Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

ग्राउंड रिपोर्ट: 'भगवान की भूमि' पर क्यों आई आपदा?

Webdunia
सोमवार, 20 अगस्त 2018 (10:43 IST)
- सलमान रावी (बीबीसी संवाददाता, त्रिशूर केरल)
 
मैं अभी केरल के त्रिशूर में हूं. यहां बिल्कुल आपातकाल जैसी स्थिति घोषित कर दी गई है। पेरियार नदी में पानी का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। अभी भी बारिश का रेड अलर्ट जारी है।
 
पूरे राज्य की बात करें तो करीब दो हज़ार राहत शिविरों में साढे तीन लाख शरणार्थी रह रहे हैं। जहां तक नज़र जाती है, वहां तक पानी ही पानी है। चारों तरफ अफ़रा तफ़री की स्थिति बनी हुई है।
 
बाढ़ में ध्वस्त हुई सड़कें
इन क्षेत्रों में पहुंचना भी आसान नहीं है। मैं कोयंबटूर की तरफ से यहां पहुंचा। केरल में दाख़िल होने के लिए मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था। मैं कोयंबटूर से पालाघाट पहुंचा और फिर त्रिशूर आया। रास्ते में देखा कि जो मुख्य सड़क है वो ख़त्म हो चुकी है। गांव के अंदर की सड़कों की स्थिति भी बहुत बुरी हो चुकी है।
 
रास्ते में मैंने पेट्रोल और डीज़ल के टैंकरों को देखा। ये अर्से बाद यहां पेट्रोल और डीज़ल लेकर आ रहे थे। यहां पेट्रोल और डीज़ल की बहुत कमी है। एक पंप पर हमने रुककर लोगों से बात की। वो सभी पेट्रोल और डीज़ल के इंतज़ार में थे।
 
राहत का इंतज़ार
हालात ये है कि कई ऐसे इलाके हैं जहां अभी तक राहत और बचावकर्मी नहीं पहुंच सके हैं। वहां लोग फंसे हुए हैं। त्रिशूर के करीब अलपुझा और एर्नाकुल भी बाढ़ से काफ़ी प्रभावित हुए हैं। इनमें से कई जगहों पर लोग पेड़ों और छतों पर फंसे हुए हैं।
 
एनडीआरफ, सेना, नौसेना और कोस्टगार्ड की टीमें लोगों को बचाने और राहत पहुंचाने में जुटी हैं। हालांकि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन कहते हैं कि ये टीमें काफ़ी नहीं हैं। मुश्किल में फंसे लोगों का आरोप है कि मदद देर से मिल रही है और ये पर्याप्त नहीं है।
 
'ऐसी आपदा नहीं देखी'
मुख्यमंत्री विजयन जब ये कहते हैं कि ये सौ साल की सबसे बड़ी आपदा है तो वो वही बात दोहरा रहे हैं जो उन्हें लोग बता रहे हैं। राज्य के बुजुर्गों ने भी कभी इस तरह की आपदा नहीं देखी है।
 
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक 8 अगस्त से अब तक 324 लोगों की मौत हो चुकी है। केरल को भगवान की भूमि कहा जाता है। प्राकृतिक तौर पर ये बहुत खूबसूरत राज्य है। अब सवाल उठ रहा है कि वो क्या वजहें हैं, जिन्हें लेकर ऐसी आपदा सामने आई है।
 
केरल से खाड़ी देशों में काम करने गए लोगों ने जब यहां पैसे भेजने शुरू किए तो धीमे-धीमे यहां खेती ख़त्म होने लगी। पेड़ पौधे कटने लगे और उनकी जगह कॉटेज और मकान बनने लगे। ये कहा जाता है कि कुदरत अपना बदला लेती है। यहां कई लोगों के दिल में सवाल है कि कहीं कुदरत ही तो बदला नहीं ले रही है?

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

महाराष्ट्र चुनाव : NCP शरद की पहली लिस्ट जारी, अजित पवार के खिलाफ बारामती से भतीजे को टिकट

कबाड़ से केंद्र सरकार बनी मालामाल, 12 लाख फाइलों को बेच कमाए 100 करोड़ रुपए

Yuvraj Singh की कैंसर से जुड़ी संस्था के पोस्टर पर क्यों शुरू हुआ बवाल, संतरा कहे जाने पर छिड़ा विवाद

उमर अब्दुल्ला ने PM मोदी और गृहमंत्री शाह से की मुलाकात, जानिए किन मुद्दों पर हुई चर्चा...

सिख दंगों के आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती, HC ने कहा बहुत देर हो गई, अब इजाजत नहीं

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

तगड़े फीचर्स के साथ आया Infinix का एक और सस्ता स्मार्टफोन

Infinix का सस्ता Flip स्मार्टफोन, जानिए फीचर्स और कीमत

Realme P1 Speed 5G : त्योहारों में धमाका मचाने आया रियलमी का सस्ता स्मार्टफोन

जियो के 2 नए 4जी फीचर फोन जियोभारत V3 और V4 लॉन्च

2025 में आएगी Samsung Galaxy S25 Series, जानिए खास बातें

આગળનો લેખ
Show comments