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कंझावला केस: अभियुक्तों के परिवार कहां हैं? उनका क्या कहना है?

कंझावला केस: अभियुक्तों के परिवार कहां हैं? उनका क्या कहना है?

BBC Hindi

, बुधवार, 4 जनवरी 2023 (07:58 IST)
विनीत खरे, बीबीसी संवाददाता
राजधानी दिल्ली में साल 2023 की शुरुआत के कुछ ही घंटे बाद हुए सड़क हादसे में 20 वर्षीय युवती की मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक कार से टक्कर के बाद युवती का जिस्म गाड़ी में फंस गया और वो कुछ किलोमीटर तक घिसटती रही।
 
पुलिस के मुताबिक इस मामले में पांच अभियुक्त हैं, दीपक खन्ना, अमित खन्ना, मिथुन, कृष्ण और मनोज मित्तल। इन सभी के घर एक दूसरे के नज़दीक ही हैं। ये सभी मंगोलपुरी या आसपास के इलाकों में रहते हैं।
 
उत्तर- पश्चिम दिल्ली के मंगोलपुरी में समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। यहां हर ओर इसी घटना की चर्चा है, और लोग पल-पल की जानकारी के लिए टीवी से चिपके हुए हैं।
 
मातम का माहौल
जब हम एक अभियुक्त 27 वर्षीय कृष्ण के घर पहुंचे तो उनके घर मातम का माहौल था। एक कमरे और किचन वाले इस घर के बिस्तर पर उनके पिता काशीनाथ, भाई मुकेश कुमार, मां राधा और बुआ एक कंबल ओढ़े सामने दीवार पर लगे टीवी को देख रहे थे।
 
एक हिंदी न्यूज़ चैनल पर पीड़िता की मौत मामले में सीसीटीवी की एक फ़ुटेज चल रही थी। मुकेश ने बताया, "जब से सुना है, तब से टीवी के सामने ही बैठे हैं।"
 
मुकेश इंटीरियर डिज़ाइनर हैं, उनके पिता छोले का ठेला लगाते हैं, जबकि सबसे छोटा भाई पढ़ाई कर रहा है। कृष्णन मंझले भाई हैं।
 
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मुकेश कहते हैं, "हम पल पल की खबर देख रहे हैं कि क्या हो रहा है? घर में माहौल भी उदासी वाला है। दुख तो सबसे ज़्यादा उस बेटी का भी है हमें।"
 
मां राधा बोलीं, "हम ये चाहते हैं कि इन छह जनों को इंसाफ़ मिले, बस। और हमें कुछ नहीं चाहिए। पांच ये बच्चे हो गए, और छठी वो लड़की। उसको भी इंसाफ़ मिलना चाहिए। इन बच्चों को भी इंसाफ़ मिलना चाहिए।"
 
दिल्ली पुलिस इसे हिट-एंड-रन का मामला मान रही है। पुलिस के मुताबिक़, सुल्तानपुरी के कृष्ण विहार इलाक़े में स्कूटी सवार पीड़िता का कार से एक्सीडेंट हुआ, उनका शरीर कार में ही फंसा रह गया और 12 किलोमीटर तक घिसटता रहा।
 
पुलिस के मुताबिक, "उनके पास घटना की प्रत्यक्षदर्शी है जो पुलिस से सहयोग कर रही है। सीआरपीसी की धारा 164 के तहत उनका बयान रिकॉर्ड किया गया है।"
 
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'कोई संपर्क नहीं'
कृष्ण के परिवार के मुताबिक 31 दिसंबर की शाम वो 'तैयार होकर' घर से बाहर निकला और उसके बाद से उनका कृष्ण से संपर्क नहीं हो पाया है।
 
कृष्ण की मां राधा बताती हैं कि उनके बेटे ने उन्हें नहीं बताया कि वो कहां जा रहा है, बस, ये बोला कि वो थोड़ी देर में आ जाएगा। वे कहती हैं, "वो कह कर गया था कि मम्मी मैं एक घंटे में आ रहा हूं। उसके बाद आया नहीं। हमें नहीं पता था कि (वो) ऐसा फंस जाएगा।" ये कहकर वे रोने लगीं। परिवार को 1 जनवरी की शाम को किसी अन्य व्यक्ति से घटना के बारे में पता चला।
 
मुकेश कहते हैं, "किसी तीसरे आदमी ने बताया कि एक्सीडेंट हो गया है, कोई लड़की गाड़ी के नीचे आ गई है।" वो कहते हैं, "उस बेटी के साथ बहुत गलत हुआ है। अब वो जानकर हुआ, या अंजाने में हुआ, ये भगवान ही जानता है। हमें लगता है कि ये एक्सिडेंट है। इनको ये भी नहीं पता चला कि नीचे लड़की है।"
 
"फुटेज में जैसे दिखाया जा रहा है, गाड़ी के नीचे इनको पता नहीं चला। इन्होंने गाड़ी के शीशे खोले नहीं, बाहर झांककर देखा नहीं।"
 
"पुलिस तो अपनी कार्रवाई कर रही है। आगे जो भी है पता चलेगा। अभी तो हम कुछ नहीं कह सकते। बाकी हम तो यही कहेंगे कि इंसाफ़ होना चाहिए। बेटी के साथ भी होना चाहिए। पुलिस नतीजा निकालेगी, कि सच, झूठ क्या है।"
 
मंगोलपुरी के ही एक स्थानीय व्यक्ति ने गुस्से में सवाल उठाया कि गाड़ी के नीचे शव फंसा है, इस बारे में कैसे किसी को पता नहीं चल सकता? अभी तक पुलिस ने परिवार से संपर्क नहीं किया है। काशीनाथ कहते हैं, "पुलिस जब हमसे संपर्क करेगी तो हम जाएंगे।"
 
बाकी घरों के बाहर ताले
हम जब बाकी अभियुक्तों के घरों पर पहुंचे तो सभी के घर पर ताले मिले। अभियुक्त दीपक खन्ना का घर मंगोलपुरी में दूसरे माले पर है। उनके जानने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि उसके मां-बाप इस दुनिया में नहीं हैं और वो अपने भाई के साथ रहता है।
 
उनके कमरे के बाहर ताला लटका हुआ था, जबकि बाहर किचन में दो पानी की बोतलें, प्याज़, खाना बनाने की चीज़े आदि बेहद सफ़ाई से रखी हुई थीं।
 
इलाके में लोग दीपक को कालू के नाम से जानते हैं। इस व्यक्ति के मुताबिक "लड़के तो सही थे, बाकी तो अंदर के बारे में कोई कुछ नहीं कह सकता कि वो कैसे थे।"
 
अमित खन्ना के घर के बाहर भी ताला लटका था। एक स्थानीय महिला के मुताबिक उनके पिता की बहुत पहले मौत हो चुकी है और वे अपनी मां और दो भाई के साथ रहते हैं।
 
इस महिला ने बताया, "लड़के तो अच्छे हैं। मम्मी भी अच्छी थी। अपना कमाते, खाते थे।" "कभी उन्हें किसी से लड़ते नहीं देखा। वो प्यार से बोलते थे, आंटी आप कैसी हैं?"

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