर्ण तकनीक है। याद रखने की क्षमता बढ़ाने वाले ये पुराने तरीके हैं। इसमें आप जानी पहचानी जगह - जैसे कि आपका घर, कोई हवेली, महल आदि में काल्पनिक यात्रा करते हैं और फिर जानकारियों को रखने के लिए घर के हर कोने का इस्तेमाल विजुअल इंडिकेटर के रूप में करते हैं।
 
न्यूरोविज्ञानियों ने तेज़ याददाश्त रखने वालों यानी चैंपियनों के दिमाग का अध्ययन किया। छह हफ़्ते रोज़ाना 30 मिनट की ट्रेनिंग दी गई। सभी प्रतिभागियों के दिमाग का स्कैन किया गया। स्कैन के लिए विज्ञानियों ने काल्पनिक चुम्बकीय शब्द तरंगों की मदद ली। ये तरंगें रक्त के बहाव की गति में आ रहे बदलाव के अनुसार होने वाली दिमाग़ी गतिविधियों का पता लगाती हैं। उन्होंने इन्हीं चैम्पियनों की उम्र के कई दूसरे वॉलंटियरों और बौद्धिकों के साथ भी ऐसा ही प्रयोग किया।
 
फिर चैम्पियन के मस्तिष्क की तुलना अध्ययन में शामिल दूसरे प्रतिभागियों के मस्तिष्क से की गई। पाया गया कि मस्तिष्क के कई हिस्से की कनेक्टिविटी पैटर्न में अंतर था। ड्रेसलर ने समझाया, "तेज़ याददाश्त वालों और सामान्य याददाश्त वालों की तंत्रिका की बुनावट में बड़े पैमाने पर, अलग अलग तरीके से अंतर पाया गया।"
 
संभव है : इसके बाद विज्ञानियों ने अध्ययन में शामिल साधारण याददाश्त वालों को ट्रेनिंग दी और ये पता करने की कोशिश की कि क्या उनमें याद रखने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
 
कुछ को वैसे तरीकों से प्रशिक्षित किया गया जिसका इस्तेमाल मेमोरी एथलीट करते हैं। कुछ को प्रशिक्षित करने के लिए वैसे तरीके अपनाए गए जिनमें याददाश्त बढ़ाने वाले तरीके शामिल नहीं थे। बाकी बचे लोगों को किसी भी तरह की ट्रेनिंग नहीं दी गई।
 
शोधकर्कता ने पाया कि याददाश्त तेज़ करने के लिए जब 'मेमोरी ऑफ़ प्रोडिजी' के तरीकों की मदद ली गई तो लोगों की याद रखने की क्षमता बढ़ी। ड्रेसलर ने पाया कि, "कम याददाश्त वालों के दिमाग के पैटर्न में जिस तरीके से बदलाव आए वे एथलीटों (मेमोरी चैंपियन) के पैटर्न से मिलते-जुलते थे।"
 
पुराने तरीके
अध्ययन के लिए न्यूरोविज्ञानी बोरिस निकोलाई कोनरैड के दिमाग का भी स्कैन किया गया। बोरिस निकोलाई कोनरैड ने शब्द, नाम और चेहरे को कम समय में याद रखने के मुकाबलों में दो विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं। उनका रिकॉर्ड गिनीज़ बुक में भी दर्ज है।
 
इतनी शानदार उपलब्धि हासिल करने वाले कोनरैड बताते हैं कि बचपने में उनकी याददाश्त अच्छी नहीं थी। वे याद करते हैं, "स्कूल में अंग्रेज़ी के शब्द याद नहीं रख पाने के कारण बहुत डांट पड़ती थी।" "ऐसा होने के बाद मुझे महसूस हुआ कि मुझे मदद की जरूरत है।" फिर याददाश्त मजबूत करने के लिए उन्होंने पेशेवरों की मदद ली।
 
"याददाश्त को कैसे बेहतर बनाया जाए इसके बारे में दूसरों से आइडिया शेयर करना मुझे पसंद है। ये बहुत फ़ायदेमंद है। हमें इन तरीकों का इस्तेमाल अधिक से अधिक बच्चों, बड़ों के लिए करना चाहिए।"
 
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंस विभाग के प्रोफेसर माइकल एंडरसन इस अध्ययन का हिस्सा नहीं हैं। वे बताते हैं कि प्राचीन काल से ही इन तरीकों का इस्तेमाल याददाश्त बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।
 
वे बताते हैं, "ड्रेसलर और कोनरैड ने बहुत अच्छी तरह बताया है कि लोगों को याददाश्त बढ़ाने के तरीके कैसे सिखाए जाते हैं। साथ ही उन्होंने ये जानने की भी कोशिश की कि इन तरीकों को लागू करते समय दिमाग में किस-किस तरह के बदलाव होते हैं।

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