Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

ग्लोबल वॉर्मिंग को खत्म करने का मास्टर प्लान

Webdunia
शुक्रवार, 17 मई 2019 (08:58 IST)
पल्लब घोष, विज्ञान संवाददाता, बीबीसी
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे रिसर्च केंद्र की योजना बनाई है जहां इस पृथ्वी को बचाने के नए रास्ते तलाशे जा सकें। इस रिसर्च में ऐसे तरीकों की खोज की जाएगी जिससे ध्रुवों की पिघल रही बर्फ को फिर से जमाया जा सके और वातावरण से कार्बन डाई ऑक्साइड निकाली जा सके।
 
इस केंद्र को इस लिए बनाया जा रहा है क्योंकि वर्तमान समय में पृथ्वी पर ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदम नाकाफी लग रहे हैं। यह पहल ब्रितानी सरकार के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार, प्रोफेसर सर डेविड किंग की ओर से कराई जा रही है।
 
उन्होंने बीबीसी से कहा कि आने वाले 10 सालों में हम जो भी करेंगे वह मानव जाति के अगले दस हज़ार सालों का भविष्य तय करेगा। इस दुनिया में ऐसा कोई भी एक केंद्र नहीं है दो इस बेहद महत्वपूर्ण विषय पर फोकस हो।
 
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक डॉक्टर एमिली शुकबर्ग ने कहा कि नए सेंटर का मिशन जलवायु समस्या को हल करना होना चाहिए और हम उस पर विफल नहीं हो सकते। सेंटर फॉर क्लाइमेट रिपेयर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के कार्बन न्यूट्रल फ्यूचर्स इनिशिएटिव का हिस्सा है, जिसका नेतृत्व डॉक्टर शुकबर्ग कर रही हैं। ये मुहिम सामाजिक वैज्ञानिकों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को एक साथ लाएगी।
 
डॉक्टर शुकबर्ग ने बीबीसी को बताया, 'यह वास्तव में हमारे समय की सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है, और हम जानते हैं कि हमें अपने सभी कोशिशों के साथ इसका जवाब देने की आवश्यकता है।'
 
ध्रुवों की बर्फ दोबारा जमाना
ध्रुवों पर बर्फ को जमाने की कोशिशों में सबसे कारगर कदमों में से एक होगा इनके ऊपर पड़ने वाले बादलों को चमकदार करना है। इसके लिए बेहद पतली नली के माध्यम से बिना मानव रहित जहाजों पर लगाया जाएगा और समुद्री पानी को को पंप से खींचा जाएगा।
 
इससे नमक के कण नली में आएंगे। इन नमक को बादलों तक पहुंचाया जाएगा। इससे बादल गर्मी को और भी ज्यादा रिफ्लेक्ट कर सकेंगे।
 
CO2 को रिसाइकल करना
जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक और अहम तरीका है 'कार्बन कैप्चर और स्टोरेज' जिसे सीसीएस कहते हैं। सीसीएस में कोयले या गैस से निकालती कार्बन डाई ऑक्साइड को बिजली स्टेशनों या इस्पात संयंत्रों से इकट्ठा करना और इसे अंडरग्राउंड स्टोर किया जाता है।
 
यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड के प्रोफेसर पीटर स्ट्राइंग के मुताबिक दक्षिण वेल्स के पोर्ट टैलबोट में टाटा स्टील के साथ एक कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइज़ेशन (सीसीयू) पायलट योजना विकसित कर रहे हैं, जो प्रभावी रूप से CO2 को रिसाइकल करता है।
 
प्रोफेसर स्टाइरिंग के अनुसार, इस योजना में एक संयंत्र की स्थापना की जाएगी जो फ़र्म के कार्बन उत्सर्जन को ईंधन में परिवर्तित करेगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास हाइड्रोजन का एक सोर्स है, हमारे पास कार्बन डाइऑक्साइड का एक सोर्स है, हमारे पास गर्मी का एक सोर्स है. हम इसके जरिए रिन्यूएबल एनर्जी पैदा करेंगे। हम सिंथेटिक ईंधन बनाने जा रहे हैं।
 
समुद्र में हरियाली
इनमें से एक उपाय समंदरों को को हरा-भरा करना भी है। ताकि वे अधिक CO2 ले सकें। इस तरह की योजनाओं में लोहे के कण के साथ समुद्र को खाद देना शामिल है. जो समुद्री वनस्पति के विकास को बढ़ावा देता है।
 
यॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रो. कैलम रॉबर्ट्स के अनुसार, वर्तमान में जो उपाय सामने आए हैं वो सीमाओं से परे तो हैं लेकिन मुमकिन हो तो उन पर तुरंत काम किया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि नुकसान और संभवतः अपरिवर्तनीय जलवायु परिवर्तन को रोकत पाना सीमाओं से परे माना जाता है। 'मेरे करियर की शुरुआत में, लोगों ने कोरल लीफ़ को बेहतर करने के लिए समाधानों के सुझावों पर अपने हाथों खड़े कर दिए थे.अब सभी विकल्प सामने आया है।'
 
समुंदर में जाने वाले अम्लों के असर को इन गर्मी रोधक कोरल और वनपस्तियों से ही कम किया जा सकता है। वह आगे कहते हैं, 'फिलहाल, मुझे लगता है कि जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए प्रकृति का इस्तेमाल करना एक बेहतर तरीका है. लेकिन मैं एक बेहतर भविष्य की ओर हमें आगे बढ़ाने के लिए और प्रभावी कदम देख रहा हूं।'
 
सोच जो अकल्पनीय है
इस तरह के आइडिया को में कई असफ़ल होने की आशंका रहती है साथ ही ये अव्यवहारिक भी साबित हो सकता है। लेकिन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में समुद्र भौतिकी के प्रोफेसर पीटर वाधम्स का मानना है कि इन विकल्पों का मूल्यांकन सही ढंग से किया जाना चाहिए। ताकि इसके नुकसान से बचा जा सके। वो मानते हैं कि कार्बन उत्सर्जन कम करके अब इस समस्या से नहीं निपटा जा सकता।
 
उन्होंने कहा, 'अगर हम हर तरह के कार्बन उत्सर्जन कम कर दे तो भी इससे बस ग्लोबल वॉर्मिंग की गति ही धीमी की जा सकती है। इससे कुछ खास नहीं होगा क्योंकि ये धरती खुद बेहद गर्म हो चुकी है। ऐसे में क्लाइमेट रिपोयर ही प्रभावी होगा।'

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

महाराष्ट्र चुनाव : NCP शरद की पहली लिस्ट जारी, अजित पवार के खिलाफ बारामती से भतीजे को टिकट

कबाड़ से केंद्र सरकार बनी मालामाल, 12 लाख फाइलों को बेच कमाए 100 करोड़ रुपए

Yuvraj Singh की कैंसर से जुड़ी संस्था के पोस्टर पर क्यों शुरू हुआ बवाल, संतरा कहे जाने पर छिड़ा विवाद

उमर अब्दुल्ला ने PM मोदी और गृहमंत्री शाह से की मुलाकात, जानिए किन मुद्दों पर हुई चर्चा...

सिख दंगों के आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती, HC ने कहा बहुत देर हो गई, अब इजाजत नहीं

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

तगड़े फीचर्स के साथ आया Infinix का एक और सस्ता स्मार्टफोन

Infinix का सस्ता Flip स्मार्टफोन, जानिए फीचर्स और कीमत

Realme P1 Speed 5G : त्योहारों में धमाका मचाने आया रियलमी का सस्ता स्मार्टफोन

जियो के 2 नए 4जी फीचर फोन जियोभारत V3 और V4 लॉन्च

2025 में आएगी Samsung Galaxy S25 Series, जानिए खास बातें

આગળનો લેખ
Show comments